26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने संविधान के उस प्रारूप को स्वीकार किया, जिसे डॉ. बीआर आंबेडकर की अध्यक्षता में ड्राफ्टिंग कमेटी ने तैयार किया था. इसी रूप में संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ और भारत एक गणराज्य बना.
इसी की याद में 26 नवंबर के दिन को संविधान दिवस मनाने का चलन 2015 को शुरू किया गया. यह दिलचस्प है कि ये चलन उस साल शुरू हुआ जब डॉ. आंबेडकर की 125वीं जन्म जयंती मनाई जा रही थी. यह राष्ट्र की तरफ से डॉ. आंबेडकर को दी गई श्रद्धांजलि है.
सवाल उठता है कि संविधान सभा की ज्यादातर बैठकों में औसतन 300 सदस्य मौजूद रहे और सभी सदस्यों को संविधान के निर्माण में समान अधिकार प्राप्त था. तो आखिर क्यों डॉ. आंबेडकर को ही संविधान का मुख्य वास्तुकार या निर्माता कहा जाता है?
यह बात सिर्फ डॉ. आंबेडकर के व्यक्तित्व और विचारों के समर्थक ही नहीं कहते, बल्कि भारतीय संविधान सभा के सदस्यों ने भी इसे स्वीकारा और विभिन्न अध्येताओं ने भी किसी न किसी रूप में इसे मान्यता दी. नेहरू के आत्मकथा लेखक माइकेल ब्रेचर ने आंबेडकर को भारतीय संविधान का वास्तुकार माना और उनकी भूमिका को संविधान के निर्माण में फील्ड जनरल के रूप में रेखांकित किया. (नेहरू: ए पॉलिटिकल बायोग्राफी द्वारा माइकल ब्रेचर, 1959).
संविधान सभा के समक्ष संविधान प्रस्तुत करते हुए अपने अंतिम भाषण में डॉ. आंबेडकर ने गरिमा और विनम्रता के साथ इतने कम समय में इतना मुकम्मल और विस्तृत संविधान तैयार करने का श्रेय अपने सहयोगियों को दिया. लेकिन पूरी संविधान सभा इस तथ्य से परिचित थी कि यह एक महान नेतृत्वकर्ता का अपने सहयोगियों के प्रति प्रेम और विनम्रता से भरा आभार है.
यह भी पढ़ें : ‘तुम दलित जैसा दिखते नहीं’ ऐसी बातें जिन्हें ‘ऊंची जातियां’ दलितों से कहना तत्काल बंद करें
संविधान सभा ने मानी आंबेडकर की भूमिका
आंबेडकर संविधान की ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष थे, जिसकी जिम्मेदारी संविधान का लिखित प्रारूप प्रस्तुत करना था. इस कमेटी में कुल 7 सदस्य थे. संविधान को अंतिम रूप देने में डॉ. आंबेडकर की भूमिका को रेखांकित करते हुए भारतीय संविधान की ड्राफ्टिंग कमेटी के एक सदस्य टी. टी. कृष्णमाचारी ने नवम्बर 1948 में संविधान सभा के सामने कहा था: ‘सम्भवत: सदन इस बात से अवगत है कि आपने ( ड्राफ्टिंग कमेटी में) में जिन सात सदस्यों को नामांकित किया है, उनमें एक ने सदन से इस्तीफा दे दिया है और उनकी जगह अन्य सदस्य आ चुके हैं. एक सदस्य की इसी बीच मृत्यु हो चुकी है और उनकी जगह कोई नए सदस्य नहीं आए हैं. एक सदस्य अमेरिका में थे और उनका स्थान भरा नहीं गया. एक अन्य व्यक्ति सरकारी मामलों में उलझे हुए थे और वह अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह नहीं कर रहे थे. एक-दो व्यक्ति दिल्ली से बहुत दूर थे और सम्भवत: स्वास्थ्य की वजहों से कमेटी की कार्यवाहियों में हिस्सा नहीं ले पाए. सो कुल मिलाकर यही हुआ है कि इस संविधान को लिखने का भार डॉ. आंबेडकर के ऊपर ही आ पड़ा है. मुझे इस बात पर कोई संदेह नहीं है कि हम सब को उनका आभारी होना चाहिए कि उन्होंने इस जिम्मेदारी को इतने सराहनीय ढंग से अंजाम दिया है.’ (संविधान सभा की बहस, खंड- 7, पृष्ठ- 231)
