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Wednesday, 8 May, 2024
होमराजनीति‘सवर्णों में भूमिहार, पिछड़ों में यादव सबसे गरीब’, बिहार में कौन सी जाति सबसे अमीर, कौन गरीब— डेटा जारी

‘सवर्णों में भूमिहार, पिछड़ों में यादव सबसे गरीब’, बिहार में कौन सी जाति सबसे अमीर, कौन गरीब— डेटा जारी

बिहार की नीतीश सरकार ने विधानसभा में जातिगत सर्वे का शैक्षिक-आर्थिक रिपोर्ट आज जारी कर दिया. इसमें सभी जातियों की आर्थिक, शैक्षिक स्थिति के बारे में बताया गया है.

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नई दिल्ली: बिहार सरकार ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन जातिगत सर्वे का आर्थिक और शैक्षिक रिपोर्ट जारी कर दिया. सरकार द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे अधिक गरीब परिवार अनुसूचित जाति में हैं. अनुसूचित जाति में 42.93 प्रतिशत परिवार गरीब हैं. इसके बाद अनुसूचित जनजाति में 42.70 प्रतिशत परिवार गरीब हैं. पिछड़े वर्ग में 33.16 प्रतिशत, अत्यंत पिछड़े वर्ग में 33.59 प्रतिशत, सामान्य वर्ग में 25.09 प्रतिशत परिवार गरीब हैं.

सामान्य वर्ग में सबसे ज्यादा गरीब परिवारों की संख्या भूमिहार जाति में है. भूमिहार जाति के 27.58 प्रतिशत परिवार गरीब हैं जबकि ब्राह्मणों में 25.32 प्रतिशत, राजपूतों में 24.89 प्रतिशत परिवार गरीब हैं.

यादव और भूमिहार सबसे गरीब

सरकार द्वारा जारी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सामान्य वर्ग में सबसे अधिक गरीब परिवार भूमिहार जाति में हैं. भूमिहारों में कुल 2 लाख 31 हजार 211 परिवार गरीब हैं जो कुल परिवारों का 27.58 प्रतिशत हैं. इसके बाद सामान्य वर्ग में शेख का नंबर आता है. शेख जाति के कुल 25.84 प्रतिशत परिवार गरीब हैं जिसकी कुल संख्या 2 लाख 68 हजार 398 है. ब्राह्मण जाति में कुल 2 लाख 72 हजार 576 परिवार गरीब हैं जबकि राजपूत जाति में कुल 2 लाख 37 हजार 412 परिवार गरीब हैं.

सवर्णों में सबसे अमीर जाति कायस्थ है. कायस्थ जाति के सिर्फ 13.83 प्रतिशत परिवार गरीब हैं.

पिछड़े वर्ग में यादव सबसे गरीब जाति है. यादव जाति के कुल परिवारों में से 35.87 परिवार गरीब हैं जिसकी कुल परिवारों की संख्या 13 लाख 83 हजार 962 है. इसके बाद कुशवाहा का नंबर आता है. कुशवाहा जाति के कुल 34.32 प्रतिशत परिवार गरीब हैं. इन परिवारों की कुल संख्या 4 लाख 6 हजार 207 है.

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बिहार में गणनाकारों द्वारा उपयोग की जाने वाली जाति जनगणना के लिए 17-कॉलम वाला फॉर्म | फोटो: कृष्ण मुरारी/दिप्रिंट

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कौन बिहार में कितना कमा रहा?

सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक सवर्णों की लगभग 25 प्रतिशत जनसंख्या 6 हजार रुपए प्रतिमाह कमाती है. इसके अलावा 23 प्रतिशत आबादी की मासिक आय 6 हजार से 10 हजार रुपए प्रति महीने के बीच है. 10 हजार से 20 हजार रुपए प्रति महीने कमाने वालों का प्रतिशत 19 है. 16 प्रतिशत परिवारों ऐसे हैं जिनकी आय 20 हजार से 50 हजार के बीच है. जबकि 9 प्रतिशत परिवारों की आय 50 हजार से अधिक है.

अगर बात पिछड़े वर्ग की करें तो पिछड़े वर्ग के 33 प्रतिशत परिवार ऐसे हैं जिनकी आय प्रति महीने 6 हजार तक है. 29 प्रतिशत परिवार ऐसे हैं जिनकी आय 6 हजार से 10 हजार के बीच है. 18 प्रतिशत परिवार की आय प्रति महीने 10 हजार से 20 हजार के बीच है. 10 प्रतिशत परिवार की मासिक आय 20 हजार से 50 हजार के बीच है जबकि 4 प्रतिशत परिवार ऐसे हैं जिनकी आय 50 हजार से अधिक है.

अत्यंत पिछड़े वर्ग में 33 प्रतिशत आबादी की मासिक आय 6 हजार तक है. 32 प्रतिशत परिवारों की मासिक आय 6 से 10 हजार के बीच है. 18 प्रतिशत परिवारों की मासिक आय 10 से 20 हजार की बीच है जबकि 2 प्रतिशत परिवार ऐसे हैं जिनकी मासिक आय 50 हजार से भी अधिक है.

अनुसूचित जाति वर्ग में 42 प्रतिशत परिवारों की आय 6 हजार तक, 29 प्रतिशत परिवारों की आय 6 से 10 हजार, 15 प्रतिशत परिवारों की आय 10 से 20 हजार, 5 प्रतिशत परिवारों की आय 20 से 50 हजार और 1 प्रतिशत परिवारों की आय 50 हजार से अधिक है.

अनुसूचित जनजाति वर्ग में 42 प्रतिशत परिवार ऐसे हैं जिनकी आय 6 हजार तक है. 25 प्रतिशत ऐसे हैं जिनकी आय 6 से 10 हजार है. इसके अलावा 16 प्रतिशत 10 से 20 हजार, 8 प्रतिशत 20 से 50 हजार और 2.53 प्रतिशत 50 हजार से अधिक कमाते हैं.

कौन सरकारी नौकरी में सबसे आगे

जाति के हिसाब से सरकारी नौकरी में सबसे आगे कायस्थ जाति के लोग हैं. 6.68 प्रतिशत कायस्थ जाति के लोग सरकारी सेवा में हैं. इसके बाद भूमिहार का नंबर आता है. 4.9 प्रतिशत भूमिहार सरकारी नौकरी में हैं. राजपूत 3.81 प्रतिशत, ब्राह्मण 3.60 प्रतिशत, कुर्मी 3.11 प्रतिशत, सैयद 2.42 प्रतिशत, कुशवाहा 2.04 प्रतिशत, बनिया 1.96 प्रतिशत, मलिक मुस्लिम 1.39 प्रतिशत और यादव 1.55 प्रतिशत सरकारी सेवा में हैं.

इसके अलावा शिक्षा की अगर बात करें तो बिहार की कुल आबादी के 22.67 प्रतिशत ने 1 से 5 तक की पढ़ाई की है. इसके अलावा 14.33 प्रतिशत लोगों ने कक्षा 6 से 8 तक की शिक्षा ग्रहण की है. 14.71 प्रतिशत आबादी ने कक्षा 9 से लेकर 10 तक की पढ़ाई की है, जबकि 9.19 प्रतिशत लोग 12वीं पास हैं.

स्नातक धारकों की कुल संख्या केवल 7 प्रतिशत है.

बता दें कि इस डेटा में बिहार से बाहर रहने वाले 53,72,022 लोगों को भी जोड़ा गया है.

जाति जनगणना की आर्थिक और शैक्षिक रिपोर्ट जारी करते वक्त विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ. बीजेपी विधायकों ने सरकार के खिलाफ नारे लगाए.


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