नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (आप) के कई वरिष्ठ पदाधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया है कि कम से कम इसी साल होने वाले हिमाचल और गुजरात चुनावों तक, उनकी पार्टी क्षेत्रीय दलों के प्रस्तावित विपक्षी मोर्चे में शामिल होने की इच्छुक नहीं है.
27 मार्च को लिखे एक पत्र में, पश्चिम बंगाल मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने सभी विपक्षी नेताओं और मुख्यमंत्रियों से, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के खिलाफ लड़ाई में हाथ मिलाने का आग्रह किया था.
लेकिन दो वरिष्ठ आप नेताओं ने कहा कि पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल पत्र का जवाब जल्दबाज़ी में देने की ज़रूरत नहीं समझते.
एक वरिष्ठ आप नेता ने अपना नाम न बताने की शर्त पर दिप्रिंट से कहा, ‘रणनीति यह है कि फिलहाल पूरा समय गुजरात और हिमाचल प्रदेश चुनावों में लगाया जाए. तब तक किसी विपक्षी मोर्चे में शामिल होने या न होने पर कोई निर्णय नहीं लिया जाएगा. हमें पश्चिम बंगाल सीएम के खुले पत्र की जानकारी है लेकिन इस समय फिलहाल उस पर खुली प्रतिक्रिया देने की कोई योजना नहीं है’.
ग़ौरतलब है कि तमिलनाडु मुख्यमंत्री एमके स्टालिन- जो कुछ समय से प्रस्तावित गठबंधन को लेकर ममता बनर्जी के साथ बातचीत का हिस्सा रहे हैं- पिछले सप्ताह दिल्ली आए और केजरीवाल से मुलाक़ात की, और उनके साथ सरकारी स्कूलों तथा मौहल्ला क्लीनिक्स (प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल केंद्र) का भी दौरा किया. ऐसे में जब उनकी पार्टी अपने राष्ट्रीय पदचिन्हों को विस्तार देने में लगी है, स्कूल और क्लीनिक्स उसका एक आवश्यक अंग हैं, जिसे केजरीवाल दिल्ली मॉडल ब्राण्ड के तौर पर पेश करते हैं.
Hon. CM Tamil Nadu, @mkstalin ji, visited our Delhi School today. It was an honour to show him around our school along with Hon CM Delhi @ArvindKejriwal ji. I'd like to thank CM @mkstalin for his gesture, which will encourage states to work together to improve education system. pic.twitter.com/Zyw3OWQHbN
— Manish Sisodia (@msisodia) April 1, 2022
सार्वजनिक दिखावे में केजरीवाल और स्टालिन के बीच काफी ख़ुशमिज़ाजी नज़र आई, लेकिन आप के वरिष्ठ नेताओं ने इस पर चुप्पी साधी हुई है कि क्या दोनों के बीच विपक्षी मोर्चे के विषय पर कोई बातचीत हुई या नहीं.
फरवरी में, विपक्षी नेताओं ने कहा था कि 10 मार्च के असेम्बली चुनावों के नतीजे, ग़ैर-बीजेपी गठबंधन के आकार लेने में निर्णायक भूमिका निभाएंगे. उस समय एक आप पदाधिकारी ने दिप्रिंट से कहा था कि पार्टी फरवरी-मार्च असेम्बली चुनावों के बाद ही पार्टी प्रस्तावित ग़ैर-बीजेपी मोर्चे के बारे में निर्णय लेगी.
‘किसी विपक्षी मोर्चे में शामिल होने से हमें कोई फायदा नहीं है’
ममता बनर्जी दूसरे राजनीतिक नेताओं के साथ मिलकर, ग़ैर-एनडीए दलों का एक सम्मेलन आयोजित करने में लगी हैं, जिसका मक़सद अंतत: एक संयुक्त विपक्षी मोर्चा तैयार करना है, जो आगामी प्रदेश चुनावों और आख़िरकार 2024 के आम चुनावों में बीजेपी का मुक़ाबला कर सके.
