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Thursday, 21 November, 2024
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बाहरियों से लेकर SC छात्रों के ड्रॉपआउट तक, क्या हैं पंजाब के गवर्नर और CM के बीच विवाद के 5 मुद्दे

राज्यपाल ने अपने पत्र में बायोटेक्नोलॉजिस्ट गोसाल की पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी कुलपति के रूप में नियुक्ति और प्रिंसिपल्स की सिंगापुर यात्रा का मामला उजागर किया है, जिस पर पंजाब के मुख्यमंत्री की ओर से कोई जवाब नहीं मिला है.

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चंडीगढ़: पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित और मुख्यमंत्री भगवंत मान एक बार फिर आमने-सामने हैं. कुछ दिन पहले राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने राज्य की आम आदमी पार्टी सरकार से कई मुद्दों पर जानकारी मांगने के लिए पत्र लिखा  था. उसके एक दिन बाद पंजाब के मुख्यमंत्री मान ने कहा कि वह केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किए गए लोगों के प्रति ‘जवाबदेह’ नहीं है. उन्होंने कहा, ‘मैं केवल पंजाब के लोगों के प्रति ‘जवाबदेह’ हूं जिन्होंने मुझे चुना है.’

पुरोहित ने कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 167 उन्हें राज्य सरकार से जानकारी मांगने का अधिकार देता है इसलिए राज्य सरकार जवाब देने के लिए बाध्य है. उन्होंने मुख्यमंत्री को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर वह जवाब नहीं देते हैं तो वह कानूनी सलाह भी ले सकते हैं.

पुरोहित ने अपने पत्र में राज्य सरकार द्वारा प्रशिक्षण के लिए सिंगापुर भेजे गए 26 स्कूल प्रिंसिपल्स के चयन के आधार पर सवाल उठाया था.

4 फरवरी को मान ने चंडीगढ़ से प्रिंसिपल्स के बैच को झंडी दिखाकर रवाना किया था. ये प्रिंसिपल्स 6 फरवरी से 10 फरवरी के बीच चार दिवसीय प्रोफेसनल टीचर ट्रेनिंग सेमिनार में भाग लेने के लिए सिंगापुर गए थे.

मंगलवार को जारी एक प्रेस स्टेमेंट में मुख्यमंत्री कार्यालय ने पलटवार करते हुए कहा, ‘आपने मुझसे सिंगापुर भेजे गए प्रिंसिपल्स का चयन करने के लिए मेरी सरकार द्वारा अपनाए गए मानदंडों का विवरण देने के लिए कहा है. कृपया पंजाब के लोगों को बताएं कि किस आधार पर और किस मापदंड से राज्यपाल नियुक्त किए जाते हैं?’

हम यहां उन पांच प्रमुख मुद्दों के बारे में बता रहे हैं जिसको लेकर राज्यपाल ने सोमवार को मुख्यमंत्री पत्र में प्रकाश डाला गया है.


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पांच प्रमुख मुद्दे

पहला मुद्दा: सोमवार को मुख्यमंत्री को लिखे गए एक पत्र में, राज्यपाल ने सरकारी स्कूलों के 36 प्रिंसिपल्स को सिंगापुर भेजे जाने के लिए कैसे चुनाव किया गया, इसकी जानकारी मांगी थी. राज्यपाल ने कहा कि उन्हें समाचार रिपोर्टों से पता चला कि जिस तरह से प्रिंसिपल्स को चुना गया और उन्हें सिंगापुर भेजा गया वह ‘कदाचार’ और ‘नियमानुसार’ नहीं था.

उन्होंने लिखा, ‘इसलिए मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि मुझे पूरी चयन प्रक्रिया का मानदंड और विवरण भेजें.’ साथ ही राज्यपाल ने इसको लेकर पूरे पंजाब में प्रिंसिपल्स की यात्रा का खर्चा, बोर्डिंग, लॉजिंग और प्रशिक्षण पर किए गए कुल खर्च का विवरण भी मांगा. 

11 फरवरी को जब प्रिंसिपल्स का ग्रुप दिल्ली वापस लौटा तो दिल्ली में उनके स्वागत के लिए एक विशेष समारोह का आयोजन किया गया था. इस कार्यक्रम में दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल और दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी भाग लिया था.

दूसरा मुद्दा: राज्यपाल ने पंजाब सूचना और संचार प्रौद्योगिकी निगम के अध्यक्ष के रूप में गुनिंदरजीत सिंह जावंडा की नियुक्ति पर सवाल उठाया. राज्यपाल ने उनके नाम को लेकर इस आधार पर आपत्ति जताई की कि उनका नाम कथित अपहरण और जमीन हड़पने के मामले में सामने आया है. राज्य सरकार ने 4 फरवरी को जावंडा को निगम अध्यक्ष के रूप में नामित किया था.

