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Thursday, 25 April, 2024
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‘पर्यावरण संरक्षण’ या ‘जालंधर उपचुनाव’? CM भगवंत मान ने जीरा शराब फैक्ट्री को बंद करने का दिया आदेश

पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच संघर्ष के एक महीने बाद, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने 'पर्यावरण की रक्षा' के लिए फैक्ट्री बंद करने की घोषणा की. यह फै़सला आंदोलनकारी किसानों तक पहुंचने की सरकार की इच्छा का संकेत देता है.

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चंडीगढ़: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने प्रदर्शनकारी किसानों की बढ़ती संख्या को देखते हुए मंगलवार को सात महीने से विरोध झेल रही एक शराब फैक्ट्री को बंद करने की घोषणा की.

मान ने अपने बयान में कहा कि फिरोजपुर जिले की जीरा तहसील में मालब्रोस इंटरनेशनल लिमिटेड की एक शराब फैक्ट्री को ‘पर्यावरण को संरक्षित’ करने के लिए तत्काल प्रभाव से बंद किया जाएगा. उन्होंने एक वीडियो स्टेटमेंट में कहा, ‘ यह निर्णय पर्यावरण विशेषज्ञों और कानूनी दिग्गजों के साथ विचार-विमर्श के बाद लिया गया.’

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोई भी, चाहे वह कितना भी संपन्न क्यों न हो, देश के कानून को हल्के में नहीं ले सकता है और जो भी इसका उल्लंघन करने का दोषी होगा, उसके साथ सख्ती से निपटा जाएगा.

पंजाब के फिरोजपुर जिले के मंसूरवाल गांव में स्थित यह फैक्ट्री पिछले जुलाई से बंद है, क्योंकि गांव के किसानों ने कारखाने के गेट के बाहर एक स्थायी धरना शुरू कर दिया था. किसानों ने आरोप लगाया गया था कि फैक्ट्री हवा, पानी और मिट्टी को प्रदूषित कर रही है.

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पिछले कुछ महीनों में, यह मुद्दा किसान संघों और भगवंत मान सरकार के बीच विवाद का विषय बन गया है.

फैक्ट्री के मालिक शराब कारोबारी दीप मल्होत्रा हैं, जो शिरोमणि अकाली दल के पूर्व विधायक हैं, जिन्हें अब आम आदमी पार्टी (आप) का करीबी बताया जाता है. मल्होत्रा का कार्यालय कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले की जांच के हिस्से के रूप में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा पिछले अक्टूबर में मारे गए छापों में से एक था.

पंजाब सरकार के सूत्रों ने सरकार के इस ‘हृदय परिवर्तन’ के संभावित कारणों के रूप में किसान संघों के बीच बढ़ती नाराजगी और जालंधर में होने वाले लोकसभा उपचुनाव का हवाला दिया.

पंजाब चुनाव में आप की भारी जीत के प्रमुख कारकों में से एक, किसान पिछले कुछ महीनों से विभिन्न कारणों के कारण मान सरकार के खिलाफ हैं.

यह भी ध्यान देने योग्य है कि यह फैसला जालंधर से कांग्रेस सांसद संतोख चौधरी की मृत्यु के कुछ दिनों बाद आया है. चौधरी के शनिवार को निधन के कारण संसदीय सीट के लिए उपचुनाव कराना जरूरी होगा.


यह भी पढ़ें: HC नए सिरे से पंजाब शराब प्लांट आंदोलन की जांच के लिए राजी, लेकिन एक शर्त पर – पहले बंद हो प्रदर्शन


आप का ‘फ्लिप-फ्लॉप’

आप सरकार के इस फैसले से पंजाब के किसानों के साथ सात महीने से चली आ रही जंग का अंत हो गया है.

अक्टूबर में, मल्होत्रा ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय से प्रदर्शनकारियों को हटाने और कारखाने को फिर से खोलने के लिए संपर्क किया था. पिछली सुनवाई 23 दिसंबर को हुई थी, जिस दौरान उच्च न्यायालय ने पंजाब सरकार को प्रदूषण के आरोपों के संबंध में विशेषज्ञ समितियों द्वारा नई रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा था.

सुनवाई की अगली तारीख 28 फरवरी है.

हालांकि, पंजाब सरकार का निर्णय, गठित विभिन्न विशेषज्ञ समितियों द्वारा अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने से पहले ही आ गया था. यह उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त पैनल का विरोध स्थल का दौरा करने के कुछ घंटों बाद आया.

अपने बयान में, मान ने कहा कि यह निर्णय ‘राज्य के पर्यावरण और पारिस्थितिकी पर इस परियोजना के प्रभावों को ध्यान में रखते हुए’ लिया गया था और यह परियोजना क्षेत्र के पारिस्थितिक संतुलन को बिगाड़ सकती थी.

यह बयान उनकी सरकार द्वारा कारखाने के संबंध में पहले लिए गए स्टैंड के विपरीत है.

दिसंबर में लगातार तीन दिनों तक, मंसूरवाल में पंजाब पुलिस प्रदर्शनकारियों की बढ़ती कतारों से भिड़ती रही. झड़प तब हुई जब मान सरकार ने उच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन करते हुए आदेश दिया कि प्रदर्शनकारियों को कारखाने के गेट के बाहर से जबरन हटा दिया जाए.

प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सैकड़ों मामले दर्ज किए गए, और उनपर कई बार लाठीचार्ज भी किया गया.

मान सरकार ने मामले की सुनवाइयों के दौरान चुप्पी बनाए रखी- प्रदर्शनकारियों को जबरन हटाने के संबंध में उच्च न्यायालय का आदेश, उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने और प्रदर्शनकारियों की जमीन और संपत्ति की कुर्की के संबंध में आदेश, ये सभी अदालत में सरकार द्वारा निर्विरोध चले गए.

पंजाब सरकार के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि यह फ़ैसला जालंधर संसदीय उपचुनाव को लेकर आप सरकार की तैयारियों का हिस्सा भी हो सकता है.

प्रदर्शनकारियों के पास सरकार के खिलाफ विभिन्न शिकायतों के बीच उच्च न्यायालय द्वारा कारखाने के मालिक द्वारा किए जा रहे नुकसान की भरपाई के आदेश के बाद 20 करोड़ रुपये जमा करने की तत्परता थी.

(संपादनः ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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