प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, एक परिवार को बड़ा बताने के लिए सुभाष चंद्र बोस, बीआर अंबेडकर व सरदार पटेल जैसे नेताओं के योगदान को भुला दिया गया.
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि एक परिवार की मौजूदगी को बड़ा बताने के लिए सुभाष चंद्र बोस, बीआर अंबेडकर व सरदार पटेल जैसे नेताओं के देश के लिए योगदान को भुला दिया गया. मोदी लाल किले की प्राचीर से बोल रहे थे. उन्होंने आजाद हिंद सरकार के स्थापना की 75 साल पूरे होने पर ध्वाजारोहण किया.
आजाद हिंद सरकार की स्थापना बोस द्वारा आजादी के आंदोलन के दौरान की थी. आजाद हिंद सरकार की स्थापना सुभाष चंद्र बोस के विचारों से प्रेरित होकर 21 अक्टूबर, 1943 को सिगापुर में की गई थी.
प्रधानमंत्री ने आजाद हिंद फौज को समर्पित एक संग्रहालय की आधारशिला रखी. मोदी ने कहा कि आजाद हिंद फौज की स्थापना करने वाले सुभाष चंद्र बोस ने कैम्ब्रिज में अपने दिनों को याद करते हुए लिखा था, ‘हम भारतीयों को ये सिखाया जाता है कि यूरोप, ग्रेट ब्रिटेन का ही बड़ा स्वरूप है. इसलिए हमारी आदत यूरोप को इंग्लैंड के चश्मे से देखने की हो गई है.’
जिन्होंने देश की नींव रखी वो भारत को विदेशी चश्मे से देखते रहे
मोदी ने कहा, ‘यह हमारा दुर्भाग्य है कि आजादी के बाद भी जिन्होंने देश व हमारी प्रणाली की नींव रखी वो भारत को विदेशी चश्मे से देखते रहे. इससे हमारी विरासत, संस्कृति, शिक्षा प्रणाली, हमारा अध्ययन सभी बुरी तरह से प्रभावित हुआ.’
मोदी ने कहा, ‘आज मैं निश्चित तौर पर यह कह सकता हूं कि अगर हमारे देश को सुभाष बाबू, सरदार पटेल जैसे शख्सियतों का मार्गदर्शन मिला होता और अगर भारत को देखने के लिए वो विदेशी चश्मा नहीं होता, तो स्थितियां बहुत भिन्न होतीं. यह दुखद है कि सिर्फ एक परिवार की मौजूदगी को बढ़ाने के लिए पटेल, अंबेडकर व बोस जैसे भारत के सपूतों को भुला दिया गया.’
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प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार इसे बदल रही है. उन्होंने कहा कि देश का संपूर्ण विकास बोस के दृष्टिकोण का एक महत्वपूर्ण पहलू था और राजग सरकार बोस की कल्पना के दिशा में जा रही है.
पारंपरिक रूप से प्रधानमंत्री राष्ट्र ध्वज स्वतंत्रता दिवस पर फहराते हैं लेकिन अब मोदी 21 अक्टूबर को लाल किले पर झंडारोहण करने वाले पहले प्रधानमंत्री बन गए हैं.
मोदी का संप्रग सरकार पर पुलिस स्मारक के निर्माण में देरी का आरोप
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार पर राष्ट्रीय पुलिस स्मारक के निर्माण में विफल रहने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि पूर्व की सरकार ने चाहा होता और दिल से प्रयत्न किया होता तो स्मारक कई सालों पहले बन गया होता.
प्रधानमंत्री मोदी ने 21 अक्टूबर को पुलिस स्मारक दिवस के अवसर पर स्वतंत्रता के बाद से पुलिस जवानों द्वारा दिए गए सर्वोच्च बलिदान के सम्मान में राष्ट्रीय पुलिस स्मारक को राष्ट्र को समर्पित करने के दौरान यह टिप्पणी की.
मोदी ने सवाल किया कि आजादी के बाद स्मारक को हकीकत बनने में 70 साल क्यों लगे. वर्ष 1959 में चीनी सैनिकों द्वारा लद्दाख में हॉट स्प्रिंग्स में मारे गए पुलिस जवानों की याद में प्रत्येक वर्ष 21 अक्टूबर को पुलिस स्मारक दिवस मनाया जाता है.
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मोदी ने कहा, ‘देश के पुलिस बल को इस पुलिस स्मारक को समर्पित करने का एक विचार 25-26 पहले आया था. इस स्मारक को तत्कालीन सरकार की मंजूरी मिल भी गई थी. अटलजी की सरकार ने इस विचार को हकीकत बनाने के लिए पहला कदम उठाया और उस समय के तत्कालीन गृहमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी ने संग्रहालय की नींव 2002 में रखी थी.’
मोदी ने कहा, ‘मुझे पता है कि निर्माण कार्य कुछ कानूनी वजहों से प्रभावित हुआ लेकिन अगर पूर्ववर्ती सरकार ने चाहा होता या दिल से प्रयत्न किया होता तो स्मारक कई साल पहले पूरा हो गया होता.’
संप्रग सरकार पर आरोप लगाते हुए मोदी ने कहा, ‘पूर्व सरकार ने आडवाणी जी द्वारा स्थापित पत्थर पर धूल जमा होने दी.’ मोदी ने कहा, ‘2014 में जब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार सत्ता में आई तो हमने इसके लिए बजट पारित किया और संग्रहालय आज राष्ट्र को समर्पित हो रहा है.’
यह स्मारक उन 34,844 पुलिस कर्मियों की याद में बनाया गया है जिन्होंने साल 1947 से अपना कर्तव्य निभाते हुए अपना जीवन देश के लिए बलिदान किया. इस स्मारक का निर्माण शांतिपथ के उत्तरी छोर पर चाणक्यपुरी में 6.12 एकड़ भूमि पर किया गया है. इस मौके पर प्रधानमंत्री ने राष्ट्र को एक पुलिस संग्रहालय भी समर्पित किया.
(समाचार एजेंसी आईएएनएस से इनपुट के साथ)