scorecardresearch
Saturday, 20 April, 2024
होमराजनीतिअजमल की पार्टी से रिश्ता तोड़ते हुए असम कांग्रेस ने कहा- BJP के लिए AIUDF की प्रशंसा समझ से परे

अजमल की पार्टी से रिश्ता तोड़ते हुए असम कांग्रेस ने कहा- BJP के लिए AIUDF की प्रशंसा समझ से परे

AIUDF और कांग्रेस ने आपस में हाथ मिलाकर, इस साल हुए प्रदेश चुनावों में BJP के ख़िलाफ एक महाजोट बना लिया था. सांसद गौरव गोगोई का कहना है कि AIUDF द्वारा बार बार BJP की प्रशंसा करना बेहद अशोभनीय है’.

Text Size:

नई दिल्ली: असम में कांग्रेस ने बदरुद्दीन अजमल के ऑल इंडिया युनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) से, ये आरोप लगाते हुए नाता तोड़ लिया है, कि उसके द्वारा बीजेपी की निरंतर और रहस्यमयी प्रशंसा करने से, कांग्रेस की सार्वजनिक को नुक़सान पहुंचा है, और उन्हें अब इससे कोई फायदा नहीं पहुंच रहा है.

ये फैसला असम कांग्रेस की कोर कमेटी ने लिया, जिसमें अध्यक्ष भूपेन बोरा, विधायक दल के नेता देबब्रत सैकिया और कई वरिष्ठ पार्टी नेता, तथा गौरव गोगोई और रिपुन बोरा जैसे सांसदों के अलावा, अन्य नेता भी शामिल हैं.

असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार, सोमवार को कांग्रेस कोर कमेटी की ओर से पारित एक प्रस्ताव में कहा गया है, ‘कमेटी ने देखा है कि महाजोट गठबंधन सहयोगी एआईयूडीएफ के बीजेपी के प्रति व्यवहार और रवैये से, कांग्रेस पार्टी के सदस्य चकरा गए हैं’.

प्रस्ताव में आगे कहा गया, ‘एआईयूडीएफ नेतृत्व और वरिष्ठ सदस्यों के द्वारा, बीजेपी पार्टी और मुख्यमंत्री की निरंतर और रहस्यमयी प्रशंसा करने से, कांग्रेस की सार्वजनिक छवि को नुक़सान पहुंचा है. इस संबंध में एक लंबी चर्चा के बाद, असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कोर कमेटी सदस्य एकमत से इस निर्णय पर पहुंचे, कि एआईयूडीएफ अब महाजोट का गठबंधन सहयोगी नहीं रह सकता, और इस संबंध में एआईसीसी को सूचित किया जाएगा’.

दि हिंदू के अनुसार, एआईयूडीएफ विधायक दल के अध्यक्ष हाफिज़ बशीर अहमद ने, कांग्रेस के फैसले को ‘एक तरफा’ और ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ क़रार दिया है.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

मंगलवार को दिप्रिंट से बात करते हुए, सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि ज़मीनी स्तर के कार्यकर्त्ताओं की ओर से, गठबंधन के बारे में नकारात्मक फीडबैक मिलने के बाद ही, पार्टी इस फैसले पर पहुंची है.

गोगोई ने दिप्रिंट से कहा, ‘ज़मीनी कार्यकर्त्ताओं और पार्टी के कई नेताओं को लगा, कि एआईयूडीएफ द्वारा बार बार BJP की प्रशंसा करना बेहद अशोभनीय है’, और उससे ऐसा लगता है कि वो बीजेपी से कुछ अहसान लेना चाह रहे हैं’.

एआईयूडीएफ लीडर बदरुद्दीन अजमल के भाई, और पार्टी विधायक सिराजुद्दीन अजमल ने जुलाई में कथित रूप से, सीएम हिमांता बिस्व शर्मा की प्रशंसा करते हुए उनके काम की सराहना की थी, जिससे बाद एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया था.

2006 में एआईयूडीएफ की स्थापना के बाद से ही, कई सालों से उसकी कांग्रेस के साथ अनबन चली आ रही थी. राज्य के बंगाली मुसलमानों के बीच, पार्टी को काफी लोकप्रिय माना जाता रहा है.

