नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के साथ ही चुनाव मैदान में एक बार फिर बाहुबली या दबंग लोगों की मौजूदगी की झलक साफ नजर आने लगी है.
बिहार की 243 सीटों में से 72 के लिए 28 अक्टूबर को होने वाले पहले चरण के चुनाव में कम से कम 11 बाहुबलियों या उनकी पत्नियों को टिकट दिए गए हैं. उनमें से ज्यादातर ने राजद या जदयू की तरफ से नामांकन कराया है जबकि भाजपा और कांग्रेस ने मोटे तौर पर ऐसे उम्मीदवारों को मैदान में उतारने से किनारा किया है.
इनमें फिलहाल जेल में बंद और सात हत्याओं के आरोपी अनंत सिंह, सुनील, जिनके खिलाफ कभी राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने जांच की थी और कुख्यात गैंगस्टर रीत लाल यादव शामिल हैं.
पटना स्थित ए.एन. सिन्हा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल स्टडीज के डी.एम. दिवाकर ने दिप्रिंट को बताया कि राजनीतिक दल ऐसे बाहुबलियों की ओर रुख इसलिए करते हैं क्योंकि इनका अपने क्षेत्रों में काफी दबदबा होता है.
दिवाकर ने कहा, ‘ऐसे दबंगों का अपने क्षेत्रों में काफी प्रभाव होता है क्योंकि उनमें से कुछ सामूहिक विवाह समारोह जैसे कई सामाजिक कार्य कराते रहते हैं. ये नए जमाने के रॉबिन हुड की तरह होते हैं. हर राजनीतिक दल सीटें जीतने में उनकी मदद लेता है.’
दिप्रिंट चुनाव मैदान में उतरे ऐसे ही कुछ प्रमुख बाहुबलियों के बारे में जानकारी दे रहा है.
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अनंत सिंह उर्फ छोटे सरकार
अपने निर्वाचन क्षेत्र में छोटे सरकार के नाम से लोकप्रिय अनंत सिंह मोकामा से राजद उम्मीदवार हैं, यद्यपि वह अपने घर पर एके 47 राइफल और विस्फोटक रखने के आरोप में जेल में हैं. सिंह के खिलाफ हत्या के सात मामलों के अलावा अपहरण से लेकर हत्या के प्रयास तक के 38 आपराधिक केस दर्ज हैं.
अनंत सिंह कभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पसंदीदा हुआ करते थे, और जदयू के टिकट पर चार बार चुनाव लड़ चुके हैं. हालांकि, 2015 के विधानसभा चुनावों के बाद दोनों की राहें जुदा हो गईं. उस समय जदयू ने राजद संग गठबंधन किया था, जिसने एक यादव युवक की कथित हत्या में अनंत सिंह का हाथ होने को एक बड़ा चुनावी मुद्दा बना दिया था.
जब दोनों दलों की सरकार बनी तो अनंत सिंह को हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन बाद में उन्हें इस मामले में जमानत मिल गई. विडंबना यह है कि यह बाहुबली नेता इस बार राजद के टिकट पर ही चुनाव लड़ रहा है.
उनकी पत्नी नीलम देवी ने भी इस सीट से बतौर निर्दलीय पर्चा भरा है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि यह अनंत सिंह का नामांकन खारिज होने की स्थिति में वैकल्पिक व्यवस्था के तहत किया गया है.
नीलम देवी ने 2019 का लोकसभा चुनाव राजद के टिकट पर लड़ा था लेकिन जदयू के लल्लन सिंह से हार गई थीं.
सुरेंद्र यादव
सुरेंद्र यादव एक और डॉन हैं जिन्हें उनके क्षेत्र में ‘मगध सम्राट’ के नाम से जाना जाता है. वह गया और औरंगाबाद के माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में एक दबंग व्यक्ति हैं. वह गया की बेलागंज सीट से राजद के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.
सुनील पांडे
लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) से चार बार विधायक रह चुके सुनील पांडे भोजपुर जिले के तरारी निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय के रूप में किस्मत आजमा रहे हैं. पांडे पर 2012 में कुख्यात रणवीर सेना प्रमुख ब्रह्मेश्वर मुखिया की हत्या का आरोप लगा था. उन्हें यूपी के बहुचर्चित डॉन मुख्तार अंसारी की हत्या के मामले में भी गिरफ्तार किया गया था. एनआईए ने कथित तौर पर एके-47 रखने के आरोप में उनके खिलाफ जांच भी की थी.
