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Friday, 15 November, 2024
होमराजनीतिड्राफ्ट रिपोर्ट में कार्रवाई की सिफारिश के बाद महुआ बोलीं, संसद की आचार समिति एक कंगारू कोर्ट है  

ड्राफ्ट रिपोर्ट में कार्रवाई की सिफारिश के बाद महुआ बोलीं, संसद की आचार समिति एक कंगारू कोर्ट है  

टीएमसी सांसद ने यह भी कहा कि समिति के पास उन्हें लोकसभा से निष्कासित करने का अधिकार नहीं है. विपक्ष के असहमति पर ध्यान दिया जाना चाहिए.

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नई दिल्ली : ‘सवाल के बदले पैसा’ मामले में जांच करने वाली लोकसभा की आचार समिति पर तृणमूल लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा ने ‘कंगारू कोर्ट’ की तरह काम करने का आरोप लगाया है.

एक्स पर एक पोस्ट में टीएमसी सांसद ने यह भी कहा कि समिति के पास उन्हें लोकसभा से निष्कासित करने का अधिकार नहीं है.

महुआ मोइत्रा ने अपनी पोस्ट में कहा, “संसदीय इतिहास में आचार समिति द्वारा अनैतिक रूप से निष्कासित करने वाला पहली शख्स के रूप में होनो पर गर्व है, जिसमें निष्कासित करने का अधिकार शामिल नहीं है. पहले निष्कासित करें और फिर सरकार से कहें कि वह सीबीआई से सबूत ढूंढ़ने को कहें. कंगारू कोर्ट का शुरू से अंत तक” शराररती रवैया है.

कृष्णानगर, सांसद ने यह भी दावा किया कि भाजपा और उसके सांसद निशिकांत दुबे द्वारा उन पर लगाए गए आरोप से उन्हें 2024 में अपनी लोकसभा सीट बड़े अंतर से जीतने में मदद मिलेगी.

महुआ ने एक्स पर पोस्ट में कहा, “वो कहते हैं कि किसी अच्छे संकट को बेकार मत जाने दो- बीजेपी को इस गिरावट के लिए शुक्रिया- यह मेरे 2024 की जीत के मार्जिन को डबल करने में मदद करेगा.”

तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ ‘सवाल के बदले पैसा’ के आरोप में लोकसभा की आचार समिति के रिपोर्ट स्वीकार करने पर

लोकसभा आचार समिति द्वारा तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ ‘कैश-फॉर-क्वेरी’ आरोपों पर रिपोर्ट स्वीकार करने के साथ, कई विपक्षी दलों के नेता गुरुवार को टीएमसी नेता के समर्थन में मजबूती से सामने आए हैं.

तृणमूल कांग्रेस ने भी भाजपा सांसद विनोद सोनकर की अध्यक्षता वाली लोकसभा आचार समिति के कामकाज पर सवाल उठाने वाले अपने सांसद का समर्थन किया है.

टीएमसी मंत्री और प्रवक्ता शशि पांजा ने कहा, “आज आचार समिति की बैठक बुलाई गई थी. यह अनुचित है कि रिपोर्ट को बैठक में पेश किया जाना था और फिर उस पर बहस होनी थी और उस पर मतदान होना था, लेकिन रिपोर्ट के टेबल होने से पहले ही सार्वजनिक डोमेन में आ गई”… अगर कोई जांच होने वाली है, तो एक समिति सिफारिश के साथ कैसे आगे बढ़ रही है.”

इससे पहले बृहस्पतिवार को, तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ बीजेपी सांसद निशिकांत दूबे द्वारा लगाए गए ‘सवाल को बदले पैसा’ के आरोपों की जांच कर रही है लोकसभा आचार समिति की बैठक हुई जिसमें 6:4 के बहुमत के साथ रिपोर्ट को स्वीकार किया गया.

पैनल के चेयरमैन विनोद सोनकर के मुताबिक, कमेटी के 6 सदस्यों ने रिपोर्ट का समर्थन किया, जिसमें कांग्रेस सांसद परनीत कौर शामिल हैं जबकि 4 सदस्यों ने इसका विरोध किया.

उन्होंने आगे कहा कि पैनल शुक्रवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को एक ‘विस्तृत रिपोर्ट’ सौंपेगा.

सोनकर ने कहा, “संसदीय आचार समिति की सिफारिश रिपोर्ट को समिति ने 6:4 बहुमत के साथ स्वीकार कर लिया है. कांग्रेस सांसद परनीत कौर उन छह सांसदों में से एक हैं, जिन्होंने मसौदे का समर्थन किया. एक विस्तृत रिपोर्ट शुक्रवार को लोकसभा अध्यक्ष को सौंपी जा रही है…कार्रवाई, जो भी हो, अध्यक्ष द्वारा की जाएगी.”

सूत्रों के मुताबिक, समिति ने अपनी मसौदा रिपोर्ट में मोइत्रा पर ‘अनैतिक आचरण’ में शामिल होने और अनधिकृत व्यक्ति के साथ अपना आईडी लॉगिन और पासवर्ड साझा करने का आरोप लगाया.

सूत्रों ने कहा, “सभी विपक्षी सांसदों के लिए असहमति नोट प्रस्तुत करने का एक सामान्य आधार यह है कि जांच निष्पक्ष नहीं है. उन्होंने कहा है कि सभी मामलों में स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए दर्शन हीरानंदानी को समिति द्वारा बुलाया जाना चाहिए था.”

मसौदा रिपोर्ट में कई निष्कर्षों दिए हैं, “महुआ मोइत्रा के एक गंभीर गलत आचरण लिए कड़ी सजा की आवश्यकता है. इसलिए, समिति ने सिफारिश की है कि सांसद महुआ मोइत्रा को 17वीं लोकसभा की सदस्यता से निष्कासित किया जा सकता है.”

मसौदा रिपोर्ट में से पता चला है कि “महुआ मोइत्रा के गंभीर गलत आचरण के लिए कड़ी सजा की जरूरत है.”

ऐसा पता चला है, दुबई संयुक्त अरब अमीरात स्थित बिजनेस टाइकून, दर्शन हीरानंदानी से सांसद महुआ मोइत्रा ने पैसे – नकद और वस्तुएं, अनेक अन्य सुविधाएं स्वीकार कर “अनैतिक आचरण’ और ‘सदन की अवमानना” की है.

मसौदा रिपोर्ट लगभग 500 पृष्ठों की है.

पिछले महीने की शुरुआत में, भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने मोइत्रा के खिलाफ लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मिले थे और उन पर उपहार के बदले व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी के इशारे पर अडानी समूह को निशाना बनाने के लिए लोकसभा में सवाल पूछने का आरोप लगाया था.

आचार समिति ने आईपी पते और स्थान के संबंध में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और गृह मंत्रालय (एमएचए) से डिटेल रिपोर्ट मांगी है. समिति ने आईटी अधिनियम 2000 के तहत कानूनी पहलुओं पर जोर देते हुए, लॉगिन क्रेडेंशियल साझा करने के खतरों पर एमएचए से इनपुट भी मांगा.


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