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Friday, 22 November, 2024
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आंध्र प्रदेश में मंदिर की राजनीति गर्माते ही जगन रेड्डी ने नौ मंदिरों के दोबारा निर्माण के लिए आधारशिला रखी

विश्लेषकों का कहना है कि जगनमोहन रेड्डी ने नौ मंदिरों के पुननिर्माण का फैसला करके विपक्षी दलों पर पलटवार किया है जो ‘ईसाई सीएम’ को लेकर हमलावर हैं.

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हैदराबाद: आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई.एस. जगनमोहन रेड्डी ने उन नौ मंदिरों के पुनर्निर्माण के लिए शुक्रवार को आधारशिला रखी जिन्हें 2016 में सड़कों के चौड़ीकरण के दौरान पिछली तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) सरकार ने ध्वस्त करा दिया था.

इस कदम को हिंदुओं की बीच पैठ बनाने की जगन की कोशिशों के रूप में देखा जा रहा है और ऐसे समय पर उठाया गया है जब वाईएसआरसीपी सरकार राज्य में मंदिरों पर एक के बाद एक हमलों को लेकर विपक्ष के निशाने पर है.

हालांकि, विश्लेषकों का कहना है कि करीब 70 लाख रुपये खर्च करके नौ मंदिरों का पुनर्निर्माण कराने का जगन मोहन का फैसला टीडीपी और अन्य विपक्षी दलों को जवाब देने के लिए है जो इस बात को लेकर मुख्यमंत्री पर निशाना साध रहे हैं कि वह ‘हिंदुओं की भावनाओं की रक्षा करने में विफल’ रहे हैं.

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर नागेश्वर राव ने कहा, ‘फोकस इस बात पर ज्यादा है कि (चंद्रबाबू) नायडू सरकार के समय इन मंदिरों के पुनर्निर्माण के बजाये कैसे ध्वस्त किया गया. ऐसा इसलिए क्योंकि नायडू खुद को हिंदू धर्म के रक्षक के रूप में चित्रित करते रहे हैं और भाजपा से ज्यादा आक्रामक तेवर अपना रहे हैं. नायडू ने खुले तौर पर आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री कैसे ईसाई धर्म को प्रोत्साहित कर रहे हैं और हिंदू भावनाओं को आहत कर रहे हैं. यही वजह कि इस सबका मुकाबला करने के लिए सत्ता पक्ष इस तथ्य को ज्यादा उजागर करना चाहता है कि नायडू के शासन में मंदिर सुरक्षित नहीं थे. इसलिए, इस पूरे मामले में दोनों राजनीतिक दल धर्म और धार्मिक भावनाओं का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए कर रहे हैं.’


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मंदिर राजनीति की वापसी, नायडू का ‘ईसाई सीएम’ पर हमला

पिछले साल दिसंबर में विजयनगरम जिले के रामतीर्थम गांव में 400 साल पुराने मंदिर में भगवान राम की मूर्ति तोड़े जाने के बाद आंध्र प्रदेश में मंदिर की राजनीति एक बार फिर सतह पर आ गई थी. इसके बाद ही टीडीपी और भाजपा ने राज्य सरकार पर ऐसे हमलों को रोकने में नाकाम रहने का आरोप लगाना शुरू कर दिया था.

गांव में पहाड़ी के ऊपर स्थित इस मंदिर में तोड़फोड़ के बाद कई विरोध-प्रदर्शन हो चुके हैं और कई बार राजनीतिक नेता यहां का दौरा कर चुके हैं. भाजपा इस माह के अंत में राज्य भर में एक ‘रथ यात्रा’ का आयोजन करने की योजना भी बना रही है.

राज्य जनवरी के पहले सप्ताह में दो और ऐसी घटनाओं— राजामहेंद्रवरम और विशाखापत्तनम— का गवाह बन चुका है. राजामहेंद्रवरम स्थित मंदिर में तोड़फोड़ की घटना ऐसे समय पर हुई थी जब कुछ घंटे पहले ही मुख्यमंत्री ने रामतीर्थम मंदिर की घटना में दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का निर्देश दिया था.

जनवरी के पहले सप्ताह में यतिगिरमपेटा गांव में एक मंदिर में विनायक की मूर्ति टूटी पाई गई थी. हालांकि, पुलिस ने कहा कि मूर्ति ‘काफी समय’ से टूटी पड़ी थी और हाल में यहां तोड़फोड़ किए जाने की खबरें पूरी तरह भ्रामक हैं.

सरकार के इस मामले में कार्रवाई करने में नाकाम रहने का आरोप लगाते हुए नायडू ने कहा कि मुख्यमंत्री, राज्य के गृह मंत्री और पुलिस महानिदेशक सभी ‘ईसाई’ हैं और इसलिए इस मामले को अनदेखा कर रहे हैं.

नायडू ने कहा, ‘मैं उनकी आस्था पर सवाल नहीं उठा रहा हूं, मेरी अपनी आस्था है. लेकिन दूसरे धर्मों पर हमले बंद होने चाहिए. जगन एक मिनट भी मुख्यमंत्री नहीं बने रह सकते अगर ये हमले जारी रहे.’

सितंबर में भी टीडीपी और भाजपा दोनों ने मंदिरों पर हमलों को लेकर सत्तारूढ़ पार्टी पर निशाना साधा था. भाजपा और टीडीपी जगन के सत्ता आने के बाद से पिछले 19 महीनों के दौरान मंदिरों पर हुए कथित हमलों की सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं.

