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Friday, 29 March, 2024
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2019 के लिए हिन्दुत्व शासन को प्रधानता, जबकि विकास का एजेंडा दरकिनार

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इस साल के अंत में प्रधानमंत्री अयोध्या में राम लला मंदिर का दौरा करेंगे और 2019 में वह हिन्दुओं के चार तीर्थ स्थलों में से एक पुरी से चुनाव लड़ सकते हैं।

नई दिल्लीः पार्टी में होने वाले विचार-विमर्श से परिचित भाजपा नेताओं ने 2019 लोकसभा चुनावों से पहले सत्तारूढ़ दल के विकासवादी घोषणा पत्र के स्थान पर हिन्दुत्व एजेंडा चलाने की योजना का संकेत देते हुए दिप्रिंट को बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नवंबर-दिसंबर में चार राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के बाद अयोध्या में राम लला मंदिर का दौरा करने जाएंगे।

उन्होंने यह भी पुष्टि की कि पार्टी उड़ीसा में पुरी को 2019 में प्रधानमंत्री के लिए दूसरी लोकसभा सीट के रूप में देख रही थी। 2014 में मोदी ने वाराणसी और वड़ोदरा से चुनाव लड़ा था और दोनों सीटों पर जीत दर्ज की थी तथा बाद में अपने गृह राज्य की सीट को रिक्त कर दिया था।

भाजपा राज्य में लोगों तक अपनी पहुँच को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने की कोशिश में पुरी से मोदी की उम्मीदवारी से उत्पन्न लहर पर सवार होने की फिराक में है। पिछले चुनाव में इस राज्य में भाजपा ने 25 में से मात्र एक सीट पर जीत दर्ज की थी। हिन्दुओं के चार धामों में से एक, पुरी से मोदी को चुनावी मैदान में उतारने के फैसले का एक उद्देश्य राज्य के बाहर एक संदेश भेजना भी है।

विकास का मुद्दा गायब?

सत्तारूढ़ पार्टी में यह विचार-विमर्श एक ऐसे समय में हो रहा है जब एनडीए सरकार अपने मुख्य घोषणा पत्र के रूप में विकास की अपनी चुनावी शक्ति में विश्वास खोती नजर आ रही है। पिछले कुछ महीनों से भाजपा के शीर्ष नेताओं द्वारा सांप्रदायिक ध्रुवीकरण वाले बयानों को देखा गया है। यह भगवा पार्टी का अपने मूल हिन्दुत्व की ओर लगातार और धीरे-धीरे वापसी का एक संकेत है।

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सत्तारूढ़ पार्टी के एक सांसद ने बताया, “हिंदुत्व वह है जो हमारे मूल वोटरों और कार्यकर्ताओं को प्रेरित करता है। मोदी जी ने लोगों के लिए बहुत कुछ किया है लेकिन किसी को भी हमारी मूल विचारधारा के बारे में कोई संदेह नहीं होना चाहिए।”

2014 में मोदी के अभियान में हिंदुत्व पर ज्यादा जोर नहीं दिया गया था और यह अभियान काफी हद तक उनके विकास एजेंडे और तत्कालीन यूपीए सरकार की असफलताओं पर केन्द्रित था। बाद के विधानसभा चुनावों में भी ऐसा ही रहा, जिसमें चुनावी भाषणों में अन्य मुद्दों के साथ में “शमशान बनाम कब्रिस्तान,” ट्रिपल तलाक और टीपू सुल्तान को संदर्भित किया गया, लेकिन गैर-भाजपा शासनों के तहत विकास और इसका अभाव प्रमुख विषय रहा।

