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Friday, 6 December, 2024
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‘हमें हिंदू बनाने की कोशिश’- कैसे जयपुर का किला मीणाओं-हिंदू समूहों के बीच टकराव की वजह बना

आदिवासी आमागढ़ किले में मूर्तियों की चोरी के बाद भगवा झंडा फहराने पर 4 प्राथमिकी दर्ज की गईं, और मीणा समुदाय परेशान है, जिनका कि राजस्थान की अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित 25 सीटों में से 18 पर बोलबाला है.

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जयपुर: पांच किलोमीटर लंबी कठिन चढ़ाई, तीखा घुमावदार रास्ता, इसके बाद करीब 100 फीट की पैदल दूरी तय करने के बाद नजर आने वाली सीढ़ियां पूर्वी जयपुर स्थित आमागढ़ किले की ओर जाती हैं.

सदियों पुराना ये किला इस समय राजस्थान के एक आदिवासी समुदाय और राज्य में हिंदू संगठनों के बीच टकराव का केंद्र बना हुआ है, जिसकी प्राचीर पर जून में एक भगवा झंडा फहराया गया था.

राज्य के एक आदिवासी समुदाय मीणाओं के लिए, किले में अम्बा माता मंदिर है, जो उनकी कुल देवी हैं और इस समुदाय के लोग उनकी पूजा करते हैं.

इस समुदाय का आरोप है कि किले के ‘हिंदूकरण’ की कोशिश के तहत भगवा झंडा फहराए जाने के पीछे दक्षिणपंथी हिंदुत्व समूहों के सदस्यों का हाथ है.

मीणा समुदाय के प्रतिनिधियों का कहना है कि उनकी पहचान सनातन धर्म के अनुयायी के तौर पर है, न कि हिंदू धर्म से जुड़ी हुई. और उनकी अपनी मान्यताएं और संस्कृति है.

सार्वजनिक तौर पर बढ़ते आक्रोश के बीच निर्दलीय विधायक रामकेश मीणा के नेतृत्व में मीणा समुदाय के सदस्यों ने 21 जुलाई को झंडा उतारने का फैसला किया था.

हालांकि, इस पूरी कवायद के दौरान झंडा फट गया—मीणा समुदाय के कार्यकर्ताओं का दावा है कि यह ‘अनजाने’ में हुआ और यह उस दिन तेज हवाएं चलने का नतीजा था.

लेकिन हिंदू समूह इस तर्क से सहमत नहीं थे. सोशल मीडिया पर हैशटैग #Arrest_Ramkesh_Meena के साथ इस घटना के वीडियो वायरल होने लगे, जिसके बाद प्राथमिकी दर्ज की गई.

हालांकि, विधायक मीणा ने दिप्रिंट को बताया कि उन्होंने केवल ‘मीणा समुदाय की विरासत बचाने की कोशिश की’ और वह ‘हिंदू समूहों की तरफ से कुछ भी थोपे जाने’ के खिलाफ हैं.

वहीं, इस पूरे मामले में शामिल हिंदू संगठनों का कहना है कि उन्होंने झंडा फहराकर कोई गलती नहीं की है.

सारे हंगामे के बीच इस मामले में अब तक चार प्राथमिकी दर्ज कराई जा चुकी हैं—एक मीणा समुदाय ने झंडा फहराए जाने के खिलाफ दर्ज कराई है तो दूसरी हिंदू संगठनों की तरफ से झंडा उतारे जाने के खिलाफ की गई, तीसरी एफआईआर मुस्लिम युवाओं के खिलाफ किला परिसर स्थित शिव मंदिर से मूर्तियां चुराने को लेकर दर्ज हुई है. वहीं एक अन्य प्राथमिकी मीणा समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए सुदर्शन टीवी के प्रधान संपादक सुरेश चव्हाणके के खिलाफ दर्ज हुई.


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Independent MLA Ramkesh Meena (centre) plays the dhol at Amagarh fort | By special arrangement
स्वतंत्र विधायक रामकेश मीणा (बीच में) आमागढ़ के किले पर ढोल बजाते हुए | विशेष व्यवस्था से.

