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Sunday, 22 December, 2024
होममत-विमतकौन हैं हनुमा विहारी जिस पर कप्तान कोहली ने रोहित शर्मा से ज्यादा भरोसा जताया

कौन हैं हनुमा विहारी जिस पर कप्तान कोहली ने रोहित शर्मा से ज्यादा भरोसा जताया

हनुमा विहारी ने वेस्टइंडीज के खिलाफ जितने भी रन बनाए उसमें लगभग 70 फीसदी रन ऐसे थे, जो उन्होंने सीधे बल्ले से बनाए.

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हनुमा विहारी जब सिर्फ 12 साल के थे, तभी जिंदगी ने उन्हें बहुत बड़ा झटका लगा. उनके पिता का असामयिक निधन हो गया. उस दिन तक हनुमा ने अपने आने वाले कल को लेकर क्या सोचा था और क्या नहीं ये तो नहीं पता. लेकिन उस दिन उन्होंने तय किया कि वो एक ना एक दिन देश के लिए जरूर खेलेंगे. आखिरकार, उनका सपना पूरा हुआ और उन्होंने 2018 में अपने टेस्ट करियर की शुरुआत की. सिर्फ 17 साल की उम्र में वो आंध्र प्रदेश के लिए घरेलू क्रिकेट खेलना शुरू कर चुके थे. जमैका में जब उन्होंने करियर का पहला शतक लगाया, तो उसे अपने पिता को ही समर्पित किया. बाद में कप्तान विराट कोहली ने भी कहा कि हनुमा वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट सीरीज में टीम इंडिया की नई खोज हैं. जमैका टेस्ट मैच में उन्हें मैन ऑफ द मैच चुना गया.

टेस्ट टीम में नई खोज हनुमा विहारी की बल्लेबाजी के तकनीकी पक्ष को पहले समझना जरूरी है. वो बैकफुट पर बहुत मजबूत है. गेंद के पिच पर टप्पा खाने के बाद उसे देर तक देखने के बाद ही शॉट खेलते हैं. सीधे बल्ले से खेलने में उन्हें महारत हासिल है. क्रिकेट की रूल-बुक कहती भी यही है कि सीधे बल्ले से बल्लेबाजी की जाए. वेस्टइंडीज के खिलाफ उन्होंने जितने भी रन बनाए उसमें लगभग 70 फीसदी रन ऐसे थे, जो उन्होंने सीधे बल्ले से बनाए.


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हनुमा विहारी की एक और खासियत है. वो अपनी बल्लेबाजी के दौरान किसी तरह का जोखिम कम ही लेते हैं. इस मामले में तो कई बार ऐसा लगता है कि वो विराट कोहली से भी बेहतर हैं. उनकी बल्लेबाजी को गौर से देखिए, तो मालूम होता है कि उन्हें इस बात का अंदाजा अच्छी तरह है कि उन्हें अपनी बल्लेबाजी को कब रफ्तार देना है. यही वजहें हैं कि फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उनके खाते में छह हजार से ज्यादा रन हैं, 19 शतक हैं. कई बार ऐसा होता है कि खिलाड़ी अपने घरेलू प्रदर्शन को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में नहीं दोहरा पाता है. लेकिन, वेस्टइंडीज के खिलाफ सीरीज में भी उन्होंने अपने इसी दमदार और भरोसेमंद प्रदर्शन को दोहराया. हनुमा विहारी इस सीरीज में भारत की तरफ से सबसे ज्यादा 289 रन बनाने वाले बल्लेबाज हैं.

ऑस्ट्रेलिया में ही जगाया था भरोसा

हनुमा विहारी की कहानी की शुरुआत ऑस्ट्रेलिया से हुई थी. विराट कोहली ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज में हनुमा विहारी को मौका दिया था. मुश्किल हालात में भी उन्होंने धैर्य के साथ बल्लेबाजी की थी. ऑस्ट्रेलिया में विहारी के खाते में कोई बड़ी पारी नहीं थी, लेकिन 3 टेस्ट मैच की 5 पारियों में हनुमा विहारी ने 111 रन बनाए थे. उनकी औसत भले ही 22.20 की थी, लेकिन उनकी बल्लेबाजी का अंदाज भरोसा देने वाला था. हर किसी को ये समझ आ चुका था कि ये खिलाड़ी आसानी से अपना विकेट किसी को देने वाला नहीं है. यही वजह थी कि वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट सीरीज के लिए टीम इंडिया में ना सिर्फ उन्हें जगह मिली बल्कि प्लेइंग 11 में उन्हें रोहित शर्मा से पहले मौका दिया गया. जिस मौके को उन्होंने दोनों हाथ से लपका.

एंटिगा टेस्ट की पहली पारी में उन्होंने 32 रनों की अहम पारी खेली. इसके बाद दूसरी पारी में वो शतक लगाने से सिर्फ 7 रन से चूक गए. एंटिगा टेस्ट मैच में जीत के बाद उन्होंने बड़े आत्मविश्वास के साथ कहा कि शतक तो वो बना ही लेंगे ज्यादा जरूरी टीम की जीत है. उन्होंने अपने आत्मविश्वास को अगले ही टेस्ट मैच में सही साबित भी कर दिया. जमैका टेस्ट में हनुमा विहारी ने 200 गेंद पर अपना पहला शतक पूरा किया, वो 111 रन बनाकर आउट हुए. उनकी पारी में 16 चौके शामिल थे. अब आप ये बात ताल ठोंक कर कह सकते हैं कि हनुमा विहारी ने अगली कई सीरीज के लिए टेस्ट टीम में अपनी सीट पक्की कर ली है.

तकनीकी तौर पर दमदार हैं हनुमा विहारी

टेस्ट क्रिकेट में भारतीय टीम को लंबे समय से मध्यक्रम में एक ऐसे बल्लेबाज की जरूरत थी, जो तकनीकी तौर पर दमदार हो. जो विरोधी टीम जब नई गेंद ले तो उसका सामना करने के लिहाज से परिपक्व हो. जिसे क्रीज पर खड़े रहने के साथ-साथ रन बनाने का तरीका आता हो. हनुमा विहारी में ये सारे लक्षण दिखाई दे रहे हैं. हनुमा विहारी गेंदबाजी भी करते हैं, यानी विराट कोहली को हनुमा विहारी के तौर पर ‘वेरिएशन’ भी मिलता है. इस सीरीज के बाद भारत को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ घरेलू सीरीज खेलनी है. टेस्ट चैंपियनशिप के लिहाज से टीम इंडिया की कोशिश इसी बात की है कि ज्यादा से ज्यादा मैच जीते जाएं और प्वाइंट टेबल में पहले पायदान पर कब्जा बनाए रखा जाए. इस लिहाज से जिस तरह की संतुलित टीम चाहिए, उसमें हनुमा विहारी बिल्कुल फिट बैठते हैं. ऐसा कम ही होता है जब भारतीय क्रिकेट टीम कोई बड़ी उपलब्धि हासिल करे और उसमें विराट के अलावा किसी और बल्लेबाज की चर्चा हो रही हो. हनुमा विहारी ने अपने भरोसेमंद प्रदर्शन से यही मुकाम हासिल किया है.

(शिवेंद्र कुमार सिंह खेल पत्रकार हैं. पिछले करीब दो दशक में उन्होंने विश्व कप से लेकर ओलंपिक तक कवर किया है. फिलहाल स्वतंत्र लेखन करते हैं.)

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