बारामूला: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का एक पोस्टर लोगों का ध्यान काफी आकृष्ट कर रहा है. 42 वर्षीय कश्मीरी स्वास्थ्य कार्यकर्ता मसरत जल्दी से आगे बढ़कर बगल की एक सीट में बैठ जाती है, अपना मोबाइल फोन निकालती है, और शाह के पोस्टर के साथ एक सेल्फी लेती है. फिर तुरंत इसे सोशल मीडिया पर पोस्ट भी कर देती है.
तभी उसकी कुछ सहकर्मी हंसते हुए उसकी बांह पकड़कर खींचती हैं और कहती हैं, ‘तो, तुमने अपनी उपस्थिति दर्ज करा ली? अब तुम्हारा काम हो गया? हमें भी सेल्फी लेने दो. हम भी आज सुबह 4:30 बजे के उठे हैं.’
मसरत जम्मू-कश्मीर प्रशासन के उन सदस्यों में शामिल हैं, जिन्हें बुधवार को शाह की जनसभा के लिए कश्मीर के बारामूला में शौकत अली मीर स्टेडियम लाया गया. गृह मंत्री शाह जम्मू-कश्मीर के तीन दिवसीय दौरे पर हैं और अनुच्छेद 370 निरस्त किए जाने के बाद पहली बार इस तरह की रैलियां कर रहे हैं.
मंच को खूबसूरत फूलों से सजाया गया है, कैमरे व्यवस्थित तरीके से एक कतार में लगे हैं, और बड़ी-सी एलसीडी स्क्रीन लगाई गई हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि भीड़ में सभी को शाह की झलक दिखे.
और क्या जबर्दस्त भीड़ है. कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए पुलिसकर्मी और जम्मू-कश्मीर के विभिन्न विभागों के कर्मचारी ‘ड्यूटी पर’ हैं, साथ ही क्षेत्र के पंचायत और वक्फ बोर्ड सदस्य भी मौजूद हैं. पुलिस के साथ-साथ सीआरपीएफ और सशस्त्र सीमा बल के जवानों की कड़ी सुरक्षा-व्यवस्था के बीच बड़ी संख्या में आसपास के इलाकों के लोग भी पहुंचे हैं.
लेकिन सबसे बड़ा और उत्साही समूह पहाड़ी समुदाय के सदस्यों का है, जो एक भाषाई समूह है और इसमें हिंदू और मुसलमान दोनों शामिल हैं. एक दिन पहले ही पीर पंजाल क्षेत्र के राजौरी में एक रैली में शाह ने घोषणा की थी कि इस समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिया जाएगा.
और रैली में शामिल पहाड़ी समुदाय के लोग इस घोषणा के जवाब में अपनी खुशी जाहिर करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. वे ढोल की थाप पर नाच रहे हैं, बांसुरी बजा रहे हैं और दशकों पुरानी अपनी मांग सुने जाने को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शाह की प्रशंसा में नारे लगा रहे हैं.
यदि इसे लागू किया गया तो यह पहली बार होगा जब किसी भाषाई समूह को भारत में कोटा का लाभ मिलेगा. नौकरियों और कॉलेजों में प्रवेश में समुदाय को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए केंद्र सरकार को संसद में आरक्षण अधिनियम में संशोधन करना होगा.
पहाड़ी समुदाय के लिए ये कदम बेहद निर्णायक होगा, जो करीब तीन दशक पहले जम्मू-कश्मीर में गुर्जर और बक्करवाल समुदायों को एसटी कोटे में शामिल किए जाने के बाद से आरक्षण की मांग कर रहे थे. इन तीनों ही गैर-कश्मीरी भाषी समुदायों में हिंदू और मुस्लिम दोनों शामिल हैं और वे अनंतनाग और बारामूला जिलों के अलावा पीर पंजाल क्षेत्र में भी बसे हुए हैं.
इसे भाजपा के लिए भी कुछ फायदेमंद माना जा रहा है. यदि पहाड़ी लोगों को एसटी का दर्जा दिया जाता है, तो पार्टी क्षेत्र की सात विधानसभा सीटों में अपना विस्तार कर सकती है.
‘सरकार के बहुत आभारी हैं’
कश्मीर के पूर्व आईजीपी रजा एजाज अली खान द्वारा स्थापित एक संगठन पहाड़ी जनजाति एसटी फोरम की कार्यकारी समिति के सदस्य नासिर गिलानी ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि वह इसके लिए सरकार के बहुत आभारी हैं कि आखिरकार उसने इस समुदाय की मांगों को सुना है.
वह कहते हैं, ‘अब, हमारे बच्चे बेहतरीन शिक्षण संस्थानों में पढ़ सकेंगे. उन्हें अच्छे पदों पर नियुक्ति मिल सकेगी. और वे आईएएस, आईपीएस अधिकारी बनेंगे. यह प्रतिनिधित्व हमारे लिए बहुत मायने रखता है.’
उन्होंने कहा, ‘हम 30 सालों से इसका इंतजार कर रहे हैं. मांग 1974 में उठी थी लेकिन हमें छोड़ दिया गया और 1991 में गुर्जरों को विशेष दर्जा और आरक्षण दिया गया. इतने सालों के बाद हमारी बात सुनी गई है और हम इसके लिए सरकार के बहुत आभारी हैं.’
गिलानी बताते हैं कि जम्मू-कश्मीर और कश्मीर में लगभग 24 लाख पहाड़ी हैं, जिनमें से अधिकांश उड़ी, पुलवामा, कुपवाड़ा, शोपियां, पहलगाम और बडगाम में रहते हैं.
समुदाय के सदस्यों को यह उम्मीद भी है कि आरक्षण लागू होने के लिए अब उन्हें बहुत लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा.
पीर पंजाल बेल्ट में पहाड़ी समुदाय के लोगों के लिए काम करने वाले एक अन्य समूह पहाड़ी वेलफेयर फोरम के सदस्य सद्दाम हुसैन कहते हैं, ‘हम बस यही उम्मीद करते हैं कि हम सभी को वह मिल जाए जिसका अभी वादा किया गया है. अभी गृह मंत्री ने घोषणा की है लेकिन उम्मीद है कि हमें इसका लाभ भी जल्द ही मिलेगा.ट
पहाड़ियों के लिए आरक्षण की घोषणा पर गुर्जर और बक्करवाल समुदायों के बीच नाराजगी की खबरों के बारे में पूछे जाने पर कश्मीर में भाजपा के प्रवक्ता अल्ताफ ठाकुर ने कहा कि यह कोई मुद्दा ही नहीं है.
वह कहते हैं, ‘घाटी में वर्षों से शासन करते रहे क्षेत्रीय दल लोगों को खुश नहीं देख सकते. गुर्जर नाखुश नहीं हैं, उन्हें सिर्फ गुमराह किया जा रहा है, और इसके पीछे इरादा समुदायों के बीच दरार पैदा करना है. पहाड़ियों को किसी भी आरक्षण देने का मतलब बक्करवालों या गुर्जरों को मिलने वाले लाभों को कम करना नहीं है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘चारों ओर देखो. हमने यहां 30,000 से अधिक लोगों को लाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन यह संख्या बहुत अधिक हो गई है. यही लोकतंत्र की ताकत है, भाजपा की ताकत है.’
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: RSS प्रमुख मोहन भागवत ने जनसंख्या नीति बनाने पर दिया जोर, कहा- सभी पर समान रूप से लागू हो