मूर्तियां चोरी, हिंदू-मुस्लिम बना मामला

भगवा ध्वज फहराए जाने से पहले 4 जून को आमागढ़ किले के परिसर में स्थित एक छोटे से शिव मंदिर से मूर्तियों की चोरी हो गई थी.

राजस्थान पुलिस ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की और पांच लोगों को हिरासत में लिया जिनमें से चार किशोर थे. ये सभी मुस्लिम थे, जिसके बाद हिंदू संगठनों की तरफ से यह दावा किया जाने लगा कि वे राज्य में सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने के लिए मंदिर में तोड़-फोड़ का प्रयास कर रहे थे.

राजस्थान की विरासत बचाने में जुटे होने का दावा करने वाली संस्था राजस्थान धरोहर बचाओ समिति के संरक्षक भरत शर्मा ने दिप्रिंट से कहा, ‘उन्होंने सांप्रदायिक एजेंडा फैलाने के इरादे से मूर्तियों को तोड़ा, ये मूर्तियां क्षतिग्रस्त किए जाने के तरीके से भी साफ था. इसने पूरे हिंदू समुदाय को नाराज कर दिया.’

हालांकि, पुलिस ने इस घटना के पीछे किसी सांप्रदायिक एंगल की बात से इनकार किया है. जयपुर के सहायक पुलिस आयुक्त नील कमल ने दिप्रिंट को बताया, ‘वे वहां मूर्तियां चुराने आए थे; यह चोरों का काम था. इसके पीछे कोई सांप्रदायिक मामला नहीं था.’

The Amagarh fort in Jaipur | Photo: Nirmal Poddar/ThePrint
कुछ मूर्तियां जो कि किले के अंदर शिव मंदिर में तोड़ी गईं | विशेष व्यवस्था से.

आखिरकार पांचों को जमानत पर रिहा कर दिया गया.

मीणा भी इस बात पर जोर देते हैं कि चोरी का कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है.

विधायक रामकेश मीणा इस ओर इशारा करते हैं कि मूर्तियों की चोरी की घटना का इस्तेमाल झंडा फहराने वालों ने किले पर कब्जा करने के एक बहाने के तौर पर किया था.

रामकेश मीणा ने कहा, ‘यहां हिंदू-मुस्लिम मुद्दे जैसी कोई बात नहीं है, बेवजह ध्रुवीकरण की कोशिश की जा रही है.’ साथ ही जोड़ा, ‘एक बात तो साफ है कि जिसने भी यह (चोरी) किया है, उनसे इसे किले पर कब्जा करने का आधार बनाने की कोशिश की है.’

भगवा झंडा फहराने पर हिंदू संगठनों ने कहा—’हमने इसे गर्व से किया’

राजस्थान धरोहर बचाओ समिति के शर्मा ने दिप्रिंट को बताया कि चोरी के बाद उन्होंने और उनके समर्थकों ने 13 जून को किले का दौरा किया और ‘शिव परिवार’ की नई मूर्तियों को वहां स्थापित करने का फैसला किया.

शर्मा ने कहा, ‘हमने पूजा और मूर्तियों की स्थापना का समारोह बहुत धूमधाम से किया क्योंकि हम सच्चे उपासक हैं.’

शर्मा ने बताया कि पूजा के बाद समूह किले की प्राचीर तक गया और भगवा झंडा फहराया.

The Amagarh fort in Jaipur | Photo: Nirmal Poddar/ThePrint
किले पर भगवा झंडा फहराने के बाद दक्षिणपंथी समूह | विशेष व्यवस्था से.

ध्वज फहराए जाने से जुड़े एक वीडियो में शर्मा और उनके समर्थकों को ‘भारत माता की जय’ और ‘जय राणा प्रताप की’ के नारे लगाते सुना जा सकता है. उन्होंने इस कृत्य का बचाव किया, और कहा कि इसमें ‘कोई नुकसान नहीं’ था.

शर्मा ने कहा, ‘हमारा मकसद था वहां शिव मंदिर की स्थापना करना, और हमने वो सीना ठोक के किया, इसमें कुछ गलत नहीं.’

झंडा फहराने के कुछ दिनों बाद किले के बीच में एक बड़ा भगवा झंडा फहराया गया—जो शहर से दिखाई देता था.

हिंदू समूहों को विपक्षी दल भाजपा का समर्थन हासिल है.

