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Thursday, 25 April, 2024
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TMC में कई हाई प्रोफाइल नेताओं के शामिल होने की होड़ में मौजूदा राज्यसभा सांसदो में समाया अपनी सीटें खोने का डर

मौजूदा सांसद अर्पिता घोष को गोवा के पूर्व सीएम लुईजिन्हो फलेरियो के लिए रास्ता बनाने के लिए कहा गया था और अब, कई वरिष्ठ नेताओं के शामिल होने के साथ चर्चा है कि और सदस्यों को बदला जाएगा.

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नई दिल्ली: तृणमूल कांग्रेस कई नए सदस्यों के साथ राष्ट्रीय स्तर पर अपनी मौजूदगी बढ़ाने की उम्मीद कर रही है, लेकिन पार्टी के राज्यसभा सांसदों में बेचैनी है. कारण? राजनीतिक स्पेक्ट्रम से कई हाई प्रोफाइल नेताओं के साथ आने वाली अटकलों के साथ – ऐसी आशंकाएं हैं कि उच्च सदन में मौजूदा सांसदों को नए सदस्यों के लिए रास्ता बनाने के लिए कहा जा सकता है.

तृणमूल के पास 12 राज्यसभा सांसद हैं और पार्टी हलकों में अब अटकलें लगाई जा रही हैं कि उनके प्रदर्शन की बारीकी से जांच की जा रही है, जैसे कि उन्होंने सत्रों के दौरान कितने प्रश्न पूछे हैं, उन्होंने कितने हस्तक्षेप किए हैं और वे कितने सक्रिय हैं.

पार्टी ने पहले ही सांसद अर्पिता घोष को गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री लुइज़िन्हो फलेरियो के लिए रास्ता बनाने के लिए कुछ समय पहले अपना इस्तीफा देने के लिए कहा था. कुछ महीने पहले ही पार्टी में शामिल हुए फलेरियो अब उस सीट के लिए चुने गए हैं. घोष के कार्यकाल में महज एक साल ही हुआ था जब उन्हें पद छोड़ने के लिए कहा गया.

राष्ट्रीय राजधानी (22 से 25 नवंबर) की अपनी तीन दिवसीय यात्रा के दौरान, तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तीन पूर्व सांसदों – कीर्ति आजाद और अशोक तंवर को कांग्रेस से और पवन वर्मा को शामिल किया.

भाजपा के एक अन्य सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने भी उनसे मुलाकात की. हालांकि वह अभी तक पार्टी में शामिल नहीं हुए हैं, उन्होंने कहा, ‘मैं पहले ही शामिल हो चुका हूं, आधिकारिक तौर पर ऐसा करने की कोई जरूरत नहीं है.’ हालांकि, बनर्जी के साथ उनकी मुलाकात के समय को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं. स्वामी का राज्यसभा कार्यकाल अप्रैल 2022 में समाप्त हो रहा है.

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मेघालय के पूर्व सीएम मुकुल संगमा भी 11 अन्य लोगों के साथ तृणमूल में शामिल हो गए हैं. संगमा मेघालय से विधायक हैं. इस साल की शुरुआत में पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले, पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, जो कभी भाजपा के कद्दावर नेता थे, भी तृणमूल में शामिल हो गए थे.


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तृणमूल के एक सांसद ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, ‘हमें बहुत सारे वरिष्ठ नेता मिल रहे हैं. इसमें कोई शक नहीं है कि पार्टी उनके लिए जो भी भूमिका तय करेगी, उसे वे अपना लोहा मनवा सकते हैं. लेकिन यह अंततः दीदी का निर्णय है और हम सभी पार्टी के सिपाही हैं, जो वह हमें बताएगी और जो देश और पार्टी के सर्वोत्तम हित में है, उसका पालन करेंगे.’

‘संसद सत्र बाधित’

जबकि तृणमूल सांसदों का कहना है कि वे जो कुछ भी करने के लिए कहा जाता है, वे करने के लिए तैयार हैं, कई नाम पहले से ही पार्टी हलकों में हैं, जिन्हें अपनी कुर्सी खोनी पड़ सकती है

पार्टी के एक अंदरूनी सूत्र ने कहा, ‘लेकिन यह सब पार्टी पर निर्भर है. कुछ अन्य हैं जिनके प्रदर्शन की जांच की जा रही है. जब कोई निर्णय लिया जाएगा तो हमें पता चल जाएगा.’

हालांकि, एक सांसद ने दिप्रिंट को बताया कि सभी इस्तीफे को संसद में प्रदर्शन से जोड़ना अनुचित होगा.

सांसद ने पूछा, ‘कोई भी अर्पिता के प्रदर्शन पर सवाल नहीं उठा सकता. ये पार्टी द्वारा लिए गए निर्णय हैं. पिछले कुछ वर्षों में उच्च सदन ने निष्पक्ष मूल्यांकन के लिए कितना काम किया है?’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें )

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