जावंडा मुख्यमंत्री के गृहनगर संगरूर में भाई गुरदास ग्रुप ऑफ कॉलेज के चेयरमैन हैं. साथ ही जावंडा आम आदमी पार्टी के व्यापार विंग के राज्य संयुक्त सचिव के रूप में भी काम कर चुके हैं. 

सितंबर 2021 में निमरत कौर मंशाहिया नाम की एक याचिकाकर्ता ने जावंडा और 21 अन्य के खिलाफ पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि इन लोगों ने पुलिस की मदद से उनकी संपत्ति को हड़पने के लिए उनके पति प्रीतिंदर सिंह मनशाहिया का अपहरण करवाया था.

राज्यपाल का पत्र और उन पर लगे आरोपों को लेकर दिप्रिंट ने उनकी प्रतिक्रिया जानने के लिए जावंडा से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला. उनके कार्यालय में काम कर रहें कर्मचारियों ने कहा कि उन्होंने अभी तक अपना पदभार ग्रहण नहीं किया है.  

तीसरा मुद्दा: पिछले साल जुलाई में पुरोहित ने पंजाब सरकार से साल 2007 से लेकर 2010 के बीच अनुसूचित जाति समुदाय के 2 लाख से अधिक छात्रों को 2,000 करोड़ रुपये की पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति ने मिलने के अभाव में कॉलेजों से बाहर कर देने को लेकर व्यापक रिपोर्ट मांगी थी. इस मामले को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष विजय सांपला ने उजागर किया था.

बाद में, मान ने भी पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना में कथित अनियमितताओं की जांच के आदेश दिए थे, जो राज्य में कांग्रेस शासन के दौरान सामने आई थी.

हालांकि, राज्यपाल ने अपने पत्र में कहा है कि इस मुद्दे पर मान सरकार द्वारा कोई रिपोर्ट अभी तक नहीं दी गई है.

चौथा मुद्दा: मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच विवाद का एक और मामला बायोटेक्नोलॉजिस्ट एस. एस. गोसाल की अगस्त 2022 में पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना के कुलपति के रूप में नियुक्ति को लेकर है. राज्यपाल ने आरोप लगाया है नियुक्ति यूजीसी के मापदंड को ताक में रखकर की गई थी. 

मान सरकार ने राज्यपाल को पत्र लिखकर कहा कि गोसाल की नियुक्ति अवैध नहीं थी और उन्होंने पुरोहित को राज्य सरकार के साथ ‘प्रॉक्सी वार’ में शामिल होने से बचने के लिए कहा.’ हालांकि नवंबर में राज्यपाल ने गोसाल को हटाने की जिद पर अड़े रहे लेकिन मान ने उनके आदेश की अनदेखी करते हुए गोसाल को कुलपति बनाए रखा.

पांचवा मुद्दा: अंत में सीएम को लिखे अपने पत्र में राज्यपाल ने यह भी कहा उन्होंने पंजाब सरकार द्वारा अपनी आधिकारिक बैठकों में बाहरी लोगों को बैठने की अनुमति देने का मुद्दा उठाया था. राज्यपाल ने पिछले साल दिसंबर में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा द्वारा लिखे गए एक पत्र का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि एक नवल अग्रवाल नामक व्यक्ति मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली पंजाब सरकार की आधिकारिक बैठकों में भाग ले रहे हैं. बाजवा ने दावा किया था कि मुख्यमंत्री ने ‘गोपनीयता की शपथ’ तोड़ी है.

बाजवा के अलावा अन्य विपक्षी नेताओं ने भी इस मुद्दे को उठाया था. शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने मुख्य सचिव के साथ पंजाब पुलिस की एक उच्चस्तरीय बैठक में भाग लेने वाले नवल अग्रवाल की एक तस्वीर ट्वीट की थी.

अग्रवाल पंजाब गुड गवर्नेंस फेलोशिप प्रोग्राम के प्रमुख हैं जो पंजाब सरकार और इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (आईएसबी) के सहयोग से चल रहा एक प्रोग्राम है. पुरोहित द्वारा पत्र लिखे जाने के बाद भी पंजाब सरकार ने कोई कार्रवाई करने के बजाय, उन्हें विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) के रूप में नियुक्त करने के लिए तैयार है.

(संपादनः ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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