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Friday, 29 March, 2024
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‘आडवाणी या जोशी को अयोध्या भूमि पूजन का न्यौता नहीं’, और कोई नहीं जानता कि क्यों

दोनों नेता राम जन्मभूमि आंदोलन के मुख्य चेहरे थे- जो 1990 में एलके आडवाणी की रथ यात्रा के साथ एक जन आंदोलन बना, जबकि एमएम जोशी बाबरी मस्जिद गिराए जाने के समय बीजेपी प्रमुख थे.

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नई दिल्ली: 1980 और 90 के दशक के राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े पांच चेहरों- लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती और विनय कटियार- में से कोई भी बुद्धवार को अयोध्या में होने वाले राम मंदिर भूमि पूजन में शरीक नहीं होगा.

सिंह, भारती और कटियार हालांकि निमंत्रित लोगों की सूची में थे, लेकिन वयोवृद्ध बीजेपी नेताओं आडवाणी और जोशी के तो उसमें नाम ही नहीं थे, जिससे ये सवाल उठने लगे कि उन्हें क्यों छोड़ा गया है.

पूर्व उप-प्रधानमंत्री आडवाणी राम जन्मभूमि आंदोलन के प्रमुख नेताओं में थे- माना जाता है कि 1990 में सोमनाथ से अयोध्या तक की उनकी रथ यात्रा ने, इस अभियान को एक जन आंदोलन में तब्दील कर दिया, जिसकी परिणति 6 दिसम्बर 1992 को बाबरी मस्जिद के विध्वंस, और बीजेपी के एक राष्ट्रीय राजनीतिक शक्ति के उदय के रूप में हुई. इस बीच जोशी उस समय बीजेपी अध्यक्ष थे, जब मस्जिद को गिराया गया.


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उम्र का सवाल

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव, चंपत राय ने सोमवार को एक प्रेस कॉनफ्रेंस में कहा, कि आडवाणी को न बुलाए जाने के पीछे का कारण उनकी उम्र थी- उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के कारण, 90 वर्ष से अधिक के लोगों को, ङर पर ही रुकने की सलाह दी गई थी. आडवाणी 92 साल के हैं.

लेकिन, उससे ये जवाब नहीं मिलता कि जोशी, जो 86 साल के हैं, आमंत्रित लोगों की सूची में क्यों नहीं हैं, जबकि 88 साल के पूर्व यूपी सीएम कल्याण सिंह उसमें हैं.

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राय ने कहा था, ‘उम्र की वजह से हमने कल्याण सिंह जी से अनुरोध किया कि वो न आएं, और वो मान गए’. उन्होंने आगे कहा, ‘हमने आडवाणी जी और मुरली मनोहर जोशी जी दोनों से बात की. उन्होंने ख़ुद ही आने में अपनी असमर्थता ज़ाहिर कर दी’.

लेकिन, आडवाणी के क़रीबी सूत्रों ने ज़ोर देकर कहा, कि सोमवार रात तक, उन्हें न तो कोई औपचारिक अथवा अनौपचारिक न्योता मिला, और न ही किसी से कोई फोन आया.

सच्चाई ये है कि राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास, जो बीजेपी नेताओं की इस तिकड़ी से भले ही काफी छोटे हों, लेकिन 82 साल के होने के बावजूद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुख्य मंच पर बैठेंगे.


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‘वो मूल सूची में थे’

विश्व हिंदू परिषद ने भी दिप्रिंट को बताया, कि चंपत राय को आडवाणी और जोशी को फोन करना था, लेकिन सोमवार रात तक दोनों में से किसी लीडर के पास फोन नहीं आया था.

राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, कि आमंत्रित लोगों की मूल सूची में, आडवाणी और जोशी दोनों के नाम मौजूद थे.

पदाधिकारी ने कहा, ‘लेकिन हमें नहीं पता कि प्रधानमंत्री कार्यालय को लिस्ट भेजे जाने के बाद क्या हुआ. हमें बताया गया था कि चंपत राय उन्हें कॉल करेंगे, और उनसे वीडियो लिंक के ज़रिए समारोह में शिरकत का अनुरोध करेंगे.’

पदाधिकारी ने ये भी कहा कि जब आडवाणी और जोशी दोनों, वीडियो-कॉनफ्रेंसिंग के ज़रिए बाबरी विध्वंस केस के ट्रायल में पेश हुए थे, तो फिर वो समारोह में भी वर्चुअल तरीक़े से शरीक हो सकते हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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