संविधान सभा में आंबेडकर की भूमिका कम करके आंकने वाले अरूण शौरी जैसे लोगों का जवाब देते हुए आंबेडकर के गंभीर अध्येता क्रिस्तोफ जाफ्रलो लिखते हैं कि- हमें ड्राफ्टिंग कमेटी की भूमिका का भी एक बार फिर आकलन करना चाहिए. यह कमेटी सिर्फ संविधान के प्रारम्भिक पाठों को लिखने के लिए जिम्मेदार नहीं थी, बल्कि उसको यह जिम्मा सौंपा गया था कि वह विभिन्न समितियों द्वारा भेजे गए अनुच्छेदों के आधार पर संविधान का लिखित पाठ तैयार करे, जिस बाद में संविधान सभा के सामने पेश किया जाए. सभा के समक्ष कई मसविदे पढ़े गए और हर बार ड्राफ्टिंग कमेटी के सदस्यों ने चर्चा का संचालन और नेतृत्व किया था. अधिकांश बार यह जिम्मेदारी आंबेडकर ने ही निभाई थी. ( क्रिस्तोफ जाफ्रलो, भीमराव आंबेडकर, एक जीवनी, 130)
इसी तथ्य को रेखांकित करते हुए प्रमुख समाजशास्त्री प्रोफेसर गेल ऑम्वेट लिखती हैं कि संविधान का प्रारूप तैयार करते समय अनके विवादित मुद्दों पर अक्सर गरमागरम बहस होती थी. इन सभी मामलों के संबंध में आंबेडकर ने चर्चा को दिशा दी, अपने विचार व्यक्त किए और मामलों पर सर्वसम्मति लाने का प्रयास किया.
एक साथ कई विषयों के विद्वान थे आंबेडकर
आंबेडकर उन चंद लोगों में शामिल थे, जो ड्राफ्टिंग कमेटी का सदस्य होने के साथ-साथ शेष 15 समितियों में एक से अधिक समितियों के सदस्य थे. संविधान सभा द्वारा ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष के रूप में उनका चयन उनकी राजनीतिक योग्यता और कानूनी दक्षता के चलते हुए था.
संविधान को लिखने, विभिन्न अनुच्छेदों-प्रावधानों के संदर्भ में संविधान सभा में उठने वाले सवालों का जवाब देने, विभिन्न विपरीत और कभी-कभी उलट से दिखते प्रावधानों के बीच संतुलन कायम करने और संविधान को भारतीय समाज के लिए एक मार्गदर्शक दस्तावेज के रूप में प्रस्तुत करने में डॉ. आंबेडकर की सबसे प्रभावी और निर्णायक भूमिका थी.
यह भी पढ़ें : महात्मा गांधी और आंबेडकर ने हेडगेवार के साथ बातचीत क्यों नहीं की
स्वतंत्रता, समता, बंधुता, न्याय, विधि का शासन, विधि के समक्ष समानता, लोकतांत्रिक प्रक्रिया और धर्म, जाति, लिंग और अन्य किसी भेदभाव के बिना सभी व्यक्तियों के लिए गरिमामय जीवन भारतीय संविधान का दर्शन एवं आदर्श है. ये सारे शब्द डॉ. आंबेडकर के शब्द और विचार संसार के बीज शब्द हैं. इस शब्दों के निहितार्थ को भारतीय समाज में व्यवहार में उतारने के लिए वे आजीवन संघर्ष करते रहे. इसकी छाप भारतीय संविधान में देखी जा सकती है.
संविधान पर डॉ. आंबेडकर की छाप
भारत का नया संविधान काफी हद तक 1935 के गर्वमेंट ऑफ इंडिया एक्ट और 1928 के नेहरू रिपोर्ट पर आधारित है, मगर इसको अंतिम रूप देने के पूरे दौर में आंबेडकर का प्रभाव बहुत गहरा था. डॉ. आंबेडकर भारतीय संविधान की सामर्थ्य एवं सीमाओं से भी बखूबी अवगत थे. इस संदर्भ में उन्होंने कहा था कि संविधान का सफल या असफल होना आखिरकार उन लोगों पर निर्भर करेगा, जिन पर शासन चलाने का दायित्व है. वे इस बात से भी बखूबी परिचित थे कि संविधान ने राजनीतिक समानता तो स्थापित कर दी है, लेकिन सामाजिक और आर्थिक समानता हासिल करना बाकी है, जो राजनीतिक समानता को बनाए रखने लिए भी जरूरी है.
