नई दिल्ली: राजनीति में एक पुरानी कहावत है: ‘न जाने ऊंट किस करवट बैठेगा’. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की शवयात्रा के दौरान भी कुछ ऐसा ही हुआ.
शनिवार सुबह अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी मुख्यालय से निगमबोध घाट के लिए सिंह की शवयात्रा के रवाना होने के दौरान राहुल गांधी और कई वरिष्ठ नेता सेना के ट्रक में पार्थिव शरीर के साथ खड़े थे, जबकि सोनिया गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे एक अलग वाहन में पीछे-पीछे चल रहे थे. कांग्रेस ने किसी तरह सेना के ट्रक में अपना एक कैमरामैन बैठा लिया.
शवयात्रा के शमशान की ओर बढ़ने के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने ‘‘जब तक सूरज चांद रहेगा, मनमोहन आपका नाम रहेगा’’ और ‘‘मनमोहन सिंह अमर रहें’’ जैसे नारे लगाए.
राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, कई कैबिनेट मंत्री और अन्य गणमान्य व्यक्ति — जिनमें भूटान नरेश और मॉरीशस के विदेश मंत्री शामिल थे — निगमबोध घाट पर मौजूद थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उपस्थित लोगों में से कई लोगों से हाथ मिलाते हुए देखा गया.
और बस तभी कुछ बदल गया.
अंतिम यात्रा के साथ आए किसी भी मीडियाकर्मी को अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई. केवल दूरदर्शन के कैमरों को ही अंतिम संस्कार स्थल तक पहुंचने दिया गया. हालांकि, कांग्रेस ने अंतिम संस्कार की रस्मों का लाइवस्ट्रीम करने में कामयाबी हासिल की क्योंकि उसका एक कैमरामैन सेना के ट्रक में सवार होकर स्थल तक पहुंचने में कामयाब रहा.
लेकिन दूरदर्शन के लेंस से इस ऐतिहासिक दृश्य में ज़्यादातर सत्ताधारी पार्टी के चेहरे ही नज़र आए.
राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और मौजूद दूसरे कांग्रेस नेताओं की झलकियां बहुत कम और दूर-दूर तक नज़र आईं.
ऐसा लगा जैसे कांग्रेस ने नहीं, बल्कि भाजपा ने अपना कोई बड़ा नेता खो दिया है.
दोपहर में प्रियंका गांधी ने एक्स पर एक पोस्ट में सरकार पर “संकीर्ण मानसिकता” का आरोप लगाते हुए लिखा, ‘‘आज सुबह डॉ मनमोहन सिंह जी के परिवारजनों को चितास्थल पर जगह के लिए मशक्कत करते, भीड़ में जगह पाने की कोशिश करते, और जगह के अभाव में आम जनता को परेशान होते और बाहर सड़क से ही श्रद्धांजलि देते देखकर ये महसूस हुआ.’’
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह जी के अंतिम संस्कार के लिए यथोचित स्थान न उपलब्ध कराकर सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री के पद की गरिमा, मनमोहन सिंह जी की शख्सियत, उनकी विरासत और खुद्दार सिख समुदाय के साथ न्याय नहीं किया।
इससे पहले सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों को सर्वोच्च सम्मान और…
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) December 28, 2024
बाद में कांग्रेस ने सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि सिंह का राजकीय अंतिम संस्कार “अनादर और कुप्रबंधन का चौंकाने वाला प्रदर्शन” था.
एक्स पर पोस्ट किए गए एक बयान में कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने आरोप लगाया कि दूरदर्शन के अलावा किसी भी समाचार एजेंसी को अंतिम संस्कार का प्रसारण करने की अनुमति नहीं दी गई, जिसके परिणामस्वरूप कैमरे मुख्य रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर केंद्रित रहे और “डॉ मनमोहन सिंह के परिवार को बमुश्किल कवर किया गया”.
डॉ. मनमोहन सिंह के राजकीय अंतिम संस्कार में असम्मान और कुप्रबंधन का चौंकाने वाला प्रदर्शन –
▪️डीडी (दूरदर्शन) को छोड़कर किसी भी समाचार एजेंसी को अनुमति नहीं दी गई; डीडी ने मोदी और शाह पर ध्यान केंद्रित किया, डॉ. सिंह के परिवार को बमुश्किल ही कवर किया।
▪️डॉ. सिंह के परिवार के…
— Pawan Khera 🇮🇳 (@Pawankhera) December 28, 2024
खेड़ा ने यह भी आरोप लगाया कि डॉ. सिंह के परिवार के लिए केवल तीन कुर्सियां सामने की पंक्ति में रखी गईं. कांग्रेस नेताओं को उनकी बेटियों और अन्य परिवार के सदस्यों के लिए सीटों की व्यवस्था के लिए जद्दोजहद करनी पड़ी.
खेड़ा ने लिखा, “राष्ट्रीय ध्वज को उनकी विधवा को सौंपे जाने या गार्ड ऑफ ऑनर के दौरान प्रधानमंत्री और मंत्रियों ने खड़े होने की ज़हमत नहीं उठाई. अंतिम संस्कार की चिता के आसपास परिवार को पर्याप्त स्थान नहीं दिया गया क्योंकि एक ओर सैनिकों ने जगह घेर रखी थी. अंतिम संस्कार की रस्में निभाने वाले पोतों को चिता तक पहुंचने के लिए जगह के लिए संघर्ष करना पड़ा.”
उन्होंने आगे कहा, “अमित शाह के काफिले ने शव यात्रा को बाधित कर दिया, जिससे परिवार की गाड़ियां बाहर रह गईं. गेट बंद कर दिया गया और परिवार के सदस्यों को ढूंढकर वापस अंदर लाना पड़ा. जनता को अंदर आने से रोका गया और वह बाहर से ही कार्यक्रम को देखने पर मजबूर रही.”
कांग्रेस नेता ने कहा कि राजनयिक कहीं और बैठे थे, इसलिए वह कैमरों पर दिखाई नहीं दे रहे थे. “चौंकाने वाली बात यह है कि जब भूटान के राजा खड़े थे, तब प्रधानमंत्री खड़े नहीं हुए.”
उन्होंने आरोप लगाया कि अंतिम संस्कार का पूरा क्षेत्र तंग और खराब तरीके से व्यवस्थित था, जिससे जुलूस में शामिल कई लोगों के लिए जगह नहीं बची.
प्रतिबंधों के बारे में पूछे जाने पर, दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, “रक्षा मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस को मौखिक रूप से सूचित किया था कि मीडिया को अंदर न आने दिया जाए. यह कानून-व्यवस्था की स्थिति के मद्देनज़र और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किया गया था क्योंकि समारोह में कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे. इसके अलावा, डॉ. सिंह के परिवार को लोगों के चिता के पास जाने को लेकर संदेह था, जिसे सुरक्षा तैनाती योजना तैयार करते समय ध्यान में रखा गया था.”
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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