लेकिन, 2021 के विधान सभा चुनावों के लिए, दोनों पार्टियां हाथ मिलाकर ‘महाजोट’ या महागठबंधन के बड़े झंडे तले आ गईं थीं. कई कांग्रेस नेताओं ने उस समय भी गठबंधन को स्वीकार नहीं किया था, लेकिन उसके साथ सिर्फ इसलिए आगे बढ़ गए थे, कि बीजेपी-विरोधी वोट बंटने न पाए. लेकिन फिर भी, गठबंधन बहुमत के आंकड़े तक नहीं पहुंच सका, और बीजेपी की अगुवाई में एनडीए ने,126 में से 75 असेम्बली सीटें जीत लीं, जबकि महाजोट की झोली में केवल 50 सीटें आईं.


यह भी पढ़ें: यह एक नये राहुल गांधी हैं, और विपक्षी एकता के लिए ‘सक्रिय’ भूमिका निभाने में जुटे हैं


‘BJP के निशाने पर आए अजमल फाउण्डेशन ने सरकार को चंदा दिया’

कांग्रेस ने इस ओर भी ध्यान आकृष्ट किया है, कि अजमल फाउण्डेशन (बदरुद्दीन अजमल द्वारा संचालित एनजीओ) ने जून 2021 में, कोविड से लड़ने के लिए सीएम राहत कोष में चंदा भी दिया था, जबकि ये वही फाउण्डेशन था जिसपर दिसंबर 2020 में गुवाहाटी पुलिस ने, विदेशों से धन वसूलने का मुक़दमा दर्ज किया था, और बीजेपी ने उसके ऊपर कथित तौर पर आतंकी रिश्तों का आरोप लगाया था.

असम कांग्रेस प्रवक्ता बोबीता शर्मा ने कहा, ‘हमने देखा कि चुनावों के दौरान बीजेपी किस तरह, एआईयूडीएफ और अजमल फाउण्डेशन पर निरंतर दुराचार का आरोप लगाती थी. लेकिन जब वही फाउण्डेशन सरकार के पास चंदा देने के लिए गया, तो उन्होंने फौरन स्वीकार कर लिया’.

उन्होंने आगे कहा, ‘इससे उनका व्यवहार संदेहास्पद हो जाता है, जैसे कि उनके बीजेपी के साथ क़रीबी रिश्ते हों. सच कहें, तो लोग ये सब देखते हैं. वो सब अनावश्यक रूप से कांग्रेस की छवि को नुक़सान पहुंचा रहा था’.


य़ह भी पढ़ें: ‘हमें हिंदू बनाने की कोशिश’- कैसे जयपुर का किला मीणाओं-हिंदू समूहों के बीच टकराव की वजह बना


‘गठबंधन नहीं, पार्टी पर ध्यान देने का समय’

प्रस्ताव के तहत कांग्रेस कोर कमेटी ने, पार्टी के एक और महाजोट सहयोगी, बोड़ोलैण्ड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) के साथ गठबंधन पर भी सवाल खड़े किए. 2016 में बीपीएफ राज्य सरकार में बीजेपी का सहयोगी था, लेकिन 2021 में वो विपक्षी गठबंधन में शामिल हो गया था.

प्रस्ताव में कहा गया कि ‘चूंकि बीपीएफ पहले ही कई मंचों पर, महाजोट में बने रहने की अपनी अनिच्छा को ज़ाहिर कर चुका था’, इसलिए कोर कमेटी चाहेगी कि आलाकमान इस मामले में भी कोई फैसला करे. शर्मा ने कहा कि जहां एआईयीडीएफ से नाता तोड़ने का उनका निर्णय अंतिम था, लेकिन बीपीएफ से अलग होने का फैसला अभी किया जाना है.

ये पूछे जाने पर कि क्या उन्हें चुनावों के लिए एआईयूडीएफ से हाथ मिलाने का खेद है, गोगोई ने कहा कि प्रचार के दौरान गठबंधन कारगर था, लेकिन कांग्रेस को अब ख़ुद को मज़बूत करने पर काम करना चाहिए.

गोगोई ने कहा, ‘चुनावों के दौरान हमारा प्रचार अच्छा था, और नेताओं ने साथ मिलकर काम किया. लेकिन अब समय है कि हम कांग्रेस के संगठन को मज़बूत बनाने पर काम करें, और एक पार्टी के तौर पर ख़ुद को ताक़तवर बनाएं’.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करे)


य़ह भी पढ़ें: पुराने नेता बनाम ‘टीम राहुल’, केरल में नए असंतोष की लड़ाई का सामना कर रही कांग्रेस


 

share & View comments