नई दिल्ली: गुजरात में भारतीय जनता पार्टी किसी भी संभावित बगावत, जो गुजरात विधानसभा चुनावों की शुरुआत में ही उसकी गणना को बिगाड़ सकता है, को शुरू होने से पहले ही खत्म करने के लिए एक नया ‘जुगाड़’ लेकर आई है, और यह है – संभावित बागियों को ‘मनाने’ में मदद के लिए उनके करीबी माने जाने वालों की मदद लेना.
भाजपा के कुछ सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि आम आदमी पार्टी (आप) द्वारा दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए कई सीटों पर अपने उम्मीदवारों की सूची घोषित किये जाने के बाद, भाजपा ने अपने कई सांसदों और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से संभावित उम्मीदवारों के नामों की सिफारिश करने को कहा है.
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि चुनाव के लिए संभावित उम्मीदवारों की एक सूची के अलावा, पार्टी ने ऐसे लोगों की एक और सूची भी मांगी है, जो ऐसे ‘संभावित प्रत्याशियों’ के करीबी माने जाते हैं और जो टिकट न मिलने की स्थिति में उन्हें ‘मनाने’ में मदद कर सकते हैं.
इस बीच, पार्टी के एक पदाधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि बीजेपी इस बात को लेकर चिंतित है कि जिन लोगों को टिकट नहीं दिया जायेगा, वे पार्टी के समग्र प्रदर्शन में सेंध लगा सकते हैं.
पार्टी के एक अन्य नेता ने दिप्रिंट को बताया, ‘हर चुनाव में यह एक ऐसा मुद्दा होता है जिसमें बहुत सारा समय और ऊर्जा लगती है. जिन लोगों को टिकट नहीं दिया जाता है वे धरना प्रदर्शन करने लगते हैं या फिर वे विपक्षी खेमे में शामिल होने का फैसला भी कर लेते हैं. आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ऐसे भाजपा पदाधिकारियों का इंतजार कर रहे हैं ताकि वे उन्हें लुभा सकें. यही कारण है कि इस बार संभावित उम्मीदवारों के करीबी माने जाने वालों की एक सूची तैयार करने का निर्णय लिया गया है ताकि वे बिना समय बर्बाद किए तुरंत उनसे संपर्क कर सकें. ‘
गुजरात की 182 सदस्यीय विधानसभा के लिए इस साल के अंत में चुनाव होने की संभावना है. भाजपा, जो साल 1995 से गुजरात में सत्ता में है, 2017 के चुनाव में दर्ज की गयी अपनी दोहरे अंकों वाली तालिका में सुधार करने की कोशिश कर रही है. उस साल कांग्रेस ने इसे कड़ी टक्कर देते हुए 77 सीटों पर जीत हासिल की थी और भाजपा को 99 तक सीमित कर दिया था.
इस साल अरविंद केजरीवाल की आप के मैदान में आने से मुकाबला और कड़ा हो गया है.
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AAP फैक्टर
2017 में, भाजपा ने अपने कई सारे ऐसे वरिष्ठ पार्टी कार्यकर्ताओं को निलंबित कर दिया था, जिन्होंने पार्टी के टिकट से वंचित होने के बाद स्वतंत्र उम्मीदवारों के रूप में चुनाव लड़ने या प्रतिद्वंद्वी दलों के उम्मीदवारों के रूप में खड़े होने का फैसला किया था. वास्तव में, कुछ भाजपा उम्मीदवार ऐसे बागियों के कारण चुनाव हार भी गए थे .
इस बार, एक और कारक – राज्य के कुछ हिस्सों में आप की बढ़ती लोकप्रियता – भाजपा की बढ़ती बेचैनी का कारण बन रहा है. आप ने गुजरात में अपने लिए कुछ राजनैतिक जमीन हासिल कर ली है और पिछले साल हुए नगरपालिका चुनावों में, उसे को सूरत में 28 प्रतिशत, गांधीनगर में 21 प्रतिशत और राजकोट में 17 प्रतिशत वोट मिले थे .
भाजपा के एक नेता ने बताया कि संगठनात्मक स्तर पर, राज्य भाजपा अध्यक्ष सी.आर. पाटिल पार्टी के ‘एक दिन, एक जिला’ कार्यक्रम पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, ताकि जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं की समस्याओं को समझा जा सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि चुनावी रणनीति पर निर्णय लेने से पहले उनकी प्रतिक्रिया अथवा राय भी ली जाए,
इस पहल के तहत, पार्टी एक जिले में लगभग 8-10 मतदाताओं तक पहुंच बनाने वाले कार्यक्रम चलाती है – जैसे कि छोटी- छोटी बैठकें करना, बुद्धिजीवियों को शामिल करना, राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं के लाभार्थियों तक पहुंच बनाना और साथ ही साथ शिकायतों का समाधान निकालने के लिए आमने-सामने की बैठकें करना.
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