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Wednesday, 27 March, 2024
होममत-विमत‘तुम दलित जैसा दिखते नहीं’ ऐसी बातें जिन्हें ‘ऊंची जातियां’ दलितों से कहना तत्काल बंद करें

‘तुम दलित जैसा दिखते नहीं’ ऐसी बातें जिन्हें ‘ऊंची जातियां’ दलितों से कहना तत्काल बंद करें

यदि आपका एक दलित दोस्त है या आप अपना शौचालय खुद साफ करने का दावा करते हैं, तो भी आपको इन जातिवादी टिप्पणियों से बाज आना चाहिए.

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‘हमेशा पीड़ित बनना, हर बात पर आहत होना और शर्मिंदगी किसी बात की नहीं. कुछ तो शर्म करो.’

ये निर्मला सीतारमण के 2019 के बजट में दलितों की अनदेखी किए जाने पर दिप्रिंट में प्रकाशित मेरे लेख पर मिली प्रतिक्रियाओं का एक नमूना है.

जातिवादी टिप्पणियों का इस्तेमाल आरक्षण जैसे मुद्दों पर दलितों की आलोचना के लिए या उन घिसी-पिटी मान्यताओं पर ज़ोर देने के लिए किया जाता है कि जिनसे कि दलित समुदाय को रोज़ाना जूझना पड़ता है.

इसलिए, ये रही उन बातों की सूची जिन्हें आप कथित ऊंची जाति के लोगों को दलितों से कहना या पूछना नहीं चाहिए.

यदि निम्नांकित सूची आपको असहज करती है, तो फिर ये अच्छी बात है. आपको सुखद अहसास कराना दलितों की जिम्मेवारी नहीं है.

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1. सर्वप्रथम दलितों से कहा जाने वाला सबसे प्रचलित (या उससे मिलता-जुलता) कथन: ‘तुम दलित जैसा दिखते नहीं’ या ‘तुम्हारे बातचीत का लहजा या पहनावा दलितों जैसा नहीं है’ या ‘तुम दलित नहीं हो सकते क्योंकि परीक्षा में तुम्हारे अच्छे अंक हैं’. (हमें कैसा दिखना चाहिए? क्या हम परीक्षा में अच्छा नहीं कर सकते?)

2. ‘अब तक मुझे मिले दलितों में तुम सबसे स्मार्ट निकले!’ (आप आज तक कितने दलितों से मिले हैं?)

3. ‘ये तो पाखंड है कि तुम्हारे दलित दोस्त तो तुम्हें ‘चमार’ कह सकते हैं पर मुझे इसकी इजाज़त नहीं है.’ (आपको समाज में शक्ति-संतुलन और दलितों द्वारा खारिज किए जा चुके शब्दों के इस्तेमाल में निहित इरादे को समझना होगा.)

4. किसी दलित के समक्ष दलितों के लिए कुछ बुरा कहने के बाद: ‘अरे तुम नहीं, तुम अलग हो, बाकी दलितों जैसे नहीं हो.’ (आप कैसे कह सकते हैं कि मैं बाकी दलितों जैसा नहीं हूं? ये आपका पूर्वाग्रह है.)

5. हर वो सवाल जो ‘तो क्या दलित…?’ से शुरू होता हो. या, ‘सारे ऊंची जाति वाले नहीं…’ जैसी प्रतिक्रियाएं. (‘तो क्या दलित…?’ वाले सवाल से आप दलितों को एक अलग खांचे में रखते हैं और ‘हम’ बनाम ‘वे’ का दो पक्षों वाला कथानक निर्मित करते हैं. निश्चय ही सारे ऊंची जाति वाले नहीं, पर अधिकांश ऊंची जाति वालों के बारे में क्या कहेंगे?)

6. ‘हे भगवान! मैं एक दलित बस्ती में गया था और मैंने महसूस किया कि अभी कितना कुछ किया जाना है. क्या तुम कभी गए हो?’ (और ये सब झुग्गी में खेलते अर्द्धनग्न बच्चों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए.)