पीटीआई के मुताबिक, भाजपा के किरोड़ी मीणा ने जुलाई के शुरू में दिए गए एक बयान में कहा था, ‘मीणा समुदाय जन्म से लेकर मृत्यु तक सभी हिंदू धार्मिक परंपराओं का पालन करता है. मीणा समुदाय के एक गुट को भड़काकर रामकेश मीणा धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं. उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए.’

Sharma, of the Rajasthan Dharohar Bachao Samiti | Photo: Nirmal Poddar/ThePrint
राजस्थान धरोहर बचाओ समिति के शर्मा | फोटो: Nirmal Poddar/ThePrint

‘अम्बा माता को अंबिका भवानी में बदलना, हिंदुत्व थोपने का एक तरीका’

करीब एक महीने बाद 21 जुलाई को विधायक रामकेश मीणा—जो मीणा के बीच काफी लोकप्रिय हैं—के नेतृत्व में मीणा समुदाय के कुछ लोगों ने भगवा ध्वज उतार दिया. लेकिन इस घटना के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए, जिसमें पता चला कि इस सबके दौरान ध्वज फाड़ भी दिया गया था.

एसीपी कमल ने कहा कि इस मामले में दो प्राथमिकी दर्ज कराई गई हैं—पहली मीणा समुदाय की ओर से भगवा झंडा फहराने के खिलाफ दर्ज कराई गई है और दूसरी झंडा उतारे जाने के खिलाफ दर्ज हुई है. दोनों प्राथमिकी भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 295 के तहत दर्ज की गई हैं, जो धर्म का अपमान करने के इरादे से किसी पूजा स्थल को चोट पहुंचाने से संबंधित है. एसीपी कमल ने बताया कि फिलहाल दोनों मामलों में जांच जारी है.

रामकेश मीणा ने ध्वज उतारे जाने का बचाव करते हुए सवाल किया कि इसे उस जगह पर फहराया ही क्यों गया था.

रामकेश मीणा ने दिप्रिंट से कहा, ‘अभी वे कह रहे हैं कि हमने हिंदू भावनाओं को आहत किया है. लेकिन वे वहां गए ही क्यों थे और पहले वहां भगवा ध्वज क्यों फहराया? किला मीणा विरासत और संस्कृति का हिस्सा है; यह उनका इस पर कब्जा करने का प्रयास था.’

मीणा समुदाय से जुड़े अन्य संगठन भी ध्वज फहराए जाने के खिलाफ हैं और उनका कहना है कि यह किले और मीणा संस्कृति का ‘हिंदूकरण’ किए जाने का एक प्रयास था.

राजस्थान आदिवासी सेवा संघ के नेता गिरिराज मीणा ने दिप्रिंट को बताया, ‘हम सनातन धर्म का पालन करते हैं, और प्रकृति के उपासक हैं. लेकिन ये लोग जबर्दस्ती हमें हिंदू बनाने की कोशिश कर रहे हैं. ध्वज फहराना उसी योजना का हिस्सा है.’

विवाद की एक और वजह किले में स्थित अम्बा माता मंदिर है.

मीणा समुदाय का दावा है कि हिंदू संगठनों ने देवी का नाम ‘अम्बा माता’ से बदलकर ‘अंबिका भवानी’ करने का भी प्रयास किया था, जिसके तहत ही मंदिर के रास्ते में लगे पत्थरों पर भी यही नाम लिखा गया.


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Inscriptions saying Ambika Bhawani | By special arrangement
अंबिका भवानी कहने वाले शिलालेख | विशेष व्यवस्था से.

मंदिर के पुजारी श्रवण कुमार मीणा को लगता है कि यह केवल आदिवासियों पर हिंदू संस्कृति थोपने की ही कोशिश नहीं है, बल्कि समुदाय को धार्मिक संस्थाओं से दूर रखने का प्रयास भी है.

श्रवण कुमार मीणा ने दिप्रिंट को बताया, ‘ये लोग खुद को धर्म का ठेकेदार समझते हैं.’

उन्होंने कहा, ‘हजारों सालों से इन लोगों ने आदिवासियों और दलितों को धार्मिक शास्त्रों और शिक्षा से बाहर रखा है, और इसे अपने लिए सुरक्षित रखा है. केवल इन्हीं लोगों के पास धार्मिक पूजा-पाठ का पेटेंट नहीं है.’

