लखनऊ: केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के पति और उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री आशीष पटेल ने योगी आदित्यनाथ सरकार के सूचना विभाग पर बड़ा आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि सूचना विभाग कुछ मीडिया संस्थानों पर दबाव डालकर अपना दल (सोनेलाल) को कमज़ोर करने की कोशिश कर रहा है.
आशीष पटेल का यह हमला ऐसे वक्त आया है, जब पार्टी के कुछ बागी नेताओं ने अपना मोर्चा नाम से नई पार्टी बना ली है. अपना दल (सोनेलाल) बीजेपी का सहयोगी दल है, जो राज्य और केंद्र दोनों जगह सत्ता में है.
आशीष पटेल ने सोशल मीडिया पर तंज भरा पोस्ट लिखकर अपनी ही सरकार और मीडिया पर हमला बोला. उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ मीडिया संस्थान योगी सरकार के दबाव में झूठी खबरें चला रहे हैं ताकि अपना दल (एस) के भीतर भ्रम फैलाया जा सके, यह पार्टी कुर्मी ओबीसी समाज में अच्छी पकड़ रखती है.
उन्होंने दावा किया कि सूचना विभाग को इसी काम के लिए बहुत बड़ा बजट मिला है.
उन्होंने एक्स पर हिंदी में लिखा, “1700 करोड़ रुपये के बजट वाला सूचना विभाग कितना बड़ा दबाव बनाता है! जरा मीडिया के कुछ लोगों से पूछिए कि उन्हें इस दबाव में क्या-क्या लिखना और दिखाना पड़ता है. हर दिन दिखाना पड़ता है कि अपना दल (एस) टूट रहा है. कभी 9 विधायक भागे, कभी 12 विधायक टूटे—ये भी उनकी मजबूरी है.”
इसके बाद उन्होंने तंज भरे लहजे में मीडिया को ‘अनचाही लेकिन समझदारी भरी’ सलाह भी दी. उन्होंने लिखा, “हर दिन ये झंझट क्यों पालना! आज ही एक बार में अपना दल (एस) को जितने हिस्सों में चाहो, बांट दो. 9 विधायक, 12 विधायक—जिनको जहां भेजना है, भेज दो और मन की संतुष्टि के लिए लिख भी दो कि अब अपना दल (एस) नाम की कोई चीज़ बची ही नहीं.”
उन्होंने कहा, “इससे सबका झंझट खत्म, जो आप पर दबाव डाल रहे हैं, वे भी खुश, और सूचना विभाग का 1700 करोड़ रुपये का बजट भी सही जगह खर्च हो जाएगा. फिर आपको भी रोज़-रोज़ बासी नेताओं के झूठे बयानों और फर्जी खबरों के पीछे भागने की नौबत नहीं आएगी.”
आशीष पटेल ने कहा कि अपना दल (एस) मेहनतकश और वंचित समाज के पसीने और खून से बनी पार्टी है. पार्टी ने हमेशा ऐसी साजिशों का सामना किया है और उसके कार्यकर्ता भी इसके लिए पूरी तरह तैयार हैं.
उन्होंने लिखा, “अपना दल कोई कागज़ का घर नहीं है, यह तो उस घास की तरह है जो हर मुश्किल में फिर से उग आती है.”
पोस्ट के आखिर में उन्होंने मशहूर कवि पाश की कविता भी लिखी—
“मैं घास हूं, मैं आपके हर किए-धरे पर उग आऊंगा.
बम फेंक दो चाहे विश्वविद्यालय पर,
बना दो हॉस्टल को मलबे का ढेर,
हमारी झोपड़ियों पर चाहे सुहागा फेर दो,
मुझे क्या करोगे?
मैं तो घास हूं, सब कुछ ढंक लूंगा,
हर ढेर पर उग आऊंगा.
मैं घास हूं, मैं अपना काम करूंगा,
मैं आपके हर किए-धरे पर उग आऊंगा.”
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संकट की शुरुआत कैसे हुई
1 जुलाई को अपना दल (सोनेलाल) के कुछ बागी नेताओं ने नया संगठन अपना मोर्चा बनाने का ऐलान कर दिया. इसमें पार्टी के पूर्व महासचिव अरविंद सिंह पटेल, प्रवक्ता चौधरी ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह पटेल, युवा मोर्चा प्रमुख हेमंत चौधरी और करीब एक दर्जन कुर्मी नेताओं ने खुद को अपना दल (एस) की “असली आवाज़” बताया.