7. ‘हम सबके साथ भेदभाव हो रहा है, सिर्फ दलितों के साथ ही नहीं.’ (नहीं, आप भेदभाव के शिकार नहीं हैं. और आपको पता भी नहीं है कि भेदभाव क्या होता है.)

8. ‘तुम्हें दलितों के मुद्दों पर लिखने की क्या पड़ी है जबकि तुम किसी और विषय पर लिख सकते हो?’ (क्योंकि मैं ऐसा कर सकता हूं और ऐसा करने वाले लोग ज़्यादा नहीं हैं.)

9. ‘मैं खुद को दलित मानता हूं – मुझे मेरी जाति का पता नहीं, मैं अपना शौचालय खुद साफ करता हूं और मेरा बॉयफ्रैंड/मेरी गर्लफ्रैंड दलित है.’ (क्यों हर जातिवादी का एक दलित दोस्त होता है? यदि सच में ऐसा होता, तो भारत दलितों का देश होता.)


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10. ‘दलित अपना सरनेम बदल कर जातिगत भेदभाव से क्यों नहीं बच निकलते?’ ‘तुम दलित कैसे हो सकते जब तुम्हारा सरनेम ऐसा है जो कि ब्राह्मणों में खूब प्रचलित है?’ (अच्छा, तो फिर जातिगत भेदभाव खत्म करने के लिए ब्राह्मण अपने सरनेम हटा कर दलित सरनेम क्यों नहीं लगा लेते, या फिर कोई सरनेम नहीं?)

11. ‘तुम्हें आरएसएस को समझना होगा.’ (हां, दलित इसे समझते हैं. ये एक खतरनाक संगठन है.)

12. ‘अच्छी नौकरी में होने के बाद भी तुम आरक्षण का समर्थन क्यों करते हो?’ (दलित के अच्छी नौकरी पाने भर से जातिगत भेदभाव बंद नहीं हो जाता.)

13. ‘क्या तुम सचमुच के दलित हो?’ (नहीं, बस पता करने की कोशिश कर रहा हूं कि क्या मेरे पूर्वज गैर-दलित तो नहीं थे.)

14. ‘तुम एक ‘आभिजात्य दलित’ हो और गरीब दलितों की प्रगति के अवसरों को खा रहे हो.’ (‘आभिजात्य दलित’ की अवधारणा सवर्णों के दिमाग की उपज है. शिक्षा या धन के स्तर से परे, हर दलित को जातिगत भेदभाव झेलना पड़ता है, सिर्फ इसकी प्रकृति और मात्रा का अंतर हो सकता है.)

15. ‘तुम तो जात-पात से निकल चुके हो क्योंकि अब विदेश में जो रह रहे हो.’ (जातीय पहचान एयरपोर्ट पर ही छूट नहीं जाती है.)

16. ‘दलित आंबेडकर जयंती का इतना बतंगड़ क्यों बनाते हैं?’ (यदि हम बनाते भी हैं तो आपको क्या कष्ट है?)

17. ‘दलितों ने आंबेडकर को निराश किया है और आंबेडकर एक ब्राह्मण थे.’ (तो आप पीड़ित को दोष देना चाहते हैं? जब दलित कभी कानून-कायदे बनाने की स्थिति में ही नहीं रहे, तो फिर कैसे वे आंबेडकर को निराश कर सकते थे?)


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18. ‘तुम्हें अपना अलग इतिहास क्यों चाहिए? सवर्ण इतिहास का कोई महीना नहीं होता, तो फिर तुम्हें दलित इतिहास माह क्यों चाहिए?’ (ऐसा कह रहे हैं, मानो भारतीय इतिहास की किताबों में दलितों को स्थान मिला हुआ हो.)

