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Thursday, 25 April, 2024
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‘गायक जी’- स्टार प्रचारकों से पहले ये गुमनाम सितारे UP चुनावों में बांधते हैं समां

उत्तर प्रदेश विधानसभा के अगले चुनाव के लिए माहौल गरम हो रहा है, राजनीतिक दलों के नेता और उम्मीदवार अपनी चुनाव सभाओं के लिए लोक गायकों की बुकिंग करने लगे हैं.

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चुनाव अभियानों की कहानी राजनीतिक दलों के चेहरे के रूप में उभरने वाले स्टार चुनाव प्रचारकों और नेताओं की भी कहानी होती है. फिल्मी सितारे, बॉलीवुड के गायक, क्रिकेट खिलाड़ी अक्सर बड़े रोड शो और भीड़ भरी रैलियां करके इन अभियानों में रंग भरा करते हैं. लेकिन जिन लोगों का शायद ही जिक्र किया जाता है उनमें ‘गायक जी ‘ भी शामिल हैं. ये गायक जी स्थानीय लोक गायक या गायिकाएं होती हैं, जो उत्तर प्रदेश की भोजपुरी, ब्रज या अवधी जैसी लोकप्रिय बोलियों में लोकगीत गाती हैं.

उत्तर प्रदेश विधानसभा के अगले साल होने वाले चुनाव के लिए माहौल जबकि गरम हो रहा है, इन लोक गायकों की मांग बढ़ने लगी है. राजनीतिक दलों के नेता और कार्यकर्ता अपनी रैलियों के लिए इनकी बुकिंग करने लगे हैं. इन गायकों की फीस मोलभाव करके तय की जाती है. उनकी कोई निश्चित फीस नहीं होती. जिन उम्मीदवारों के साथ गायक का व्यक्तिगत कोई रिश्ता होता है उनके लिए वे बिना फीस के भी कार्यक्रम पेश कर देते हैं. ऐसे मामलों में गायक को बख्शीश या इनाम दिया जाता है.


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गुमनाम सितारे

मुन्नू यादव उत्तर प्रदेश के सोनभद्र के मशहूर ‘बिरहा ’ गायक हैं. वे वाराणसी के पास के एक स्कूल में शिक्षक हैं. मुन्नू भाई के नाम से लोकप्रिय मुन्नू यादव पिछले चुनावों में भी ललितेशपति त्रिपाठी जैसे नेताओं की चुनावी रैलियों में गा चुके हैं. त्रिपाठी आजमपुर के मरिहान चुनाव क्षेत्र के पूर्व विधायक हैं, जो हाल में कांग्रेस से दलबदल करके तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए. चाहे कांग्रेस हो या सपा या भाजपा, सभी के नेता मुन्नू भाई की बुकिंग करने के लिए उनके पास आते हैं.

मुन्नू भाई जैसे गायक कजरी, बिरहा, रागिनी, जंत्सर, पूर्वी रागों में लोकगीत तैयार करते हैं. उनके गीतों में उम्मीदवारों की विशेषताओं का वर्णन तो होता ही है, यह भी दावा किया जाता है कि चुनाव जीतने के बाद उम्मीदवार वहां की जनता के लिए क्या कुछ करेंगे.

लोक गायक मुन्नू यादव | फोटो: विशेष प्रबंध

रैलियों में मंच पर मुख्य वक्ताओं के आने से पहले वे संगीत से माहौल तैयार कर देते हैं जिसे लोग ‘समां बांधना ’ कहते हैं. विशाल भीड़ इन गायकों का खूब स्वागत करती है. अधिकतर रैलियों में स्टार प्रचारक अक्सर घंटों की देरी से पहुंचते हैं इसलिए इन कलाकारों को अपने प्रदर्शन से खाली समय को भरना पड़ता है. वे 10-12 कलाकारों और संगीत के साज़ों की मंडली के साथ कार्यक्रम पेश करते हैं.

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गौरतलब है कि यह परंपरा भारत में चुनावी लोकतंत्र की स्थापना के साथ शुरू हुई. भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जब फूलपुर चुनाव क्षेत्र से चुनाव लड़ते थे तब रामराज नाम के स्थानीय लोक गायक अपनी संगीत मंडली के साथ चुनाव सभाओं में गाया करते थे. कहा जाता है कि नेहरू भाषण देकर चले जाते थे, उसके बाद भी सभा में आए लोग रामराज के गीत सुनने के लिए रुके रहते थे.

उनका एक मशहूर गीत यह था-

भारत स्वर्गलोक हो जइहे
धीर धरा सजनी
धीर धरा सजनी
छुआछूत के भेद मिटइहे
ई देखा बुद्धिमानी
पंडित धोबी के घर खइहे
धीर धरा सजनी
नदिया दूधो से भर जइहे
धीर धरा सजनी

केवल नेहरू की सभाओं में ही नहीं बल्कि उनके खिलाफ चुनाव लड़ रहे प्रभुदत्त ब्रह्मचारी की सभाओं में भी स्थानीय लोक गायक भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित हिंदू कोड बिल के विरोध में गीत गाया करते थे.


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वाहवाही भी और खतरा भी

लोक गायक अपना लिखा हुआ गीत गाते हैं. उनमें से कुछ तो आशु कवि हैं यानी उन्हें जो भी विषय सुझाया जाता है उस पर तत्काल कविता रच देते हैं. कुछ गायक दूसरे के लिखे गीत गाते हैं. यह चलन दूसरे राज्यों में भी है.

तेलुगु लोक गायक गप्पाला राजू ने तेलंगाना के चुनाव में अहम भूमिका निभाई थी. वे गाते हैं, ढोल बजाते हैं और जिस उम्मीदवार के लिए कार्यक्रम करते हैं, उसके लिए लोगों को वोट देने की अपील करते हैं.

संजय लाल यादव अपना पसंदीदा गीत ‘अखिलेश पसंद है ’ गाते हैं. लोक गायक प्रभाकर मौर्य भाजपा की चुनावी सभाओं में गाते हैं- ‘हर बूथ पर कमल खिलेगा ’. जौनपुर के लोक गायक हीरा को उत्तर प्रदेश विधानसभा के 2022 के चुनाव में गाते हुए सुना जा सकेगा.

इन गायकों को ज्यादातर समय तो लोगों से वाहवाही मिलती है लेकिन कभी-कभी उन्हें विरोधी उम्मीदवार के समर्थकों की हिंसा का सामना भी करना पड़ता है. उनके गीत गांव-गांव, बस्ती-बस्ती गूंजते हैं. उत्तर प्रदेश के अगले चुनाव में भी यही होने वाला है.

(लेखक जीबी पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान, इलाहबाद में प्रोफेसर और निदेशक हैं. वो @poetbadri पर ट्वीट करते हैं. व्यक्त विचार निजी हैं)

(इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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