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Wednesday, 20 November, 2024
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कृषि कानून निरसन बिल राज्यसभा में हंगामे के बीच पारित, कांग्रेस ने बताया ‘काला कानून’

निरस्त किए गए तीनों कानूनों को 'काला कानून' करार देते हुए उन्होंने कहा, 'एक साल तीन महीने के बाद आपको (सरकार) ज्ञान प्राप्त हुआ और आपने कानूनों को वापस लेने का फैसला किया.'

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नई दिल्लीः राज्यसभा में भी कृषि कानून निरसन विधेयक 2021 को बिना चर्चा के ही मंजूरी प्रदान कर दिया है. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि कानून निरसन विधेयक 2021 को राज्यसभा में पेश किया, जिसे बिना चर्चा के ही शोरगुल के बीच ध्वनिमत से पारित कर दिया गया. इसी के साथ यह बिल संसद के दोनों सदनों में पारित हो गया है.

दोपहर दो बजे जैसे ही उच्च सदन की कार्यवाही प्रारंभ हुई वैसे ही केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने विधेयक को पेश करते हुए इसे पारित करने का प्रस्ताव रखा. राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि वह कृषि कानून निरसन विधेयक का स्वागत करते हैं और कोई इसके विरोध में नहीं है क्योंकि यह किसानों का मुद्दा है.

निरस्त किए गए तीनों कानूनों को ‘काला कानून’ करार देते हुए उन्होंने कहा, ‘एक साल तीन महीने के बाद आपको (सरकार) ज्ञान प्राप्त हुआ और आपने कानूनों को वापस लेने का फैसला किया.’

इसी बीच, तोमर ने कहा कि सरकार किसानों की भलाई के लिए यह तीनों कानून लेकर आई थी लेकिन दुख की बात है कि वह किसानों को समझा नहीं सकी. विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच ही विधेयक ध्वनिमत से पारित हुआ.

बता दें कि इससे पहले लोकसभा में भी इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया था. बिना चर्चा के बिल को पास कराने पर कांग्रेस ने सरकार पर आरोप लगाए कि ‘आखिर क्यों विधेयक पर चर्चा कराने से सरकार को डर लग रहा है.’

लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने संसद के बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी विधेयक पर चर्चा करने से सरकार को परेशानी क्या है? अतीत में जितने भी कानून निरस्त किए गए हैं, उन पर चर्चा हुई है. फिर सरकार को चर्चा से क्या परेशानी है? सरकार को किस बात का डर है?’

किसानों के मुद्दे पर विपक्षी दलों के हंगामे के कारण लोकसभा की कार्रवाई को दो बार स्थगित करना पड़ा था. बाद में 2 बजे कार्रवाई शुरू करने के कुछ ही मिनटों बाद मंगलवार तक के लिए कार्रवाई को स्थगित कर दिया गया था.

दरअसल, पिछले एक साल से कृषि कानून को लेकर विरोध प्रदर्शन जारी है और विपक्षी पार्टियां भी इसी मुद्दे को लेकर सरकार को लगातार घेरने की कोशिश करती रही हैं. करीब दस दिन पहले पीएम मोदी ने देश को संबोधित करते हुए इसे रद्द करने की घोषणा की थी.


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