19. ‘सबका जीवन महत्वपूर्ण है, सिर्फ दलितों का ही नहीं.’ (बेशक, हर किसी की ज़िंदगी का महत्व है, इसीलिए तो दलितों को उनके अधिकार नहीं दिए जाने पर आक्रोश दिखना चाहिए. पर जब आप दलितों को शिकायत नहीं करने और चुप रहने की ज़रूरत का संकेत देने के लिए ऐसा कहते हैं, तो इसमें समस्या है.)

20. ‘जातिगत भेदभाव से आगे की सोचो, ये अतीत की बात हो चुकी है.’ (जातिगत भेदभाव मौजूद है; आपको बस अपना आंख-कान खोल कर रखने और दलितों की पीड़ा को महसूस करने की ज़रूरत है.)

21. ‘मायावती अपने फायदे के लिए दलितों का इस्तेमाल कर रही हैं.’ (नहीं, उन्होंने दलितों के लिए आज के किसी भी नेता से अधिक किया है. सवाल ये नहीं है कि वह दलितों के लिए क्या कर सकती हैं, बल्कि अपने बीच उनके रहते दलित खुद के लिए क्या कर सकते हैं.)

22. ‘मेरा परिवार बेहद उदार है, और हमने दलित काम वाली को रखा है, उसके परिवार की मदद के वास्ते.’ (आप थोड़ा और उदार क्यों नहीं हो जाते और ऊंची जाति का घरेलू नौकर रखने की कोशिश क्यों नहीं करते?)

23. ‘तुम हर बात में जाति को क्यों घुसेड़ते हो?’ (क्योंकि जाति मायने रखती है और भारत की अधिकांश सामाजिक बुराइयां जाति व्यवस्था के कारण ही हैं.)

24. कथित ऊंची जाति का सर्वकालिक पसंदीदा कथन: ‘आरक्षण ने भारत को बर्बाद कर दिया है.’ (आरक्षण एक संविधान प्रदत्त अधिकार है. आप जाति से छुटकारा पाइए और फिर हम आरक्षण से मुक्ति के लिए मिलकर काम करेंगे.)

25. ‘दलित अक्सर इतना क्रोधित क्यों हो जाते हैं? दलित इतने हिंसक क्यों हैं?’ (जब भी दलित किसी मुद्दे/अत्याचार को लेकर विरोध जताते हैं तो ये बात सुनी जा सकती है. मीडिया में इन विरोध प्रदर्शनों की सुर्खियां कुछ इस तरह होती हैं ‘गुस्साए दलितों ने…’. हां, हमें उस व्यवस्था पर गुस्सा आता है जो हमें बराबरी का अधिकार नहीं देती है.)

26. ‘मुझे ऊंची जाति के विशेषाधिकार प्राप्त नहीं हैं.’ (यदि आप ऐसा कहते हैं, तो बेहतर होगा इस पर दोबारा विचार करें.)


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27. ‘हर समय जातिवाद की बात करते रहने से आप ही सबसे बड़े जातिवादी साबित होते हैं.’ (जाति स्वत: ही गायब नहीं होने वाली है. आपको इस बारे में बात करनी होगी और इसे सार्वजनिक बहसों और चर्चाओं का हिस्सा बनाना पड़ेगा. क्या आप जाति पर बहस छेड़ने की कोशिश करने वाले दूत को ही खत्म कर देना चाहते हैं.)

28. ‘जाति के बारे में बातें करना बंद कर दो और ये स्वत: ही समाप्त हो जाएगी.’ (दलित उसी दिन जाति की चर्चा करना बंद कर देंगे, जिस दिन कथित ऊंची जातियां इससे लाभांवित होना छोड़ देंगी.)

(लेखक वेब प्रकाशन वेलिवाडा के संस्थापक संपादक हैं, और वेब पोर्टल आंबेडकर कारवां का संचालन करते हैं. लेख में व्यक्त विचार उनके निजी हैं.)

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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1 टिप्पणी

  1. विचार निजी हैं तो आप क्यों इस तरह के जातिसूचक, जातिवाद वाले पोस्ट को पोस्ट कर रहें हैं।

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