नई दिल्ली: अगले महीने होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपना उम्मीदवार चुनने के मकसद से मंगलवार को विपक्षी दल बैठक करेंगे.
वहीं, पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल और महात्मा गांधी के पोते गोपालकृष्ण गांधी ने सोमवार को राष्ट्रपति चुनाव में संयुक्त उम्मीदवार बनने के विपक्ष के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है.
इससे पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने भी इस मुकाबले में उतरने से मना कर दिया है.
जानकारी के मुताबिक गांधी के इनकार से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के उम्मीदवार का मुकाबला करने के लिए राष्ट्रपति चुनाव में सर्वसम्मति से उम्मीदवार खड़ा करने का विपक्ष का आगे का रास्ता जटिल हो गया है. राष्ट्रपति चुनाव के लिए सर्वसम्मति से उम्मीदवार तय करने पर विचार करने के लिए प्रमुख विपक्षी दलों की अगली बैठक मंगलवार को होने की संभावना है.
गोपालकृष्ण गांधी ने एक बयान में कहा कि विपक्षी दलों के कई नेताओं ने राष्ट्रपति पद के आगामी चुनावों में विपक्ष का उम्मीदवार बनने के लिए उनके नाम पर विचार किया जो उनके लिए सम्मान की बात है.
उन्होंने कहा, ‘मैं उनका आभारी हूं लेकिन इस मामले पर गहराई से विचार करने के बाद मैं देखता हूं कि विपक्ष का उम्मीदवार ऐसा होना चाहिए जो विपक्षी एकता के अलावा राष्ट्रीय स्तर पर आम सहमति पैदा करे.’
गांधी ने कहा, ‘मुझे लगता है कि और भी लोग होंगे जो मुझसे कहीं बेहतर काम करेंगे. इसलिए मैंने नेताओं से अनुरोध किया है कि ऐसे व्यक्ति को अवसर देना चाहिए। भारत को ऐसा राष्ट्रपति मिले, जैसे कि अंतिम गवर्नर जनरल के रूप में राजाजी (सी राजगोपालाचारी) थे और जिस पद की सबसे पहले शोभा डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने बढ़ाई.’
पूर्व नौकरशाह गोपालकृष्ण गांधी दक्षिण अफ्रीका और श्रीलंका में भारत के उच्चायुक्त के रूप में भी काम कर चुके हैं. गोपालकृष्ण, महात्मा गांधी के परपोते और सी राजगोपालाचारी के परनाती हैं. गोपालकृष्ण गांधी 2017 में उपराष्ट्रपति पद के लिए विपक्षी दलों के उम्मीदवार थे, लेकिन चुनाव में एम वेंकैया नायडू से हार गए थे.
गांधी के बयान से दो दिन पहले जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता अब्दुल्ला ने आगामी राष्ट्रपति चुनाव के लिए संयुक्त विपक्ष के संभावित उम्मीदवार के रूप में अनिच्छा जाहिर करते हुए कहा था कि उन्हें आगे ‘काफी सक्रिय राजनीति में रहना है और वह केंद्र शासित प्रदेश (जम्मू कश्मीर) को वर्तमान महत्वपूर्ण मोड़ से आगे बढ़ाने में योगदान देना चाहते हैं.’
कई विपक्षी दलों के नेताओं ने पिछले बुधवार को एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार से राष्ट्रपति चुनाव के लिए संयुक्त विपक्ष का उम्मीदवार बनने का आग्रह किया लेकिन पवार ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा बुलाई गई बैठक में इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था.
पवार द्वारा प्रस्ताव को अस्वीकार करने के बाद बनर्जी ने बाद में संभावित विपक्षी उम्मीदवारों के रूप में अब्दुल्ला और गांधी के नामों का सुझाव दिया. बीजेपी नीत राजग के खिलाफ संयुक्त उम्मीदवार उतारने पर आम सहमति बनाने के लिए विपक्ष की बैठक में 17 विपक्षी दलों ने हिस्सा लिया था.
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बीजेपी का उम्मीदवार कौन
राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार के नाम पर मंथन के लिए मंगलवार को बीजेपी की भी संसदीय बोर्ड की बैठक हो सकती है. सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी.
सूत्रों के मुताबिक यह बैठक मंगलवार शाम बीजेपी मुख्यालय में हो सकती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस बैठक में शिरकत कर सकते हैं.
बीजेपी ने इस चुनाव के सिलसिले में पहले ही एक 14-सदस्यीय प्रबंधन दल गठित किया है. केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत सहित कई अन्य मंत्री, बीजेपी के तीन महासचिव और कुछ अन्य नेता इसके सदस्य हैं.
बीजेपी के अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के मद्देनजर पार्टी की 14 सदस्यीय प्रबंधन टीम के साथ रविवार को चुनावी रणनीति पर चर्चा की थी.
नड्डा और केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार पर आम सहमति बनाने के लिए विपक्ष सहित अन्य राजनीतिक दलों के साथ परामर्श करने के लिए अधिकृत किया था.
नड्डा और सिंह दोनों ने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के नाम पर सहमति बनाने के लिए अभी तक एनसीपी प्रमुख शरद पवार, तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी, जनता दल (यूनाईटेड) प्रमुख नीतीश कुमार, बीजू जनता दल (बीजद) प्रमुख नवीन पटनायक और नेशनल कांफ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला सहित वरिष्ठ नेताओं से बात की है.
नए राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया 15 जून से शुरू हो चुकी है और नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 29 जून है. जरूरी हुआ तो चुनाव 18 जुलाई और मतगणना 21 जुलाई को होगी.
भाषा के इनपुट से
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