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Sunday, 22 December, 2024
होममत-विमतपूरे देश में सबसे ज्यादा सीवेज ट्रीटमेंट वाला शहर दिल्ली यमुना नदी को लेकर झूठ क्यों बोलता है

पूरे देश में सबसे ज्यादा सीवेज ट्रीटमेंट वाला शहर दिल्ली यमुना नदी को लेकर झूठ क्यों बोलता है

2023 तक यमुना को प्रदूषण मुक्त करने का दावा सिर्फ गोल पोस्ट शिफ्ट करने जैसा मामला है. इस समय यमुना एक्शन प्लान तृतीय चल रहा है, यमुना एक्शन प्लान प्रथम यानी 1993 से यह तमाशा जारी है, यमुना तारीखों में बह रही है.

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हर साल यही कहानी दोहराई जाती है. मुसीबत कितनी भी बड़ी हो उससे दुगने आकार की उम्मीदों वाली हेडलाइन परोस दीजिए, तकलीफ कम हो जाएगी. जैसे ही यमुना की झाग वाली तस्वीरें आना शुरु हुई दिल्ली सरकार ने नई बड़ी घोषणाएं करते हुए दावा कर दिया कि 2023 तक यमुना को नब्बे फीसद साफ कर देंगे. लगातार कुछ नया ढूढ़ते मीडिया के पास यह पलटकर देखने का समय नहीं है कि पिछले साल इसी समय माननीय ने क्या दावा या वादा किया था.

यमुना का झाग, पानीपत और सोनीपत की फैक्ट्रियों की देन है लेकिन ध्यान देने की बात यह है कि यह इंड्स्ट्रीज तो साल भर चलती है फिर इसी समय यह आफत क्यों नजर आती है.

गंगा वाटर की सप्लाई बंद होना और यमुना पर असर पड़ना

यमुना के पानी में झाग और सत्ता के चिंतन की टाइमिंग पर ध्यान देंगे तो कहानी आसानी से समझ आ जाएगी. दिल्ली में पीने का पानी मोटे तौर पर तीन स्रोतों से आता है. पहला है अपर गंगा नहर जिसका पानी पूर्वी दिल्ली को सप्लाई होता है, दूसरा है पश्चिमी यमुना नहर, जो दिल्ली के बड़े हिस्से को पानी सप्लाई करती है और तीसरा है ग्राउंड वाटर, दिल्ली की हजारों सोसाइटियां और बाहरी दिल्ली की बसाहटें लगातार भूमिगत जल चूसती रहती है. अपर गंगा नहर में हर साल दिवाली के ठीक पहले रखरखाव कार्य होता है जिससे दिल्ली में गंगा वाटर की सप्लाई कुछ दिन के लिए बंद हो जाती है.  जिसका सीधा असर यमुना पर आने वाले पानी पर नजर आता है, क्योंकि यमुना की मुख्य धारा में कोई पानी है ही नहीं .

वहां सिर्फ डोमेस्टिक और इंडस्ट्रियल सीवेज है, यह सीवेज हमेशा ही हाई टॉक्सिक होता है लेकिन गंगा नहर के द्वारा आने वाला पानी इसे काफी हद तक डायल्यूट कर देता है, इतना कि इसे ट्रीट किया जा सके. इस समय चूंकि गंगा नहर मेनटेनेंस के लिए बंद है अमोनिया और फॉस्फेट नजर आ रहा है यानी वह सच्चाई नजर आ रही है जिससे हम आंखें फेरे रहते हैं.


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भूल चूक लेनी देनी

2023 तक यमुना को प्रदूषण मुक्त करने का दावा सिर्फ गोल पोस्ट शिफ्ट करने जैसा मामला है. इस समय यमुना एक्शन प्लान तृतीय चल रहा है, यमुना एक्शन प्लान प्रथम यानी 1993 से यह तमाशा जारी है, यमुना तारीखों में बह रही है.
एक नजर भूल चूक लेनी देनी पर भी डाल लीजिए. यानी हम यमुना से जो लेते हैं उसके बदले में देते क्या है. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 720 एमजीडी (million gallons water per day) वेस्ट वाटर पैदा होता है.

