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Saturday, 4 May, 2024
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UP में तीन बार नाकाम कोशिश के बाद, अब केजरीवाल मॉडल के दमपर विधानसभा चुनाव में उतरेगी AAP

यूपी में आप पार्टी पहले भी तीन बार एंट्री मारने की कोशिश कर चुकी है.2014 के लोकसभा चुनाव में 77 में से 76 सीटों पर और 2019 में 7 में से 7 सीट पर हुई थी जमानत जब्त.

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लखनऊ: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पिछले दिनों यूपी नें विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया उसके बाद से आम आदमी पार्टी सूबे में युद्ध स्तर पर सक्रिय हो गई है.

पार्टी की ओर से एक के बाद एक चैलेंज बीजेपी सरकार को दिए जा रहे हैं जो कि चर्चा का विषय बना हुआ है. इसी सिलसिले में मंगलवार को दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया लखनऊ पहुंचे. मनीष ने लखनऊ में कहा कि वो यूपी सरकार से ‘योगी माॅडल’ के बारे में कैबिनेट मंत्री से बहस करने आए हैं. इसके लिए लखनऊ के गांधी सभागार में मंच भी सजाया गया जिस पर योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री और प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह का पोस्टर लगाया गया और ‘केजरीवाल माॅडल’ बनाम ‘योगी माॅडल’ लिखा गया.

खुली बहस की चुनौती देने वाली आप पार्टी के शीर्ष नेताओं ने इस सभागार में लगभग एक घंटा इंतजार किया और उसके बाद वो लखनऊ के सरकारी स्कूल देखने निकल पड़े, जहां पुलिस ने उन्हें रास्ते में रोक लिया.

इस दौरान सिसोदिया ने मीडिया से कहा ‘ योगी माॅडल व केजरीवाल माॅडल पर बहस करने आया हूं. यूपी के नेताओं के मुंह से पहली बार शिक्षा व स्वास्थ्य की बात निकली है. सिद्धार्थनाथ जी सोशल मीडिया पर बोल रहे थे लेकिन वह खुद नहीं आए ‘विकास का माॅडल’ दिखाने तो मैं खुद ही देखने निकल पड़ा.’

योगी सरकार की ओर से फिलहाल इस पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है. दिप्रिंट ने सिद्धार्थनाथ सिंह से संपर्क करने की कोशिश की तो उनके स्टाफ ने मंत्री के मीटिंग में व्यस्त होने की बात कही.

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सिद्धार्थनाथ ने पिछले दिनों बयान दिया था , ‘केजरीवाल को डींगे मारने व लोगों को भ्रमित करने की आदत है. दिल्ली में 1,000 सरकारी स्कूल हैं जबकि यूपी में लगभग 1.35 लाख. यूपी ने 50 हजार स्कूलों का कायाकल्प कर दिया है.’ अपने बयान में कैबिनेट मंत्री ने यह भी कहा था कि केजरीवाल सवालों का जवाब दें, हम बहस के लिए तैयार हैं.

आप ने इस मुद्दे को इनकैश करने के लिए दम लगा दिया है. इसी तरह से अलग-अलग मुद्दों लेकर आप दिल्ली व यूपी माॅडल की तुलना कर रही है.


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पहले भी तीन बार यूपी में एंट्री की कोशिश कर चुकी है AAP

हालांकि ये कोई पहला मौका नहीं है कि जब आम आदमी पार्टी उत्तर प्रदेश में ऐसे मुद्दे उठाकर एंट्री करने की कोशिश कर रही हो.

तीन बार पहले भी आप ऐसी ही कोशिशें की हैं. पहली कोशिश 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान ही की थी जब खुद अरविंद केजरीवाल, पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने वाराणसी आ गए थे. उस चुनाव में आप 77 सीटों पर चुनाव लड़ी थी जिसमें 76 पर पार्टी की जमानत जब्त हो गई थी. पार्टी के उस वक्त के स्टार प्रचारक कुमार विश्वास राहुल गांधी के खिलाफ अमेठी में लड़े लेकिन उनकी भी जमानत जब्त हो गई.

फिर 2017 शहरी निकाय चुनाव में आप ने री-एंट्री की कोशिश की. संजय सिंह को यूपी का प्रभारी बनाया गया. केजरीवाल भी नोटबंदी के बाद लखनऊ में रैली की. हालांकि, वे निकाय चुनाव में प्रचार करने नहीं आए. पार्टी ने इस चुनाव में यूपी भर में 3400 सीटों पर चुनाव लड़ते हुए 44 सीटें जीतीं और पांचवें नंबर पर रही.

2019 लोकसभा चुनाव में भी AAP ने कुछ 7 सीटों पर प्रयास किया लेकिन सफलता नहीं मिली. यहां तक की आप की सातों लोकसभा सीटों पर जमानत जब्त हो गई.

अगर इन चुनावों में पार्टी को मिले वोट पर्सेंट की बात करें तो 2014 के लोकसभा चुनाव में आप पार्टी का वोट पर्सेटेंज 1 फीसदी रहा था जो 2019 में घटकर 0.1 फीसदी ही रह गया था.