भाजपा के तरारी में अपना प्रत्याशी मैदान में उतारने के कारण पांडे को निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ने को बाध्य होना पड़ा क्योंकि लोजपा ने इन चुनावों में भाजपा के खिलाफ प्रत्याशी न उतारने की प्रतिबद्धता जताई है.
रीत लाल यादव
एक कुख्यात गैंगस्टर और एमएलसी यादव को हाल ही में जेल से रिहा किया गया था. वह दानापुर विधानसभा सीट से राजद प्रत्याशी हैं. जमीन हड़पने, जबरन वसूली और हत्या के प्रयास समेत कई मामलों में आरोपी हैं. लेकिन उन्हें इतना प्रभावशाली माना जाता है कि 2014 के लोकसभा चुनावों में पाटलिपुत्र सीट से मीसा भारती की जीत सुनिश्चित करने के लिए लालू यादव ने जेल जाकर उनसे मुलाकात की थी. हालांकि, वह चुनाव हार गई थी.
अमरेंद्र पाण्डेय
अमरेन्द्र पांडेय उर्फ पप्पू पांडे गोपालगंज से जदयू के मौजूदा विधायक हैं. उन्होंने इस बार भी अपना टिकट बरकरार रखा है. पांडेय गोपालगंज के तिहरे हत्याकांड में एक आरोपी हैं जिसमें एक स्थानीय राजद नेता के माता-पिता और भाई मारे गए थे.
रामा सिंह की पत्नी वीणा सिंह
राजद ने वैशाली जिले की महनार सीट पर वीणा सिंह को उतारा है. वह बाहुबली सांसद रामा सिंह की पत्नी हैं, जिनके खिलाफ हत्या से लेकर अपहरण तक कई आरोप दर्ज हैं. वह पिछले हफ्ते ही राजद में शामिल हुए थे.
रामा सिंह पेट्रोल पंप मालिक के अपहरण के मामले में 11 साल तक फरार रहे थे और 2016 में आत्मसमर्पण किया था. वह इस मामले में जमानत पर बाहर हैं.
पिछले महीने अपने निधन के ऐन पहले तक राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने रामा सिंह को पार्टी में लेने पर विरोध जताया था. रघुवंश प्रसाद 2014 के लोकसभा चुनाव में तब लोजपा के साथ रहे रामा सिंह से चुनाव हार गए थे.
लोजपा ने 2019 में रामा सिंह को टिकट से इनकार कर दिया था, लेकिन पड़ोसी राघोपुर सीट पर उनका खासा प्रभाव है, जहां से तेजस्वी यादव चुनाव लड़ेंगे.
राज बल्लभ यादव की पत्नी विभा देवी
राजद ने नवादा सीट से इस विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक राज बल्लभ यादव की पत्नी विभा देवी को टिकट दिया है. नाबालिग लड़की से बलात्कार के मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद पूर्व विधायक जेल में है. उन पर अवैध खनन, जबरन वसूली और अपहरण के आरोप भी हैं. उन्हें कभी राजद का ‘मनी-बैग’ कहा जाता था, लेकिन दोषी ठहराए जाने के बाद 2016 में उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया गया था.
बिंदी यादव की पत्नी मनोरमा देवी
जदयू ने दबंग नेता बिंदी यादव की पत्नी मनोरमा देवी को अतरी से मैदान में उतारा है. बिंदी यादव मारपीट, हत्या और जबरन वसूली के मामले में जेल में हैं. कथित तौर पर अवैध शराब की आपूर्ति को लेकर मनोरमा देवी ने खुद भी कुछ समय जेल में काटा था. उनका बेटा रॉकेट यादव भी हिस्ट्रीशीटर है और रोड रेज केस में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है.
आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद
राजद ने सहरसा सीट से दबंग राजपूत आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद को उतारा है. आनंद मोहन 1994 में गोपालगंज के दलित जिला मजिस्ट्रेट, आईएएस अधिकारी जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में मुख्य आरोपी के तौर पर कुख्यात हैं. वह अब इस हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं. उनके पुत्र चेतन आनंद भी राजद के टिकट पर शिवहर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.
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