इन नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपना दल (एस) के मौजूदा नेतृत्व पर जमकर हमला बोला. उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी के संस्थापक सदस्यों और पुराने कार्यकर्ताओं को अपमानित कर दरकिनार किया जा रहा है.
मोर्चा के नेताओं ने यह भी कहा कि अनुप्रिया और आशीष पटेल, दोनों ही पार्टी में कुर्मी समाज की अनदेखी कर रहे हैं. उनका दावा है कि वे पार्टी के 9 मौजूदा विधायकों से संपर्क में हैं.
इससे पहले इसी साल, राज्य अध्यक्ष राज कुमार पाल ने भी पटेल दंपती पर उपेक्षा और पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ गलत व्यवहार का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया था. हालांकि, सूत्रों के मुताबिक, राज कुमार पाल ने बागी मोर्चा का साथ नहीं दिया है, क्योंकि वह समाजवादी पार्टी से बातचीत कर रहे हैं.
आशीष पटेल ने इन सबको एक “साजिश” करार दिया.
उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “हमारी पार्टी के खिलाफ साफ-साफ साजिश हो रही है, जब कुछ बागियों ने मोर्चा बनाया, तो हमने मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखकर पूर्वांचल विकास बोर्ड से दो बागियों को हटाने की मांग की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. हमें जानकारी मिली है कि इन बागियों को कुछ ताकतवर लोगों का समर्थन है. हमें इस पूरे खेल की पूरी समझ है. अब हम चुप नहीं रहेंगे.”
यह पहली बार नहीं है जब आशीष पटेल ने बीजेपी सरकार पर हमला बोला हो.
इस साल जनवरी में भी उन्होंने यूपी के तत्कालीन सूचना निदेशक शिशिर सिंह और मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार मृत्युंजय सिंह पर आरोप लगाया था कि उन्होंने झूठी खबरें छपवाकर उनकी छवि खराब की. तब उन्होंने यहां तक कह दिया था कि “अगर हिम्मत है तो एसटीएफ मुझे सीने पर गोली मार दे.”
उस वक्त पटेल अपनी भाभी पल्लवी पटेल के आरोपों का सामना कर रहे थे. पल्लवी ने उन पर तकनीकी शिक्षा विभाग में घोटाले और गड़बड़ी के आरोप लगाए थे, जिसके वे मंत्री हैं.
अनुप्रिया पटेल भी कुछ वक्त से योगी सरकार पर निशाना साध रही हैं. 2024 लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखी थी, जिसमें कहा गया था कि सरकारी भर्तियों में अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए आरक्षित सीटों को अनारक्षित कर दिया गया है.
यह चिट्ठी ऐसे वक्त आई थी जब बीजेपी लोकसभा चुनाव में कमज़ोर प्रदर्शन से जूझ रही थी और सहयोगी दलों में SC और OBC वोटों के विपक्ष की ओर झुकने को लेकर चिंता बढ़ गई थी.
हालांकि,पति-पत्नी दोनों हमेशा अपने भाषणों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की तारीफ करते हैं, लेकिन योगी आदित्यनाथ का नाम लेने से बचते हैं.
उत्तर प्रदेश में कुर्मी समाज, यादवों के बाद दूसरा सबसे बड़ा OBC समुदाय माना जाता है. इनकी अच्छी-खासी राजनीतिक पकड़ है, इसलिए बीजेपी के लिए इस समुदाय के प्रतिनिधि अपने सहयोगी को खोना आसान नहीं है.
हालांकि, अभी तक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन मुख्यमंत्री कार्यालय के एक सीनियर अफसर ने कहा, “असल में ये मामला राज्य और केंद्र के बीच खींचतान का है. अनुप्रिया और आशीष पटेल की केंद्र के बड़े नेताओं से अच्छी नज़दीकी है, लेकिन राज्य के नेताओं से उनकी बनती नहीं है. अब उनका इस्तेमाल राज्य सरकार की छवि खराब करने के लिए मोहरे की तरह किया जा रहा है.”
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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