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Friday, 10 May, 2024
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शिक्षा, स्वास्थ्य और फ्री योजनाओं के सहारे अरविंद केजरीवाल ने फिर से जीता दिल्ली का दिल

इस बार भी नई दिल्ली सीट केजरीवाल के लिए लकी साबित हुई.उन्होंने अपनी सीट पर ध्यान देने के बजाए पार्टी के लिए अन्य सीटों पर प्रचार किया.उनके लिए उनके परिवार ने वोट मांगे.

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नई दिल्ली: दिल्ली वालों ने एक बार फिर आम आदमी पार्टी पर भरोसा जताया है. रुझानों में पार्टी 70 विधानसभा सीटों में से 57 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है. राज्य के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने लगातार तीसरी बार नई दिल्ली विधानसभा सीट से हैट्रिक लगाने जा रहे हैं. इस सीट से भाजपा ने सुनील कुमार यादव और कांग्रेस ने रोमेश सभरवाल को मैदान में उतारा था.

विकास के कामों पर फोकस और बीजेपी के सवाल पर मिली बड़ी जीत

आप को दिल्ली की यह जीत केवल अरविंद केजरीवाल के नाम पर ही मिली है. आप ने अपना पूरा प्रचार अभियान दिल्ली सरकार द्वारा किए गए कामों पर ही ​फोकस रखा. इनमें मोहल्ला क्लिनिक, मुफ्त बिजली-पानी, महिलाओं को फ्री बस यात्रा, बुजुर्गों के लिए तीर्थ यात्रा और शिक्षा के क्षेत्र में किए गए महत्वपूर्ण बदलाव विशेष तौर पर शामिल है.

सीएम अरविंद केजरीवाल ने अपनी हर रैली और जनसभा में विकास के कामों को गिनाया. इसके अलावा अगले पांच सालों की रुपरेखा प्रस्तुत की. वहीं भाजपा को घेरने के लिए केवल एक ही सवाल किया कि ‘दिल्ली में भाजपा का सीएम उम्मीदवार कौन है.’ इसके जवाब में भाजपा ने पीएम मोदी के चेहरे का प्रयोग भी किया लेकिन चुनाव में भाजपा को कोई बड़ी सफलता हाथ ​नहीं मिली.

आम आदमी पार्टी ने अपने चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी प्रशांत किशोर की पीआर कंपनी को दी थी. दिल्ली की जीत का श्रेय प्रशांत किशोर को भी दिया जा सकता है. आप को बढ़त मिलने के बाद किशोर ने ट्वीट कर कहा, ‘भारत की आत्मा को बचाने के लिए दिल्ली की जनता का शुक्रिया.’ गौरतलब है कि किशोर को नीतीश कुमार ने हाल ही में पार्टी से निकाल दिया था.

नहीं किया पीएम मोदी पर सीधा वार

विधानसभा चुनाव घोषित होने से पूर्व ही आप ने एक रणनीति के तहत काम करना शुरु कर दिया था. लोकसभा चुनाव के परिणाम में सफलता नहीं मिलने के बाद पार्टी ने पीएम मोदी पर सीधा प्रहार करना बंद कर दिया. पांच साल में किए विकास के कामों पर ही चुनाव को फोकस रखा. भाजपा ने शाहीन बाग जैसे मुद्दों को उछाला लेकिन आप इससे किनारा कर विकास ईद-गिर्द ही चुनाव को रखा.

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इसके अलावा अरविंद केजरीवाल ने लोगों को यह बताने में कामयाब हुए कि उन्होंने घोषणापत्र में जो वाद किए थे उन्होंने उसे पूरा कर दिखाया है. इन पांच सालों में केजरीवाल और उनकी सरकार पर कोई भी भ्रष्टाचार के बड़े आरोप नहीं लगे हैं. जो आरोप लगे भी वह साबित नहीं हो पाए. लोगों की सीएम केजरीवाल और उनके ऑफिस तक आसानी से पहुंच ने भी उन्हें पूरे पांचों साल तक लोक​​प्रिय बनाए रखा.

फिर लकी साबित हुई नई दिल्ली सीट

सीएम केजरीवाल को अपनी हैट्रिक पर पूरा भरोसा था. इसके चलते उन्होंने अपनी सीट पर ध्यान देने के बजाए पार्टी के लिए अन्य सीटों पर प्रचार किया. हालांकि उनकी सीट पर पत्नी और बेटा-बेटी ने घर-घर जाकर उनके लिए वोट मांगे. भाजपा की ओर से गृहमंत्री अमित शाह भी इस विधानसभा में रैली की थी.

इस बार भी नई दिल्ली सीट केजरीवाल के लिए लकी साबित हुई. अपने गठन के वक्त से ही इस सीट पर जीतने वाला सीएम बनता रहा है. पहले इस सीट का नाम गोल मार्केट सीट था. लेकिन परिसीमन के बाद इसका नाम नई दिल्ली सीट कर दिया गया. बीते पांच चुनावों में जो इस विधानसभा सीट से जीता है वह ही राज्य के मुख्यमंत्री के पद पर काबिज हुआ है. इसके पहले कांग्रेस से शीला दीक्षित तीन बार और आप से अरविंद केजरीवाल दो बार इस सीट पर जीत हासिल कर चुके है. 1993 में भाजपा के टिकट पर कीर्ति आजाद ने इस सीट से जीत दर्ज की थी.

2013 के विधानसभा चुनावों में अरविंद केजरीवाल ने अपना पहला चुनाव इसी सीट से लड़ा था.उन्होंने 15 साल तक दिल्ली की सीएम रही शीला दीक्षित को हराया था. इसके बाद दिल्ली में कांग्रेस के समर्थन से 49 दिनों की सरकार भी चलाई थी. 2015 के विधानसभा चुनावों में पार्टी ने 70 सीटों में 67 सीटों पर जीत हासिल की थी.

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