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Friday, 22 November, 2024
होममत-विमतधोनी, विराट, अश्विन, कार्तिक जैसे खिलाड़ी क्यों लांघते हैं मर्यादा की लक्ष्मण रेखा?

धोनी, विराट, अश्विन, कार्तिक जैसे खिलाड़ी क्यों लांघते हैं मर्यादा की लक्ष्मण रेखा?

जिन खिलाड़ियों की वजह से ये चर्चा हो रही है वो सब के सब भारतीय हैं. सब के सब अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में लंबा अनुभव रखते हैं.

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शुक्रवार को कोलकाता और पंजाब के खिलाफ मैच के दौरान दिनेश कार्तिक का गुस्सा आज हर जगह चर्चा में है. कुछ सेकेंड्स के लिए टीवी पर जो विजुअल दिखाए गए उसमें दिनेश कार्तिक आगबबूला थे. ये वाकया ‘स्ट्रेटजिक टाइम आउट’ के दौरान का है. सोशल मीडिया में भी दिनेश कार्तिक की नाराजगी को लेकर बात हो रही है.

दरअसल कोलकाता के कप्तान दिनेश कार्तिक को आम तौर पर शांत खिलाड़ी माना जाता है. मैच के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने स्वीकार भी किया कि मैदान में गेंदबाज और फील्डर्स जो कर रहे थे उससे वो खुश नहीं थे. दरअसल कोलकाता के लिए शुक्रवार का मैच ‘मस्ट विन’ मैच था. जिसमें कुछ गेंदबाजों की लाइनलेंथ से दिनेश कार्तिक को नाराजगी थी. आज वो प्लेऑफ की रेस में इसलिए बने हुए हैं क्योंकि उन्होंने पंजाब को हराकर अपनी उम्मीदों को बरकरार रखा.

बावजूद इसके जिस तरह का बर्ताव दिनेश कार्तिक ने अपनी ही टीम के खिलाड़ियों को दिखाया वो इस सवाल को और मजबूत करता है कि खिलाड़ी मैदान में अपना आपा क्यों खो देते हैं. भूलना नहीं चाहिए कि ये वही टूर्नामेंट है जिसमें हरभजन सिंह ने आपा खोकर श्रीशांत को थप्पड़ जड़ दिया था. जिस टूर्नामेंट में खालिस क्रिकेट का रोमांच इस कदर है कि आखिरी लीग मैच तक प्लेऑफ की तस्वीर साफ नहीं है. उसमें इस तरह की घटनाएं ‘बैड इन टेस्ट’ कही जाती हैं.


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अफसोस इस बात का है कि इस तरह की घटनाओं में ज्यादातर ऐसे खिलाड़ी हैं जिनका अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में लंबा अनुभव है. जो जानते हैं कि क्रिकेट की एक परिभाषा ‘जेंटलमैन गेम’ भी है. अगर एकाध मामला हो तो बात समझ में आती है. इस सीजन में खिलाड़ियों ने कई बार मर्यादा की लक्ष्मण रेखा को पार किया है. बड़ा सवाल यही है कि धोनी, विराट, अश्विन, दिनेश कार्तिक जैसे खिलाड़ी अगर इस तरह का बर्ताव मैदान में दिखाएंगे तो नए खिलाड़ियों से क्या उम्मीद दी जाएगी.

‘मानकेडिंग’ से शुरू हुआ विवादों का सिलसिला

पहली लड़ाई तो आर अश्विन और जोस बटलर के बीच शुरू हुई थी. अश्विन ने बटलर को बिना वॉर्निंग दिए ‘बॉलिंग एंड’ पर रनआउट किया था. जो विवाद पूरे आईपीएल में छाया रहा. इसके बाद मार्च के महीने में ही मुंबई इंडियंस के खिलाफ मैच में विराट कोहली स्क्रीन पर गाली देते दिखे. उनकी नाराजगी इस बात को लेकर थी कि आखिरी दो गेंद पर उनकी टीम को जीत के लिए 8 रन चाहिए थे. अंपायर ने लसिथ मलिंगा की नो-बॉल को ‘मिस’ कर दिया. आरसीबी की टीम वो मैच हार गई थी. इसके बाद 11 अप्रैल को धोनी की नाराजगी भी टीवी सेट्स पर दिखाई दी थी.

राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ मैच में तो धोनी मैदान के बीच में आ गए थे. वहां भी विवाद नो बॉल को लेकर ही था. भला हो वो मैच चेन्नई की टीम हारी नहीं वरना ये विवाद और बढ़ गया होता. धोनी के इस बर्ताव पर उनकी पचास फीसदी मैच फीस जुर्माने के तौर पर काटी गई. रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर और किंग्स इलेवन पंजाब के मैच में विराट कोहली और आर अश्विन के बीच की तनातनी साफ दिखाई दी.

24 अप्रैल को रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर और किंग्स इलेवन पंजाब के मैच के बाद भी कई जगहों पर ये चर्चा गर्म थी कि विराट कोहली जानबूझकर आर अश्विन को उकसाने की कोशिश कर रहे थे. आरसीबी ने वो मैच 17 रन से जीता था. इसके अलावा दिल्ली कैपिटल्स के खिलाफ मैच में विराट कोहली के एक कैच को लेकर ऋषभ पंत और ईशांत शर्मा के साथ उनकी बातचीत भी करोड़ो क्रिकेट फैंस ने देखी.

आक्रमकता और अति आक्रमकता के बीच का फर्क

इस बारीक फर्क को खिलाड़ियों को समझना होगा. खासतौर पर उन बड़े खिलाड़ियों को जो इस खेल के ‘एम्बेसडर’ हैं. जिन खिलाड़ियों की वजह से ये चर्चा हो रही है वो सब के सब भारतीय हैं. सब के सब अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में लंबा अनुभव रखते हैं. सब के सब अपनी अपनी टीमों के कप्तान हैं. सब पर ‘परफॉर्मेंस’ का ‘प्रेशर’ है लेकिन इन सारी बातों के बावजूद क्या वो मैदान में साथी खिलाड़ियों को अपशब्द कहने का हक़ रखते हैं- इसका जवाब है नहीं. बिल्कुल नहीं!

(शिवेंद्र कुमार सिंह खेल पत्रकार हैं. पिछले करीब दो दशक में उन्होंने विश्व कप से लेकर ओलंपिक तक कवर किया है. फिलहाल स्वतंत्र लेखन करते हैं. यह लेख उनका निजी विचार है.)

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