नई दिल्ली: बिहार में विधानसभा चुनाव जारी हैं और देशभर में कई जगह उपचुनाव भी हो रहे हैं. इस बीच महामारी संबंधी चुनाव आयोग के प्रोटोकॉल में कोविड-पॉजिटिव लोगों को पोलिंग बूथ जाकर वोट डालने की अनुमति, जिसमें पीपीपी किट के साथ मौजूद निर्वाचन अधिकारी सहायता करेंगे, दिए जाने से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और कुछ राज्य सरकारों का पारा चढ़ता नजर आ रहा है. ऐसी स्थिति में संक्रमण का जोखिम बढ़ने के साथ आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति में कठिनाई को लेकर चिंताएं जताई जा रही है.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने उच्चाधिकार समूह-1 (ईजी-1) की सिफारिशों की एक प्रति संलग्न करते हुए चुनाव आयोग को लिखा है कि बीमारी पर नियंत्रण के हित में इस प्रोटोकॉल को सुधारा जाना चाहिए.
उच्चाधिकार समूह के सूत्रों के अनुसार, गाइडलाइन को अव्यावहारिक और जोखिम भरा पाया गया है. समूह ने अपनी सिफारिशों में लिखा है कि बेहतर यह होगा कि इसके बजाय कोविड पॉजिटिव मरीजों के लिए पोस्टल बैलेट की सुविधा बढ़ाई जाए.
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी.के. पॉल की अध्यक्षता वाले ईजी-1 में एम्स निदेशक और स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के सचिव सहित कई टेक्नोक्रेट्स शामिल हैं और इसे बुनियादी चिकित्सा ढांचे और कोविड प्रबंधन योजना का जिम्मा सौंपा गया है.
बिहार, जहां मंगलवार को दूसरे चरण का मतदान हो रहा है, और गुजरात, जहां आठ विधानसभा क्षेत्रों में मतदान हो रहे हैं, की सरकारों ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर इस तरह का आदेश लागू करने में आने वाली समस्याओं की ओर ध्यान आकृष्ट किया है.
भारतीय निर्वाचन आयोग की तरफ से कोविड-19 के दौरान आम चुनाव/उपचुनाव के लिए जारी व्यापक दिशा-निर्देश में कहा गया है, ‘क्वारेंटाइन में रहने वाले कोविड-19 मरीजों को मतदान के दिन आखिरी घंटे में अपने संबंधित पोलिंग बूथ पर वोट डालने की अनुमति होगी. स्वास्थ्य अधिकारी की निगरानी में कोविड-19 से बचाव संबंधी सभी उपायों का कड़ाई से पालन करते हुए मतदान किया जा सकेगा. सेक्टर मजिस्ट्रेट अपने आवंटित मतदान केंद्रों में इसका समन्वय करेंगे.’
दिप्रिंट ने गुजरात और बिहार के स्वास्थ्य सचिवों क्रमश: जयंती रवि और प्रत्यय अमृत से इस पर टिप्पणी के लिए संपर्क साधा. हालांकि, रवि ने अपने अन्य कार्यों में व्यस्त होने का हवाला देकर इस पर कुछ कहने से इनकार कर दिया. वहीं अमृत ने इस रिपोर्ट को प्रकाशित किए जाने के समय तक कॉल और मैसेज का कोई जवाब नहीं दिया. इस मामले में भारतीय निर्वाचन आयोग को भेजे गए ई-मेल पर प्रतिक्रया का इंतजार भी किया जा रहा है. ये प्रतिक्रियाएं मिलने पर रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.
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डॉनिंग एंड डॉफिंग प्रोटोकॉल पर चिंता
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पुष्टि की कि गुजरात और बिहार दोनों ने चुनाव आयोग से कहा है कि पॉजिटिव मरीजों को बूथ पर वोट देने की अनुमति देने से लॉजिस्टिक संबंधी मुद्दे आड़े आएंगे. उन्होंने बताया, ‘हमने इस मसले पर अधिकार प्राप्त समूह-1 की सिफारिशों को भी चुनाव आयोग के साथ साझा किया है क्योंकि समूह खुद सीधे तौर पर ऐसा नहीं कर सकता था. हमें नहीं पता कि उन्होंने इस पर संज्ञान लिया है या नहीं.’
उच्चाधिकार समूह की सबसे बड़ी चिंता यह थी कि क्या मतदान अधिकारी सभी सुरक्षा प्रोटोकॉल के साथ पीपीई किट पहनेंगे और फिर उसी तरह उसे उतारेंगे. इस प्रक्रिया को डॉनिंग एंड डॉफिंग कहा जाता है.
ईजी-1 में शामिल एक अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘कोविड-पॉजिटिव लोगों को शाम 5 बजे के बाद वोट करने की अनुमति देने की व्यवस्था व्यावहारिक नहीं है. डॉनिंग एंड डॉफिंग प्रोटोकॉल के ढंग से पालन को लेकर हमारी चिंता गंभीर है. यह आसान नहीं है, डॉक्टरों को सही तरीके से यह प्रक्रिया अपनाने के लिए सालों सीखना पड़ता है. कुछ अन्य तरीके भी हैं जिनमें कोविड-पॉजिटिव लोगों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा की जा सकती है. अस्पताल में लोग पोस्टल बैलेट का उपयोग कर मतदान कर सकते हैं. क्यों न सभी कोविड-पॉजिटिव मरीजों के लिए ऐसा कर दें? यह महामारी नियंत्रण और सार्वजनिक स्वास्थ्य के सिद्धांतों के खिलाफ है.’
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