नई दिल्लीः देश के गृहमंत्री अमित शाह को पद संभाले अभी दो हफ़्ते भी पूरे नहीं हुए हैं पर अध्यक्ष अमित शाह अपने अगले लक्ष्य को हासिल करने के लिए बीजेपी संगठन को चुस्त-दुरुस्त करने में जुट गए हैं. लोकसभा चुनाव में मिली अपार जीत की रफ़्तार कम न हो इसके लिए तीन राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों के लिए बीजेपी संगठन को मिशन मोड पर जुट जाने को कहा गया है.
गृहमंत्री का पद संभालने के बाद नए अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो इसके लिए मोदी सरकार के पहले बजट सत्र से ठीक तीन दिन पहले 13-14 जून को सभी राज्यों के बीजेपी अध्यक्ष और संगठन मंत्रियों को शाह ने दिल्ली बुलाया है. एजेंडा है नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए राज्यों के संगठनात्मक चुनाव प्रकिया को शुरू करना.
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क्यों जरूरी है बीजेपी का संगठनात्मक चुनाव?
बीजेपी संविधान के मुताबिक नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए 50 प्रतिशत राज्य इकाइयों के चुनाव संपन्न हो जाने चाहिए. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह अपना तीन साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं और लोकसभा चुनाव संपन्न होने तक अपने पद पर बने रहने का फ़ैसला किया था.
बीजेपी के एक व्यक्ति, एक पद के सिद्धांत के मुताबिक अमित शाह के गृहमंत्री का पद संभालने के बाद संगठन को नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव करना है पर क्या खुद अमित शाह तीनों राज्यों के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को जीत दिलाए बिना नए अध्यक्ष को अपनी सीट देने का भरोसा रख पाएंगें? वैसे एक विकल्प कार्यकारी अध्यक्ष का भी है पर इसके लिए बीजेपी संविधान में संशोधन करना पड़ सकता है. वहीं अध्यक्ष पद की रेस में जेपी नड्डा और भूपेन्द्र यादव का नाम सबसे आगे हैं पर पलड़ा जेपी नड्डा की तरफ भारी है.
बीजेपी महासचिव के मुताबिक इस पूरी प्रक्रिया को संपन्न होने में दो से तीन महीने का समय लग सकता है. बीजेपी के नए अध्यक्ष के चुनाव के साथ बिहार उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में राज्य बीजेपी अध्यक्षों की नियुक्ति भी होनी है.
राज्य इकाइयों में बिहार बीजेपी अध्यक्ष नित्यानंद राय केन्द्रीय कैबिनेट में गृह राज्यमंत्री बन चुके हैं तो यूपी बीजेपी अध्यक्ष महेन्द्र नाथ पांडे कौशल विकास मंत्री तो वहीं महाराष्ट्र बीजेपी अध्यक्ष राव साहब दानवे के मंत्रिमंडल में शामिल होने से चुनावी राज्य में नए अध्यक्ष की नियुक्ति शाह की पहली प्राथमिकताओं में शामिल है.
चुनावी राज्यों में ब्रांड मोदी की लोकप्रियता के सहारे विधानसभा जीतने की रणनीति
बीजेपी की राज्य इकाइयों की संगठनात्मक बैठक का एक बड़ा एजेंडा लोकसभा में मिली अपार जीत की गति को बरकरार रखना भी है. राज्यों के विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव के पैटर्न के अंतर को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह बहुत अच्छे से समझते हैं. पिछले साल दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव में राजस्थान मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी को एंटी इनकंबेंसी के कारण अपनी सरकारें गंवानी पड़ी थी.
रणनीति के मुताबिक राज्य सरकारों की एंटी इनकंबेंसी से निपटने के लिए बीजेपी ब्रांड मोदी की लोकप्रियता और उज्ज्वला, आयुष्मान भारत, कैश ट्रांसफर की केन्द्रीय योजनाओं की सफलता पर ज्यादा जोर देगी.
बीजेपी के मुताबिक ब्रांड मोदी की विश्वसनियता राज्यों में भी असर दिखाएगी इसलिए पीएम मोदी और अमित शाह सरकार संभालने के साथ साथ इलेक्शन मोड में बने रहेंगे. झारखंड राज्य इकाई को 21 जून के योग दिवस के राष्ट्रीय कार्यक्रम के लिए पूरी तरह से जुट जाने को कहा गया है. पीएम मोदी योग दिवस के कार्यक्रम के लिए रांची पहुंच रहे हैं तो गृहमंत्री अमित शाह हरियाणा.
संगठन की इस मेगा बैठक में पूरे देश में सालभर चलने वाले बीजेपी संगठन के कार्यक्रमों की लिस्ट को भी अंतिम रूप दिया जाना है. मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले बजट को जनता तक पहुंचाने के लिए सभी केंद्रीय मंत्रियों को राज्यों में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने का निर्देश दे दिया गया है. महात्मा गांधी और दीनदयाल उपाध्याय के जन्मदिन पर नए कार्यक्रमों की रूपरेखा भी इस बैठक में तय की जानी है.
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नए सदस्यता अभियान की रूपरेखा
राज्य इकाइयों के चुनाव संपन्न होते ही बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह विश्व के सबसे बडे़ राजनैतिक संगठन के विस्तार को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का लक्ष्य हासिल करना चाहतें है. खासकर इस बार का फ़ोकस पश्चिम बंगाल उड़ीसा तेलंगाना केरल तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश जैसे राज्य हैं जहां बीजेपी के पास फुटप्रिंट बढ़ाने की असीमित संभावनाएं हैं.
दक्षिण की कुल 130 लोकसभा सीटों में से एनडीए केवल 30 सीटें ही हासिल कर सकी है जिसमें केवल कर्नाटक से बीजेपी 25 सीटें जीती है. केरल में पार्टी का खाता नहीं खुला पर बीजेपी ने अपने वोट प्रतिशत में इजाफा कर 12 से 14 प्रतिशत पर पहुच गई है.
वैसे सदस्यता अभियान देख रहे बीजेपी महासचिव के मुताबिक इसका एजेंडा नए अध्यक्ष के ज़िम्मे भी सौंपा जा सकता है पर ज़ाहिर है संगठन का रिमोट कंट्रोल तो इलेक्शन मशीन माने जाने वाले गृहमंत्री अमित शाह के पास ही होगा.
पश्चिम बंगाल में बीजेपी 70 फ़ीसदी बूथ केन्द्रों पर अपनी पहुंच बना चुकी है जिसे 100 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य बनाया गया है. 11 करोड़ की सदस्यता वाली पार्टी बीजेपी का लक्ष्य 13 से 15 करोड़ जनता को अपनी विचारधारा से जोड़ने का है.