इसमें से मात्र 525 एमजीडी को हम ट्रीट कर पाते हैं यह भी ध्यान रखें कि दिल्ली के पास देश में सर्वाधिक 44 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट है. इस 525 ट्रीटेट वाटर में से सिर्फ 90 एमजीडी पानी तलाबों, पार्कों और वैटलैंड एरिया में उपयोग में आता है. पिछले कई सालों से पर्यावरण कार्यकर्ता यह मांग कर रहे हैं कि यमुना बाढ़ क्षेत्र में तालाब बनाए जाए और उनमें ट्रीटेड वाटर को रखा जाए ताकि भूमिगत जल भी रिचार्ज हो सके. अब सरकार ने कहा है कि वह ट्रीटेड वाटर यूज को 90 एमजीडी से बढ़ाकर 400 एमजीडी तक ले जाएगी लेकिन यह बात सरकारें नई शताब्दी यानी सन 2000 से ही कह रही हैं अभी तक इस सवाल का कोई जवाब नहीं कि इस वेस्ट वाटर को कहां यूज करेंगे.

पांच साल पहले यमुना में 17 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (नए और पुराने ) को लगाने और चलाने के लिए कमेटी का गठन हुआ. कमेटी ने कहा कि अतिरिक्त पैसे की जरूरत नहीं, निर्धारित बजट में ही यह काम हो सकता है. आज तक इस मामले में सरकार बमुश्किल दो कदम आगे बढ़ पाई है. दिल्ली जल बोर्ड को यह एप्रोच पसंद नहीं आती. पुराने एसटीपी चलाने से ज्यादा उसे नए लगाने में रूचि रहती है क्योकि उसका बजट अच्छा खासा होता है.

यमुना में 2023 तक डुबकी लगवाने का दावा करने वाले अच्छी तरह जानते हैं कि यह संभव नहीं क्योंकि दिल्ली की यमुना में पानी है ही नहीं. हथनी कुंड बैराज के बाद पानी आगे नहीं बढ़ता तो डूबकी से शायद उनका मतलब ‘ट्रीटेट सीवेज वाटर’ से होगा.

दिल्ली की यमुना का सच यही है कि वह अपने ही सीवेज से दृश्यमान है. यदि नजफगढ़ सहित सभी नाले यमुना में डालने बंद कर दिए जाए तो यमुना एक सूखा मैदान बन जाएगी जिसके कुछ हिस्सों में दलदल होगा. वैसे हरियाणा लगातार दिल्ली को 1133 क्यूसेक पानी देता है लेकिन वह दिल्ली की जरूरतों के हिसाब से बेहद कम है. और इसे राज्य में प्रवेश करते ही उपयोग में ले लिया जाता है.

दिल्ली के मुखिया जिस यमुना में दिल्लीवासियों को डुबकी लगवाना चाहते है वह यमुना सरकारी फाइलों में ‘मृत नदी’ के रूप में दर्ज है.

एक तथ्य और जान लीजिए दिल्ली के कुल 48 किलोमीटर लंबाई में यमुना बहती है, इसमें से वजीराबाद से ओखला के बीच मात्र 22 किलोमीटर के क्षेत्र में यमुना 80 फीसद प्रदूषित होती है. इस अस्सी फीसद का मतलब है यमनोत्री से लेकर प्रयागराज संगम तक कुल प्रदूषण का 80 फीसद दिल्ली योगदान करती है.

वैसे अखबारों की हेडलाइन है – दिल्ली सरकार ने कमर कसी, कलकल बहेगी यमुना. अब इस कलकल का कल कब आएगा पता नहीं.


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