(लेखक हिंदी साहित्य में पीएचडी हैं और फ़ॉरवर्ड प्रेस हिंदी के संपादक हैं.)
Dr. Ambedkar is a great person
He is a loard of sc st obc and minority.
I love you sir ????
बाबा साहेब आंमबेडकर :- शत शत नमन ?❤
Baba sahab amar raha ??
Baba sahab amar raha
आओ सर उठाकर जय भीम कह उनेह जिनके विषय में यह मुकाम आया है कितने खुश नसीव है वो बाबा साहब जिनहोने खून पसीना एक करके एक नया सम्भिधान बनाया है
Jai bhim
जय भीम नमो बुद्धाय नमो नमः ??????
हमारे संविधान में सहयोग करने वाले व जिनके अरथक प्रयासों से हमारा संविधान पुर्नरुप से बनकर तैयार हुआ ,उन सभी भारत सपूतों को मैरा प्रणाम ,आप सभी धन्य हो ओर युगों-युगों तक आपको याद किया जाएगा ,। जय हिन्द जय भारत जय भीम जय भारत
आओ सर उठाकर जय भीम कह उनेह जिनके विषय में यह मुकाम आया है कितने खुश नसीव है वो बाबा साहब जिनहोने खून पसीना एक करके एक नया सम्भिधान बनाया है
Jay bhim Baba sahab
आओ सर उठाकर जय भीम कह उनेह जिनके विषय में यह मुकाम आया है कितने खुश नसीव है वो बाबा साहब जिनहोने खून पसीना एक करके एक नया सम्भिधान बनाया है
Jay bhim Baba sahab
Indian best person
Hamre manniya Baba Sahab Doctor Bhim Raw Ambedker ji ek mahan insan the jo apne desh aur apne logo ke liye kuchh karna chahte the aur bahut kuchh kar ke sabke ke bich me aaj bhi hai aur hamesa rahenge we wah insan the ki jo apne desh ko azaad karane ke liye kisi bhi tarike ka hathiyar nhi uthaye aur na hi kisi se koi ladai jhagda kiye na hi to aur kuchh bus unhe to apne kaam aur apne kalm par vishwash tha ki ham ese asani purwak apne desh ko azaad aur naiya rasta dikha sakte hai
Ab dosto mai apni baat ko yahi par samapt karta hu JAI BHIM JAI BHARAT
BABA SAHAB AMAR RAHE
AMAR RAHE AMAR RAHE
JAI HIND JAI BHART
JAI JAWAN JAI KISAN
Baba Sahab great person in the world
Baba Sahab Orr jogendra nath ka abhari ?
Osm
He was well wisher of sc/St etc..but what are youdoing of your society,,,you can’t do anything… only speak…. good, well, bahut achha Kiya… for us…..
I love you sir
बी.एन.राव ने संबिधान का प्रारूप तैयार किया था जिसको verify करने के लिए प्रारूप समिति बनी जिसमे ७ लोग थे जिसके अध्यक्ष आंबेडकर थे ,,ना की निर्माता थे यह कांग्रेस ने अछुत लोगों को अपने पीला में करने के लिए उनको निर्माता बना दिया ,,
Tumhare dimag hi nhi samajh sakta Ambedkar ke yogdaan ko . Aisy ulti seedhi baate krogi jha rhoge.
हम सभी को अपने राष्ट्र निर्माताओं के योगदान को ससम्मान स्वीकार करना चाहिए, इसमें जाति- पाति चाहे धर्म को नहीं को रखना चाहिए, यह हमारी ओछी मानसिकता को दरशाता है। डाॅ अम्बेडकर साहब के योगदान को नहीं भूलना चाहिए। ये हमारे महापुरुषों में से एक हैं,जिनके अथक परिश्रम से आज हम सभी सुरक्षित और संरक्षित हैं ,जय हिंद।
कुत्सित मानसिकता
बाबा साहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर भारत के ही नहीं पुरे विश्व में पुजनीय हैं।
कुत्सित मानसिकता
बाबा साहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर भारत में ही नहीं पुरे विश्व में पुजनीय हैं।
Right sir
हमें अपने संविधान और राष्ट्र और संविधान बनाने वाले लोगों की कद्र करनी चाहिए
हमें अपने संविधान और राष्ट्र और संविधान बनाने वाले लोगों की कद्र करनी चाहिए
हमें अपने संविधान ,राष्ट्र और संविधान बनाने वाले लोगों की कद्र करनी चाहिए
Dr.B.R Ambedakar was a soul of Indian constitution.