विधानसभा चुनाव को लेकर आप पार्टी के यूपी में प्रवक्ता वैभव महेश्वरी ने कहा,’ हमलोग शिक्षा और स्वास्थ्य के इंफ्रास्ट्रक्चर और मुद्दे पर 2022 का चुनाव लड़ेंगे.

महेश्वरी ने दिप्रिंट को बताया, हम इस शासन में फैले भ्रष्टाचार का मुद्दा भी उठाएंगे. हमारे पास विकास और ईमानदारी दिखाने के लिए ‘दिल्ली मॉडल’ है. हमने कैसे ईमानदारी से और लगातार विकास के लिए सक्रिय रहे हैं और काम किया है. अन्य दलों के लोग हमसे जुड़ रहे हैं हम 2022 में अपने प्रदर्शन को लेकर आश्वस्त हैं.


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‘यूपी की जंग कठिन है’

लखनऊ यूनिवर्सिटी के पाॅलिटिकल साइंस के प्रोफेसर कविराज के मुताबिक, ‘अभी AAP के लिए यूपी की जंग काफी कठिन हैं. यहां 4 (बीजेपी, कांग्रेस, सपा व बसपा) बड़े और मजबूत दल पहले से ही हैं. इसके अलावा आरएलडी व अपना दल का भी कई जिलों में प्रभाव है. ऐसे में किसी और दल के लिए यूपी की सियासत में जगह बनाना आसान नहीं. हालांकि ब्रैंडिंग के मामले में AAP किसी से कम नहीं लेकिन यूपी की सियासत काफी कठिन है.’

स्कूल व अस्पतालों को लेकर अब चैलेंज से घेरेगी AAP

आम आदमी पार्टी के यूपी प्रभारी संजय सिंह ने बीते गुरुवार को ऐलान किया कि उत्तर प्रदेश में सरकारी स्कूलों की जर्जर स्थिति का खुलासा करने के लिए आम आदमी पार्टी ने ‘सेल्फी विद सरकारी स्कूल’ अभियान की शुरूआत करने जा रही है.

पार्टी ने उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों के कार्यकर्ताओं को निर्देशित किया है वो टूटे-फूटे, टाट पट्टी वाले और जिन स्कूलों में जानवरों की तस्वीरें सामने आए उन स्कूलों की फोटो क्लिक कर आदित्यनाथ जी को टैग करते हुए पोस्ट डाले, हम उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों की सच्ची तस्वीर प्रदेश की जनता तक पहुंचायेंगे.

दिप्रिंट से बातचीत में संजय सिंह ने कहा, ‘यूपी के सरकारी स्कूलों में कभी मिड-डे मील कांड होता है. कभी जर्जर क्लासरूम की तस्वीरें सामने आती हैं.’सिंह ने आगे कहा, ‘हमारे वॉलंटियर्स अब ये सच जनता के सामने लाएंगे और यहां के सरकारी स्कूलों की हालत देश और सूबे की जनता के सामने आएगी.’ उन्होंने यह भी कहा कि इस कैंपेन से आम लोग भी जुड़ सकते हैं. जहां भी स्कूलों की हालत जर्जर है वे सभी के सामने आने चाहिए.

आम आदमी पार्टी सेल्फी विद सरकारी स्कूल कैंपने के जरिए यूपी की शिक्षा व्यवस्था का हाल दिखाने के बाद स्वास्थ्य व्यवस्था को उजागर किए जाने को लेकर प्लान बना रही है. पार्टी से जुड़े एक सूत्र के मुताबिक, पार्टी ने अपने वर्कर्स को बोल दिया है कि ऐसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व सरकारी अस्पतालों का डाटा इकट्ठा करके रखें जहां का बुरा हाल है. पार्टी मोहल्ला क्लीनिक का मॉडल यूपी में भी पेश कर योगी सरकार को स्वास्थ्य व्यवस्था के मुद्दे पर भी चैलेंज करने की तैयारी में है.

बीजेपी नहीं मानती चैलेंजर

यूपी बीजेपी के प्रवक्ता नवीन श्रीवास्तव ने दिप्रिंट से कहा, ‘आम आदमी पार्टी पब्लिसिटी पाने के लिए इस तरह के स्टंट करती रहती है. ये लोग 2014 में भी भाग्य अपनाने यूपी आए थे.’उन्होंने आगे कहा, ‘केजरीवाल खुद वाराणसी से चुनाव लड़े थे. जो नतीजे आए जनता के सामने हैं.

ये अगर यूपी के स्कूलों की फोटो लेना चाहते हैं तो पहले 2017 से पहले की तस्वीरें भी इकट्ठा करें और तुलना करें कैसे योगी सरकार ने स्कूलों के हालात बदल दिए.’नवीन ने कहा, ‘6 करोड़ से अधिक बच्चों को फ्री जूते-मोजे व बैग बांटे गए ऐसा पहली बार यूपी में इतनी बड़ी संख्या हुआ है. प्राथमिक विद्यालयों में लगातार शिक्षकों की री-क्रूटमेंट हुई हैं. यूपी की आबादी दिल्ली से 10 गुना है लेकिन इसके बावजूद योगी सरकार ने पूरी मेहनत से काम करते हुए शिक्षा व्यवस्था की तस्वीर बदली है.’


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