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Tuesday, 2 July, 2024
होमराजनीतिराहुल के भाषण के बाद NDA सांसदों को मोदी की नसीहत — मीडिया से बचें, संसद में सही तरीके से पेश आएं

राहुल के भाषण के बाद NDA सांसदों को मोदी की नसीहत — मीडिया से बचें, संसद में सही तरीके से पेश आएं

मोदी ने यह भी कहा कि विपक्ष इस बात को पचा नहीं पा रहा है कि एक ‘चायवाला’ तीसरी बार प्रधानमंत्री बना है. 18वीं लोकसभा के पहले सत्र में एनडीए सांसदों को यह उनका पहला संबोधन था.

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नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी ने 18वीं लोकसभा के पहले सत्र के दौरान राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सांसदों के साथ अपनी पहली बैठक में कहा कि विपक्ष इस बात को पचा नहीं पा रहा है कि एक ‘चायवाला’ तीसरी बार प्रधानमंत्री बना है.

यह बात विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा लोकसभा में राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-स्नातक (नीट-यूजी) पेपर लीक से लेकर मणिपुर हिंसा तक के मुद्दों पर पीएम नरेंद्र मोदी पर ज़ुबानी हमला करने के एक दिन बाद आई है.

यह बैठक इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि मोदी ने पिछले 17वीं लोकसभा के सत्रों के दौरान केवल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसदों के साथ बैठक की थी.

भाजपा सांसदों के ‘मोदी-मोदी’ के नारे से अलग हटकर ‘भारत माता की जय’ और ‘वंदे मातरम’ के नारों के बीच एनडीए सांसदों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “कांग्रेस की हताशा उसके आचरण में झलकती है और वह यह पचा नहीं पा रही है कि एक ‘चायवाला’ तीसरी बार प्रधानमंत्री बन गया, जो नेहरू के अलावा किसी और ने हासिल नहीं किया, इसलिए कांग्रेस हताश है.”

मोदी ने विपक्ष पर भी हमला करते हुए कहा कि वे आम चुनाव में एनडीए की जीत और राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत को पचा नहीं पा रही है.

बाद में मीडिया को जानकारी देते हुए संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, “प्रधानमंत्री ने कहा कि हर सांसद देश की ‘सेवा’ के लिए यहां आता है और हर सांसद, जो अलग-अलग पार्टियों से जुड़ा है, को देश के विकास के लिए काम करना चाहिए.”

रिजिजू ने मोदी का संदेश देते हुए कहा, सांसदों को सदन में उपस्थित रहना चाहिए, संसदीय परंपरा और रीति-रिवाजों के अनुरूप, जिम्मेदारी से व्यवहार करना चाहिए और एनडीए सांसदों को, विशेष रूप से, विषय विशेषज्ञता विकसित करनी चाहिए और संसद में अधिकार के साथ बोलना चाहिए.

बैठक में मौजूद एक भाजपा सांसद ने नाम न बताने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, “हमने देखा है कि कांग्रेस के शासनकाल में प्रधानमंत्री कैसे रिमोट-कंट्रोल थे, लेकिन हमें राहुल गांधी की तरह व्यवहार करने की ज़रूरत नहीं है, एनडीए सांसदों को संसदीय नियमों के अनुसार संसद में व्यवहार करना चाहिए.”

भाजपा सांसद ने कहा कि पीएम का जोर पहली बार के सांसदों का मार्गदर्शन करने और उन्हें सदन में “प्रभावी” सांसद बनने के तरीके के बारे में परामर्श देने पर था.

भाजपा सांसद ने कहा, “प्रधानमंत्री ने सांसदों से सीखने के लिए कहा क्योंकि उनके निर्वाचन क्षेत्र के लोग उन्हें देख रहे हैं…अगर आज वे कोई सवाल पूछते हैं या कोई महत्वपूर्ण मुद्दा उठाते हैं, तो उनके निर्वाचन क्षेत्र के लोग उनके योगदान की सराहना करेंगे.”

सांसद ने कहा, “अगर वे (सांसद) तीन महीने बाद (सवाल) पूछते हैं, तो निर्वाचन क्षेत्र के लोग पूछेंगे कि उनका सांसद कहां था. संसद में दिया गया कोई भी भाषण, अधिकार के साथ, किसी भी अन्य भाषण की तुलना में अधिक याद किया जाता है क्योंकि यह रिकॉर्ड किया जाता है और संसद के इतिहास का हिस्सा बन जाता है.”

बैठक में मौजूद एनडीए के एक सांसद ने कहा, “प्रधानमंत्री ने एनडीए सांसदों से (संसदीय) सत्रों के दौरान नियमित रूप से मिलने और एनडीए प्रवक्ताओं की एक सूची तैयार करने के लिए कहा, जिसे टेलीविजन चैनलों पर भेजा जाएगा ताकि एकजुट भावना दिखाई जा सके और झूठ और मिथ्यावाद का मुकाबला किया जा सके.”

प्रधानमंत्री ने एनडीए सांसदों को एक और सुझाव दिया कि वे मीडिया से बचें और अनावश्यक रूप से मीडियाकर्मियों से बात न करें. उन्होंने कथित तौर पर एनडीए सांसदों से कहा कि उन्हें वादा करने वाले मध्यस्थों से सावधान रहना चाहिए क्योंकि दिल्ली में स्टिंग ऑपरेशन का खतरा है.

एनडीए सांसद ने कहा कि पीएम ने एक और अनुरोध किया कि प्रत्येक सांसद को अपने परिवार के साथ प्रधानमंत्री संग्रहालय जाना चाहिए, जिसके पीछे कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं है.

एनडीए सांसद ने कहा, “प्रधानमंत्री संग्रहालय पूरे देश को प्रत्येक प्रधानमंत्री के योगदान से अवगत कराने, उसकी सराहना करने और उससे सीखने का एक प्रयास है.”

भाजपा सांसद ने कहा कि मोदी ने चर्चा की कि कैसे कई प्रधानमंत्रियों के योगदान को नजरअंदाज किया गया और “प्रधानमंत्री संग्रहालय चरण सिंह से लेकर मोरारजी देसाई तक हर प्रधानमंत्री के योगदान को प्रदर्शित करने का एक प्रयास है.”

पत्रकारों से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान ने कहा, “जब हमने हाल ही में संसदीय परंपराओं का उल्लंघन होते देखा है, तो प्रधानमंत्री के अनुभव से सीखना बहुत मायने रखता है. हमें आज उनका मार्गदर्शन मिला.”

हालांकि, प्रधानमंत्री ने पहले भी कुछ मौकों पर एनडीए सांसदों को संबोधित किया है, खासकर जब उन्हें 2014 में उनका नेता चुना गया था, लेकिन वे आमतौर पर संसदीय सत्रों के दौरान भाजपा सांसदों की बैठकों में बोलते हैं.

हालांकि, 2014 के बाद पहली बार भाजपा हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में बहुमत हासिल करने में विफल रही है, अब सरकार की निरंतरता के लिए उसे अपने सहयोगियों पर निर्भर रहना पड़ रहा है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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