Tabhi saari vyavastha savarno ke khilaf banayi gayi hai
Savindhan,se,ham,santust,he’s
Jay Bheem jay Bharat jay sanvidhan
स्वतन्त्र भारत के निर्माता
परमपूज्य बाबा साहब भीमराव रामजी आंबेडकर जी के बारे में आपने जो लेख प्रस्तुत किया है।
मैंने इस लेख से बेशकीमती 02 स्लोगन निकाले हैं।
जो मुझे, समाज के लिए संघर्ष करने एवं खुद को स्थापित करने के लिए हमेशा प्रेरित करते रहेंगे।
1- मैंने संविधान के माध्यम से राजनीतिक समानता स्थापित कर दी है लेकिन सामाजिक और आर्थिक समानता हासिल करना बाकी है।
2- अगर आप सामाजिक और आर्थिक समानता हासिल नहीं कर पाए तो राजनीतिक समानता भी खत्म कर दी जाएगी।
डॉक्टर बाबासाहेब अंबेडकर एक महान व्यक्ति थे और बहुत ही दयावान थे बाबासाहेब आंबेडकर का भारतीय संविधान बनाने में महत्वपूर्ण योगदान रहा और जिनको यह लगता है कि भारत का संविधान किसी और ने बनाया है यह बात बिल्कुल गलत है क्योंकि समिति में लोग एक परिवार की तरह रहते हैं और परिवार में जो परिवार की जिम्मेदारी को सर्वोपरि माने वही परिवार का मुखिया कहलाता है बाबासाहेब अंबेडकर ने भारत के संविधान की जिम्मेदारी को सर्वोपरि मानकर उसका निर्माण किया इसलिए बाबा साहब अंबेडकर को भारत के संविधान का निर्माता कहा जाता है और जो मूर्ख लोग बाबा साहब अंबेडकर के नॉलेज और शिक्षा के ऊपर सवाल उठाते हैं उन मूर्खों को मैं यह बता देना चाहता हूं कि बाबा साहब अंबेडकर के पास 32 डिग्रियां थी और 9 भाषा के ज्ञाता थे इस वर्ल्ड में ऐसी कोई सी नौकरी नहीं है जो बाबासाहेब आंबेडकर ना कर सके बाबासाहेब आंबेडकर भारत के लिए ही नहीं बल्कि पूरे वर्ल्ड में एक सूरज बनके निकले हैं और हमें गर्व है कि ऐसे महान पुरुष अर्थशास्त्र भारत भाग्य विधाता युगपुरुष महापुरुष भारत रत्न द सिंबल ऑफ नॉलेज हमारे भारत भूमि में जन्मे मैं नमन करता हूं ऐसे महापुरुष को जिन्होंने जात पात की सारी बेड़ियों को काट कर सभी पुरुष और महिलाओं को समान अधिकार दिए !! जय भीम जय भारत जय संविधान!!???????????????
गुलाम भारत में अंग्रेजों को तो सिर्फ धन संपत्ति की आवश्यकता थी।वास्तव मे हमें गुलाम तो हमारे अपनों ने ही बना रखा था।हमारे अपने ही हमें लूट कर अंग्रेजों के पौ भर रहे थे।वे ही तत्व आज सक्रिय है।दुनिया के किसी भी समाज में एक व्यक्ति को अछूत और दूसरे को भगवान नहीं समझा जाता है। इन सामाजिक समस्याओं के जड़तक पहुंचे थे बाबा भीमराव अंबेडकर।संविधान में इन समस्याओं के उन्मूलन का पर्याप्त प्रावधान है जो उन असमाजिक तत्वों को अखरता है जो हमारे अपने बनकर आजभी उसी व्यवस्था में ढकेलना चाहता है ।दुर्भाग्य की बात है कि वे कुछ हदतक सफल भी होरहे हैं क्योंकि सरकार भी उनके साथ है।अतः आज आदरणीय श्रीअंबेडकर का दिया हुआ संविधान ही हमारे पथप्रदर्शक है।मैं उस महान आत्मा को शत् शत् नमन करता हूँ और श्रधांजलि अर्पित करता हूँ।
Jai bhim ji
Babasaheb doctor BR Ambedkar ko sat sat Naman,
Agar India me Ambedkar ji nanhote to hamare desh ka koi bhavisya nhi hota
Mujhe sabhi ka naam janna hai jo samvidhan likhe the sirf ek ka naam hi kyo sabhi ka naam bataiye