नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने केंद्र की पिछली सरकारों पर तीखा हमला बोला और कहा कि पहले की सरकारों के विपरीत जिनका हर कदम वोट बैंक की राजनीति से चलता था, नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र के नीति-निर्माण सिद्धांत ‘लोगों को खुश करने’ के हिसाब से नहीं तय होते हैं. बल्कि उनकी भलाई करना ही भाजपा सरकार का एकमात्र उद्देश्य है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार कुछ फैसले ‘कड़े’ नजर आते होंगे, लेकिन वह ‘लोगों की भलाई’ के लिए हैं. ‘नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद देश में बड़े बदलाव हुए हैं. पहले नीतियां वोटबैंक को ध्यान में रखकर बनती थीं. मोदी सरकार ने कभी भी लोगों को खुश करने के लिए नीतियां नहीं बनाई, बल्कि लोगों की भलाई के लिए बनाई.’ एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शाह ने ये बातें कही.
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और डायरेक्ट खाते में पैसे के ट्रांसफर समेत सरकार द्वारा उठाये गये कुछ कदमों का हवाला देते हुए गृह मंत्री ने कहा कि इन फैसलों का विरोध स्पष्ट है और समझ में आता है.
उन्होंने कहा, ‘जब हम जीएसटी लाए तो हमारा विरोध होना स्वाभाविक था. जब हम डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) लाए, जिसका भारी विरोध हुआ था. यह स्पष्ट था क्योंकि बिचौलिए इसे पसंद नहीं करेंगे. इसी तरह, जो फैसले लिए गए हो, हो सकता है वे कड़े हों, लेकिन वे लोगों की भलाई के लिए हैं.’
शाह ने कहा, ‘मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं क्योंकि अगर आपको नीति को समझना है, तो नीतियां बनाते समय बुनियादी सिद्धांतों को भी समझना होगा. हमने नीतियां बनाते समय कभी वोट बैंक के बारे में नहीं, बल्कि समस्या के समाधान के बारे में सोचा है.’
गृह मंत्री ने आगे कहा कि मोदी सरकार ने शासन के तरीके को ‘रूल बेस्ड लर्निंग’ से ‘रोल बेस्ड लर्निंग’ में बदल दिया है.
शाह ने पिछली सरकारों के बारे में कहा कि पहले की नीतियां बुनियादी समस्याओं को केंद्र में रखकर नहीं बनाई गईं और कहा कि मोदी सरकार ने नीतियों के मानदंड और आकार में बदलाव किया है.
उन्होंने कहा, ‘मोदी सरकार ने समस्याओं को कभी भी टुकड़ों में नहीं देखा. पहले बुनियादी समस्याओं के पूर्ण समाधान को ध्यान में रखते हुए नीतियां नहीं बनाई जाती थीं. मोदी सरकार ने नीतियों के मानदंड और आकार बदल दिया है.’
शाह ने कहा, ‘जहां तक जनसुविधाओं का सवाल है, हमारा प्रशासन हाइरार्की के तहत काम करता है. हर स्तर पर अलग-अलग चुनौतियां होती हैं. अधिकारियों को भी अलग-अलग स्तरों से मिले सुझावों को अपने नजरिए से देखना होगा और पक्षी की नजर से देखना होगा. उसके बाद उन्हें अपने क्षेत्र में सुशासन के मंत्र रचने होंगे.’
मीडिया का जिक्र करते हुए गृहमंत्री ने कहा कि किसी भी सरकार की अच्छी बातों को बिना किसी व्यक्तिगत विचारधारा के स्वीकार किया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘किसी भी सरकार की तटस्थ होकर (परवाह किए बिना) अच्छी चीजों को स्वीकार किया जाना चाहिए. चाहे किसी भी विचारधारा की सरकार हो, अगर कोई पत्रकार खुले दिमाग से परिणामों को स्वीकार नहीं करता है, तो वह पत्रकार नहीं, बल्कि एक एक्टिविस्ट है. एक एक्टिविस्ट पत्रकार और एक पत्रकार एक्टिविस्ट नहीं हो सकता है.’ दोनों अलग-अलग काम हैं. दोनों अपनी-अपनी जगह अच्छे हैं. लेकिन अगर दोनों एक-दूसरे का काम करने लगें तो दिक्कत होगी. आजकल ऐसा काफी देखा जाता है.’
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