अब, जब आप ने पंजाब चुनावों में 117 में से 92 सीटें लेकर एक शानदार जीत दर्ज की है, और एक मात्र ग़ैर-बीजेपी और ग़ैर-कांग्रेस पार्टी बन गई है जिसकी दो राज्यों में सरकारें हैं, तो उसे कोई कारण नज़र नहीं आता कि वो किसी भी ब्लॉक में शामिल होने के प्रस्तावों का जवाब दे.
एक दूसरे आप पदाधिकारी ने कहा, ‘इस समय हमें किसी विपक्षी मोर्चे में शामिल होने में कोई फायदा नज़र नहीं आता’.
पदाधिकारी ने आगे कहा, ‘हम कई दूसरी पार्टियों से कहीं ज़्यादा मज़बूत ताक़त बनकर उभर रहे हैं. जहां तक मैं समझता हूं कि कम से कम जब तक गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव नहीं हो जाते, तब तक विपक्षी ख़ेमे में शामिल होने या न होने पर कोई फैसला नहीं होगा’.
वरिष्ठ आप नेता कैलाश गहलोत ने भी दिप्रिंट से कहा कि ऐसा ज़रूरी नहीं है, कि ‘विपक्षी एकता’ ही भारत की समस्याओं के लिए रामबाण है.
उन्होंने कहा, ‘भारत ने अतीत में विपक्षी एकता के बहुत से उदाहरण देखे हैं, और सरकारें भी बनी हैं लेकिन उनके नतीजे में आम लोगों से जुड़ी व्यापक समस्याओं- भूख, ग़रीबी, असमानता, बेरोज़गारी आदि के बारे में कोई समाधान नहीं निकल सके.
उन्होंने आगे कहा कि दूसरी पार्टियों के साथ हाथ मिलाने की अपेक्षा, एक ‘स्पष्ट दृष्टिकोण’ ज़्यादा महत्वपूर्ण है.
गहलोत ने कहा, ‘आम आदमी पार्टी का मूल एजेंडा एक ऐसी मज़बूत योजना तैयार करना है, जिससे जनता के मुद्दों का समाधान हो सके, और लोगों का जीवन आसान हो जाए. हम इसमें विश्वास नहीं रखते कि किसी स्पष्ट नज़रिए के बिना, एक संयुक्त विपक्षी ब्लॉक बनाने में बहुत अधिक निवेश किया जाए’.
ग़ैर-BJP CMs के साथ केजरीवाल के बदलते समीकरण
केजरीवाल और ममता बनर्जी के विचार एक समय एक जैसे थे, और कुछ मुद्दों पर उन्होंने एक दूसरे का समर्थन किया था, लेकिन टीएमसी के 2022 का गोवा चुनाव लड़ने के निर्णय ने- जहां आप भी एक गंभीर प्रतियोगी थी- केजरीवाल को नाराज़ कर दिया. आप तटवर्त्ती राज्य में दो सीटें जीतने में कामयाब हो गई, लेकिन टीएमसी को एक भी सीट नहीं मिली. आप ने अब बनर्जी के मैदान पर क़दम रख दिया है, और उसकी नज़र पश्चिम बंगाल पंचायत चुनावों पर है, जिनके अगले साल होने की संभावना है.
एक और राजनेता जो संयुक्त विपक्षी पहल में आगे आगे रहे हैं, वो हैं तेलंगाना सीएम के चंद्रशेखर राव.
पिछले महीने जब राव दिल्ली आए थे, तो ख़बरों में सुझाया गया था कि वो केजरीवाल से मुलाक़ात करेंगे. मुलाक़ात नहीं हो सकी क्योंकि उनके दौरे के समय संयोगवश, चुनाव प्रचार के बाद केजरीवाल एक हफ्ते के अवकाश पर थे. लेकिन अंत में, आप ने न केवल तेलंगाना में एक नए खिलाड़ी के रूप में अपनी भूमिका पर ज़ोर दिया, बल्कि सार्वजनिक रूप से राव की आलोचना करते हुए उन्हें ‘छोटा मोदी’ कह दिया.
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