हालांकि, सरकार इन हमलों के पीछे एक ‘बड़ी साजिश’ मान रही है. राज्य सरकार के सलाहकार देवुलपल्ली अमर ने शनिवार को कहा, ‘लगभग सभी घटनाएं रात के समय हुईं. राज्य सरकार का मानना है कि यह उसे बदनाम करने और सांप्रदायिक रूप से शांतिपूर्ण राज्य में धार्मिक भावनाओं को भड़काने की कोई सोची-समझी साजिश है.’

हिंदू वोट बैंक

एक तरफ जहां राजनीतिक विरोधी मंदिरों के पुनर्निर्माण संबंधी जगन सरकार के फैसले के समय पर सवाल उठा रहे हैं, विश्लेषकों का कहना है कि सत्तारूढ़ पार्टी अपने ‘हिंदू वोट बैंक’ को बचाने की कोशिश कर रही है.

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक तिलकपल्ली रवि ने दिप्रिंट से कहा, ‘पार्टी एक विकट स्थिति में है. उसे हिंदुओं की कोई परवाह न करने और ईसाइयत का पक्षधर होने के आरोपों का सामना करना पड़ रहा है. निश्चित रूप से जब मंदिरों पर एक के बाद एक हमले हो रहे हैं, किसी भी धर्म के अनुयायी के लिए थोड़ा चिंतित होना लाजिमी है. इसलिए वाईएसआरसीपी के लिए यह जरूरी यह है कि वे अपने हिंदू वोट बैंक को बचाएं और वे यह कैसे कर रहे हैं— टीडीपी की राजनीति का जवाब देकर.’

रवि ने कहा कि लेकिन यह पार्टी के लिए कोई बहुत ‘अच्छी रणनीति’ नहीं है बल्कि अपने हथियार डाल देने जैसा है. साथ ही जोड़ा कि सरकार को सबसे पहले तो यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इन हमलों के पीछे जो भी अपराधी हैं, वे सलाखों के पीछे हों.

राज्य भाजपा प्रमुख सोमू वीरराजू ने दिप्रिंट को बताया, ‘सरकार ने जांच को गंभीरता से लेने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है. डेढ़ साल से मंदिरों पर हमले जारी हैं और कितने मामले सुलझे हैं? सरकार को इसे एकसूत्रीय कार्य बनाना चाहिए कि अपराधी 15 दिनों के भीतर सलाखों के पीछे हों.’


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भाजपा का ‘हिंदुत्व’ पर जोर

चंद्रबाबू नायडू की पार्टी जगन सरकार पर हमला करने में भाजपा की तुलना में अधिक आक्रामक रही है. जबसे जगन रेड्डी सत्ता में आए हैं, भाजपा ईसाई धर्म के प्रति उनकी आस्था को उन्हें और उनकी सरकार को निशाना बनाने के लिए इस्तेमाल कर रही है. नायडू की सबसे बड़ी चिंता यह है कि अगर ये हमले तेज हो जाते हैं और अगर भाजपा सही तरह से जगन रेड्डी सरकार पर निशाना साधने में सफल रहती है तो धीरे-धीरे मजबूत विपक्षी दल के तौर पर सुर्खियों में आ जाएगी.

नागेश्वर राव ने कहा, ‘नायडू ने इस पर विश्लेषण किया होगा कि तेलंगाना में भाजपा की हिंदुत्व की राजनीति ने कैसे कांग्रेस को पीछे धकेलकर उसे केसीआर की प्रतिस्पर्द्धी के तौर पर उभारने में मदद की. यहां भी ऐसा हो सकता है, इसके डर से ही टीडीपी ने भाजपा से ज्यादा आक्रामक होने और हिंदुत्व की राजनीति का रास्ता अपनाने की रणनीति अपनाई है. हालांकि यह पार्टी की विचारधारा नहीं है.’

अब जबकि आंध्र प्रदेश खुद को तिरुपति में उपचुनाव के लिए तैयार कर रहा है जिसमें प्रसिद्ध वेंकटेश्वर मंदिर की मेजबानी होती है— वाईएसआरसीपी और टीडीपी दोनों राज्य में भाजपा की रणनीति पर नजरें टिकाए हैं.

रवि ने कहा, ‘यद्यपि वाईएसआरसीपी को पता है कि भाजपा उनकी सरकार पर हमले करते समय उतनी ही आक्रामक है, लेकिन वे जगन और केंद्रीय नेतृत्व के बीच दोस्ती के कारण भगवा पार्टी को ज्यादा निशाना नहीं बनाएंगे. यह बात एकदम जगजाहिर है.’

‘सांप्रदायिक सद्भाव’ समिति

इस बीच, मुख्यमंत्री ने यह कहते हुए विपक्षी दलों की आलोचना की है कि वे कल्याणकारी योजनाओं पर सफलतापूर्वक अमल के जरिये बनाई गई सरकार की छवि को खराब करने के लिए सांप्रदायिक राजनीति का सहारा ले रहे हैं.

सरकार ने इस तरह के हमलों को नाकाम करने के लिए राज्य और जिला स्तर पर ‘सांप्रदायिक सद्भाव समिति’ का गठन किया है. समिति में राज्य के पुलिस महानिदेशक, राज्य पुलिस, जिला कलेक्टर और धार्मिक नेता शामिल हैं.

सितंबर से लेकर अब तक मंदिर से जुड़ी घटनाओं की जांच के लिए एसीबी के अतिरिक्त निदेशक जी.वी.जी. अशोक कुमार की अध्यक्षता में शुक्रवार को एक 16 सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन भी किया गया है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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