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Saturday, 4 May, 2024
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बिहार से पूर्व लोकसभा सांसद प्रभुनाथ सिंह को उम्रकैद की सजा, लालू प्रसाद के थे करीबी

यह मामला मार्च 1995 में बिहार के सारण जिले के छपरा में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान के दिन दो लोगों की हत्या से जुड़ा था.

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बिहार से पूर्व लोकसभा सांसद प्रभुनाथ सिंह को 1995 के दोहरे हत्याकांड मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई.

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने 18 अगस्त को निचली अदालत और पटना हाई कोर्ट के मामले में उन्हें बरी करने के आदेश को पलटते हुए सिंह को दोषी ठहराया था.

सजा पर दलीलें सुनने के बाद, पीठ ने, जिसमें न्यायमूर्ति ए एस ओका और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ भी शामिल थे, दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई.

बता दें कि सिंह बिहार के एक राजनेता हैं और 12वीं, 13वीं और 14वीं लोकसभा के सदस्य रह चुके हैं, इसके साथ ही उन्होंने 1985 से 1995 तक मसरख विधानसभा क्षेत्र और 1998 से 2009 तक बिहार के महाराजगंज लोकसभा क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व भी किया था.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार और आरोपियों को दोनों मृतकों के परिवारों को 10-10 लाख रुपये और घायलों को 5 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया.

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अदालत ने सिंह को आईपीसी की धारा 307 के तहत हत्या के प्रयास के अपराध में सात साल कैद की सजा भी सुनाई है.


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राजनीति में प्रवेश

राजनीति में प्रवेश करने से पहले, सिंह की ईंट बनाने का एक भट्टा था. उन्होंने अपने क्षेत्र के राजपूतों के समर्थन के कारण एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में एमएलए के लिए अपना पहला चुनाव जीता था. 1995 के चुनावों में, वह भाजपा के सदस्य के रूप में चुनाव लड़े, लेकिन हारने के बाद जनता दल (यूनाइटेड) (जेडी (यू)) में चले गए थे.

सिंह ने जद (यू) पार्टी के सदस्य के रूप में चुनाव जीता, लेकिन बाद में जद (यू) में नीतीश कुमार की तानाशाही के कारण राजद में शामिल हो गए. उन्होंने 2004 से 2009 तक जदयू के टिकट पर बिहार के महाराजगंज निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था.

23 मई 2017 को, सिंह को 22 साल पहले विधायक अशोक सिंह की हत्या के मामले में हज़ारीबाग कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.

यह मामला मार्च 1995 में बिहार के सारण जिले के छपरा में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान के दिन दो लोगों की हत्या से जुड़ा था. शीर्ष अदालत ने बिहार के महाराजगंज से कई बार के पूर्व सांसद सिंह को दोषी ठहराते हुए कहा था कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि सिंह ने अपने ख़िलाफ़ सबूतों को ‘मिटाने’ के हर संभव प्रयास करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

प्रभुनाथ सिंह पिछले लोकसभा चुनाव में महाराजगंज से बीजेपी के जनार्दन सिंह सिग्रीवाल से हार गये थे. सिंह को राजद प्रमुख लालू प्रसाद का काफी करीबी भी माना जाता है.

2008 में पटना की एक अदालत ने सबूतों की कमी का हवाला देते हुए सिंह को बरी कर दिया था. बाद में 2012 में पटना हाई कोर्ट ने बरी किए जाने को बरकरार रखा. नतीजतन, पीड़ितों में से एक के भाई ने बरी किए जाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.


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