हालांकि, इस बात से शर्मा ने इनकार किया कि ऐसा कोई प्रयास किया गया था. उन्होंने कहा, ‘यह अम्बा माता का मंदिर है और रहेगा. लेकिन मीणा समुदाय की तरफ से इसकी ठीक से रक्षा किए जाने की जरूरत है. वे कहां थे जब शिव मंदिर को तोड़ा गया? उन्हें नियमित रूप से वहां रहने की जरूरत है.’

The priest at the temple, Shrawan Kumar Meena | Photo: Nirmal Poddar/ThePrint
मंदिर के पुजारी श्रवण कुमार मीणा | फोटो: Nirmal Poddar/ThePrint

राजस्थान की मर्दानगी कहां गई : चव्हाणके

भगवा ध्वज उतारे जाने की घटना के बाद सुदर्शन टीवी के प्रधान संपादक सुरेश चव्हाणके ने इस मामले पर कई शो किए, जिसका शीर्षक था ‘भगवा के सम्मान में, हिंदुस्तान मैदान में’ और इस शीर्षक के साथ #Arrest_Ramkesh_Meena का भी इस्तेमाल किया गया.

23 जुलाई को ऐसे ही एक शो में चव्हाणके ने पूछा था, ‘राजस्थान की मर्दानगी शांत क्यों है?’

उन्होंने इस पर आगे सवाल उठाया, ‘अगर यह कृत्य 70 साल पहले किया गया होता, तो क्या राजस्थान के महावीर अपने भगवा ध्वज की रक्षा के लिए पुलिस के पास जाते?’

फिर, 29 जुलाई को, राजस्थान पुलिस ने मीणा समुदाय की भावनाओं को आहत करने के आरोप में चव्हाणके के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की.

मीणा समुदाय का इतिहास और राजनीतिक अहमियत

आईपीएस अधिकारी से लेखक बने हरिराम मीणा कहते हैं कि यह किला 10वीं शताब्दी यानी जयपुर में राजपूतों के शासन से पहले का है.

हरिराम मीणा ने दिप्रिंट को बताया, ‘आमागढ़ किला 967 ईसवी में मीणा समुदाय के नेताओं की तरफ से बनवाया गया था. यह रणनीतिक तौर पर काफी प्रासंगिक रहा है और मीणा समुदाय के इतिहास का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बना हुआ है.

जो आदिवासी दुनिया और आदिवासी दर्शन और समाज जैसी किताबों के लेखक मीणा ने आगे कहा कि हिंदू समुदाय के विपरीत आदिवासी या तो अपने पूर्वजों अथवा फिर प्राकृतिक तत्वों की पूजा करते हैं.

उन्होंने कहा, ‘अम्बा माता, जिसे ‘आमा माता’ भी कहा जाता है, प्राकृतिक रचनात्मकता की पूजा किए जाने से संबंधित हैं क्योंकि आमा का अर्थ रचनात्मकता है.’

किले की ऐतिहासिक प्रासंगिकता के अलावा, मीणा समुदाय राजनीतिक रूप से भी खासी अहमियत रखता है. राजस्थान विधानसभा में कुल 200 सीटें हैं, जिनमें से 25 अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. इसमें से 18 मौजूदा समय में मीणा समुदाय के विधायकों के पास हैं.

यद्यपि मीणा समुदाय को कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों में प्रतिनिधित्व का मौका मिलता है, लेकिन 2017 में स्थापित भारतीय ट्राइबल पार्टी इस समुदाय के बीच तेजी से लोकप्रियता हासिल कर एक तीसरी पार्टी बनी है. बीटीपी आदिवासी संस्कृति की रक्षा के प्रति काफी मुखर रही है, और उसने रामकेश मीणा के प्रयासों का भी समर्थन किया है.

रामकेश मीणा कांग्रेस सरकार का समर्थन करने वाले एक निर्दलीय विधायक हैं लेकिन सत्तारूढ़ दल ने खुद को विवाद से दूर रखते हुए इस मामले में कोई स्पष्ट रुख नहीं अपनाया है.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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