भाजपा के नज़रिये में बदलाव

हाल के दिनों में मोदी और वरिष्ठ भाजपा नेताओं के दृष्टिकोण में एक अलग ही बदलाव आया है। केन्द्रीय मंत्री गिरीराज सिंह द्वारा सांप्रदायिकता भड़काने के आरोप में जेल में बंद विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं से मिलने जाना और उनके मंत्रालय में समकक्ष जयंत सिन्हा द्वारा झारखंड में लिंचिंग के आरोप में जमानत पाए आरोपियों को फूल-मालाएं पहनाने जैसे कार्यों को पार्टी नेतृत्व द्वारा पारंपरिक रूप से अस्वीकार कर दिया गया होता जैसा पहले होता था। लेकिन इस बार सत्ताधारी पार्टी ने इसके खिलाफ कोई भी असंतोष व्यक्त नहीं किया है।
इसके बजाय, प्रधान मंत्री, जो वैसे तो वे मीडिया रिपोर्टों के बारे में संदेहवादी माने जाते हैं, ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ एक बैठक में की गयी कथित टिप्पणी के बारे में कांग्रेस को मुस्लिम पार्टी होने के लिए लताड़ने के लिए एक समाचार पत्र की रिपोर्ट में रुचि दिखाई|

रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन ने कांग्रेस द्वारा अस्वीकृत उसी मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा: “आप एक ही समय में जनेऊ-धारी ( हिंदू, जो पवित्र धागा पहनता है) और मुस्लिम-धारी नहीं हो सकते।” रक्षा मंत्री की इस टिप्पणी ने क्रुद्ध प्रतिक्रियाओं को निमंत्रण दिया।

पिछले हफ्ते भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने तेलंगाना में पार्टी कार्यकर्ताओं को बताया कि अयोध्या में एक भव्य राम मंदिर का निर्माण 2019 चुनाव से पहले शुरू होगा। हैदराबाद में एक प्रेसवार्ता में, पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य परला सेखरजी ने शाह के कथन का यह कहते हुए उदाहरण दिया कि अगले आम चुनावों से पहले मंदिर के निर्माण में आने वाली बाधाओं के समाधान के लिए उचित कदम उठाए जाएंगे।

बीजेपी अध्यक्ष की टिप्पणी ने कई लोगों को भ्रमित कर दिया क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले पर रोक लगा रखी है। बीजेपी ने बाद में इस बात से अपना पल्ला झाड़ लिया कि कि शाह ने ऐसी कोई टिप्पणी की है।

यह भाजपा के 2014 घोषणापत्र के विपरीत है, जिसमें यह अयोध्या में विवादास्पद स्थल पर मंदिर निर्माण के विषय पर वचनबद्ध नहीं थी, “अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को आसान बनाने के लिए भाजपा संविधान के ढांचे के भीतर सभी संभावनाओं की खोज के लिए अपना मत बार-बार दोहराती है।”

भाजपा के मूल एजेंडे का हिस्सा है राम मंदिर

एक प्रभावशाली भाजपा कार्यकर्ता ने दावा किया कि मंदिर के बारे में 2019 में पार्टी का घोषणापत्र “निर्णयात्मक तथा पूर्ण स्पष्ट” होगा, हालांकि उन्होंने इस पर विस्तार से बात करने से इनकार कर दिया।

मोदी द्वारा अयोध्या के राम लला मंदिर नहीं जाने के लिए छुटभैये हिंदू समूहों में उनके आलोचकों द्वारा उनकी आलोचना की गयी है, लेकिन प्रधानमंत्री ने यह व्यक्त करने के लिए कई कदम उठाए हैं कि वह भगवान राम के जन्मस्थल की बहुत परवाह करते हैं। पिछले साल उन्होंने भगवान राम से संबन्धित दो स्थानों अयोध्या और रामेश्वरम के बीच साप्ताहिक ट्रेन को हरी झंडी दिखाई। वह सीता के जन्मस्थान जनकपुर और अयोध्या के बीच सीधी बस सेवा का उद्घाटन करने के लिए मई में नेपाल गए थे।

अयोध्या के लिए मोदी की योजनाबद्ध यात्रा निश्चित रूप से राजनीतिक चर्चा और अगले लोकसभा चुनाव की दौड़ में संरेखण को पुनः तय करेगी।

Read in English :As Modi loses faith in his own development agenda for 2019, Hindutva reigns supreme

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