नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि विदेश में दिए बयान को लेकर राहुल गांधी को माफी मांगनी चाहिए. उन्होने कहा, ‘आजादी के बाद देश के इतिहास में आज तक किसी भी नेता ने कभी भी विदेशी शक्तियों से भारत सरकार के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग नहीं की, यहां तक की कठिन परिस्थितियों में भी नहीं. लेकिन राहुल ने विदेश में जाकर भारत का अपमान किया.’
बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि यह स्वतंत्र भारत के इतिहास में अब तक का सबसे गंभीर मामला है.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस अब देश विरोधी गतिविधियों का हिस्सा बन गई है. राहुल गांधी अब इस राष्ट्रविरोधी टूलकिट का स्थायी हिस्सा बन गए हैं.
बीजेपी नेता ने कहा कि देश के खिलाफ बोलने के लिए राहुल को माफी मांगनी होगी.
नड्डा ने कहा, ‘देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है. देश में जी20 की बैठक हो रही है लेकिन राहुल विदेशी धरती पर देश और संसद का अपमान कर रहे हैं.’
बीजेपी लगातार हमलावर
राहुल के लंदन में दिए गए भाषण के बाद बीजेपी लगातार उनपर हमलावर है. बीते दिनों केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा था कि राहुल ने लंदन में जो बातें कहीं उसके लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए. यह हमारे देश के लोकतंत्र, न्यायपालिका का अपमान है.
उन्होंने कहा कि हमें उन लोगों के खिलाफ आवाज़ उठानी चाहिए जो देश के खिलाफ काम कर रहे हैं.
वहीं बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा था, ‘राहुल गांधी आप देश के 140 करोड़ लोगों को कब तक गुमराह करेंगे.’
उन्होंने कहा था, ‘भाजपा फिर दोहराती है कि उन्होंने कहा था कि ‘अमेरिका और यूरोप को भारत के लोकतांत्रिक पिछड़ेपन पर ध्यान देना चाहिए. विदेशों में भारतीय लोकतंत्र की आलोचना कर भारतीयों की भावनाओं का अपमान करना और बेबुनियाद, बेफिजूल की बात करना उनकी आदत है. हम राहुल गांधी से माफी मांगने तक देशभर में अभियान करते रहेंगे. राहुल गांधी जी, आपका अहंकार देश से बड़ा नहीं है.’
वहीं बीते दिनों बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने राहुल गांधी की संसद सदस्यता खत्म करने की मांग की थी. उन्होंने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को पत्र लिखकर कहा था कि राहुल गांधी के विदेश में दिए गए हाल के बयान से संसद की अवमानना हुई है.
क्या कहा था राहुल ने?
बीते दिनों लंदन के चैथम हाउस में दिए गए एक भाषण में राहुल ने आरएसएस पर जमकर निशाना साधा था. उन्होंने कहा था, ‘भारत में लोकतांत्रिक प्रतिस्पर्धा पूरी तरह से बदल दी गई है. उसपर आरएसएस का कब्जा हो गए है. आरएसएस एक कट्टरपंथी संगठन है और यह भारत के सभी सरकारी संस्थाओं पर कब्जा कर लिया है. मैं इस बात से परेशान रहता हूं कि वह कैसे हमारे देश के सभी संस्थानों पर कब्जा करके बैठे हैं. आज देश में सबकुछ- प्रेस, न्यायपालिका, संसद, चुनाव आयोग खतरे में हैं और उसे नियंत्रित किया जा रहा है.’
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