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Saturday, 20 April, 2024
होमराजनीतिगोवा में 5 सदस्यों के इस्तीफे के बाद TMC नेता लुइजिन्हो फलेरियो ने कहा-‘मंजिल तक जरूर पहुंचेंगे'

गोवा में 5 सदस्यों के इस्तीफे के बाद TMC नेता लुइजिन्हो फलेरियो ने कहा-‘मंजिल तक जरूर पहुंचेंगे’

विधायक लवू ममलेदर और 4 अन्य ने टीएमसी में शामिल होने के तीन महीने के भीतर ही यह आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़ दी है कि यह ‘गोवा को धर्म के आधार पर बांटने’ की कोशिश कर रही है.

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मुंबई: गोवा में तृणमूल कांग्रेस के पांच सदस्यों ने ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी पर ‘गोवा को धर्म के आधार पर बांटने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए इस्तीफा देने के एक दिन बाद पार्टी उपाध्यक्ष और टीएमसी के राज्यसभा सांसद लुइजिन्हो फलेरियो ने दिप्रिंट से बातचीत में मंजिल पर पहुंचने का पूरा भरोसा जताया. उन्होंने कहा कि ‘बस अपनी मंजिल तक पहुंचेगी, सिर्फ कुछ यात्री उतर गए हैं.’ हालांकि, उन्होंने इन पांच पूर्व सदस्यों की तरफ से पार्टी के खिलाफ लगाए गए ‘सांप्रदायिकता’ के आरोपों पर टिप्पणी से परहेज किया.

पश्चिम बंगाल में 2021 के विधानसभा चुनावों में जीत और राज्य की सत्ता में वापसी के कुछ महीनों बाद सितंबर में टीएमसी ने 2022 के गोवा चुनावों में सभी 40 सीटों पर चुनाव लड़ने के अपने इरादे की घोषणा कर दी थी. टीएमसी नेता और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यह कदम राज्य के बाहर अपनी पार्टी की भूमिका बढ़ाने और इसे राष्ट्रीय परिदृश्य में उभारने की कोशिश के तहत उठाया है. वह 2024 के आम चुनावों में बीजेपी के खिलाफ विपक्षी एकता कायम की दिशा में भी सक्रिय भूमिका निभा रही हैं.

सितंबर के बाद से टीएमसी ने गोवा में पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता फलेरियो समेत विभिन्न दलों के नेताओं को अपने खेमे में जगह दी है. टीएमसी में शामिल होने वाले अन्य लोगों में कांग्रेस के पूर्व विधायक एलेक्सो रेजिनाल्डो लौरेंको, एनसीपी के पूर्व विधायक चर्चिल अलेमाओ और महाराष्ट्र गोमांतक पार्टी (एमजीपी) के पूर्व विधायक लवू ममलेदर शामिल रहे हैं.

हालांकि, शुक्रवार को ममलेदर ने टीएमसी में शामिल होने के तीन महीने के भीतर ही चार अन्य सदस्यों—राम मांद्रेकर, किशोर परवार, कोमल परवार और सुजय मल्लिक—के साथ पार्टी से इस्तीफा दे दिया जो गोवा में पैर जमाने की कोशिश में जुटी टीएमसी के लिए संभवतः पहला बड़ा झटका हो सकता है.


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‘राज्य का सेक्युलर ताना-बाना टूटने नहीं देंगे’

इन पांचों नेताओं की तरफ से शुक्रवार को ममता बनर्जी को भेजे गए पत्र में आरोप लगाया गया है, ‘हम ऐसी पार्टी में नहीं रहना चाहते जो गोवा को बांटने की कोशिश कर रही है. हम अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (एआईटीसी) और एआईटीसी गोवा को मैनेज करने वाली कंपनी (प्रशांत किशोर के नेतृत्व वाले आई-पीएसी के संदर्भ में) को राज्य के सेक्युलर ताने-बाने को कोई नुकसान नहीं पहुंचाने देंगे और इसकी हर तरह से रक्षा करेंगे.’

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इसमें आगे कहा गया है, ‘हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण एमजीपी (टीएमसी की सहयोगी) की ओर और कैथोलिक वोटों का ध्रुवीकरण एआईटीसी के पक्ष में करने की एआईटीसी की कोशिश पूरी तरह से सांप्रदायिक है.’

इस्तीफा सौंपने के बाद ममलेदर को यह कहते सुना गया था, ‘मैं टीएमसी में शामिल हुआ था क्योंकि पश्चिम बंगाल चुनावों में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी के प्रदर्शन से बहुत प्रभावित था. मेरी धारणा थी कि टीएमसी एक धर्मनिरपेक्ष पार्टी है लेकिन पिछले 15-20 दिनों में मैंने जो कुछ भी देखा है उससे पता चलता है कि यह बीजेपी से भी बदतर है.’

उन्होंने टीएमसी पर आरोप लगाया कि राज्य में अपने चुनाव पूर्व वादे के तहत घोषित गृह लक्ष्मी योजना की आड़ में पार्टी लोगों का डाटा एकत्र करने के प्रयास में लगी है. इस योजना के तहत टीएमसी ने राज्य में महिलाओं को 5,000 रुपए की सहायता देने का वादा किया है.

लेकिन, ममलेदर ने आरोप लगाया, ‘हमने पाया कि पश्चिम बंगाल में जारी लक्ष्मी भंडार योजना के तहत केवल 500 रुपये दिए जाते हैं, जबकि यहां वे गृह लक्ष्मी योजना के तहत महिलाओं को 5,000 रुपये देने का वादा कर रहे हैं, जो लगभग असंभव है. दरअसल, योजना का वादा पूरी तरह से गोवा से डाटा एकत्र करना है.’

गोवा की राजनीति में कदम रखने की घोषणा के बाद से ही टीएमसी राज्य में व्यापक स्तर पर प्रचार अभियान में जुटी है और ‘गोएंची नवी सकल’ (गोवा की नई सुबह) के रूप में अपनी ब्रांडिंग कर रही है.

(यह खबर अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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