कोलकाता टेस्ट तय समय से करीब आधे वक्त में ही खत्म हो गया. मैच के तीसरे दिन ही भारतीय टीम ने बांग्लादेश का ‘पैकअप’ कर दिया. बांग्लादेश को पारी और 46 रनों की बड़ी हार का सामना करना पड़ा. इस जीत के साथ ही भारतीय टीम ने लगातार सातवीं टेस्ट जीत दर्ज कर ली. इसके अलावा भारतीय टीम दुनिया की इकलौती ऐसी टेस्ट टीम बन गई जिसने लगातार चार टेस्ट मैच पारी के अंतर से जीत लिए. इससे पहले तीन टेस्ट मैच उसने बांग्लादेश और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पारी के अंतर से जीते थे. जो इंदौर, रांची और पुणे में खेले गए थे.
टीम इंडिया की बड़ी उपलब्धि ये भी है कि जब से विश्व टेस्ट चैंपियनशिप शुरू हुई है भारतीय टीम लगातार जीत हासिल कर रही है. जिसका नतीजा ये है कि भारतीय टीम विश्व टेस्ट चैंपियनशिप की प्वाइंट टेबल में टॉप पर बनी हुई है. उसके खाते में अब 360 अंक हैं. टीम इंडिया इकलौती ऐसी टीम है जिसे विश्व टेस्ट चैंपियनशिप शुरू होने के बाद से कोई भी टीम हरा नहीं पाई है. प्वाइंट टेबल में दूसरे नंबर की टीम ऑस्ट्रेलिया से उसके खाते में पूरे 200 अंक ज्यादा हैं. इन सारी बातों का सुकून विराट कोहली के चेहरे पर साफ दिखाई दे रहा था जब उन्होंने कोलकाता के ऐतिहासिक इडेन गार्डेन्स में बीसीसीआई के अध्यक्ष सौरव गांगुली से ट्रॉफी ली.
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जीत का रंग गुलाबी है
इस टेस्ट के साथ ही भारतीय क्रिकेट में एक नया अध्याय जुड़ गया. भारतीय टेस्ट क्रिकेट इतिहास में ये पहला मैच था जब भारतीय टीम ने पिंक बॉल से डे-नाइट टेस्ट मैच खेला. पिछले कुछ समय से टेस्ट क्रिकेट की लोकप्रियता को बचाए रखने के लिए डे-नाइट टेस्ट मैच की वकालत की जा रही थी. दुनिया के कुछ देशो में डे-नाइट टेस्ट मैच खेले जा भी रहे थे लेकिन भारत में ये प्रयोग पहली बार किया गया. टीम इंडिया के सामने ये प्रस्ताव ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान भी रखा गया था लेकिन तब विराट कोहली ने पिंक बॉल से टेस्ट खेलने से इंकार कर दिया था. जिसकी वजह ये थी कि उस वक्त तक टीम इंडिया पिंक बॉल से बिल्कुल भी परिचित नहीं थी. अब जबकि ये प्रस्ताव सौरव गांगुली ने रखा तो विराट कोहली तैयार हो गए.
ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इस बार टीम इंडिया के पास पिंक गेंद से प्रैक्टिस का अच्छा खासा समय भी था. बड़ी बात ये भी है कि पिछले दिनों विराट कोहली ने ही कहा था कि भारत में टेस्ट क्रिकेट को रोटेशन पॉलिसी से अलग रखना चाहिए. उनके कहने का आशय था कि टेस्ट मैच मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और बेंगलुरू जैसे बड़े शहरों में ही होने चाहिए क्योंकि टेस्ट क्रिकेट देखने के लिए फैंस इन्हीं शहरों में स्टेडियम आते हैं. कोलकाता में सौरव गांगुली ने विराट कोहली की ये शिकायत भी दूर कर दी. टेस्ट मैच के पहले ही दिन 40 हजार से ज्यादा क्रिकेट फैंस स्टेडियम पहुंचे थे. वो भी तब जबकि मैच बांग्लादेश के खिलाफ था और हर कोई जानता था कि मैच का नतीजा भारतीय टीम की झोली में जाएगा.
पिंक बॉल को लेकर चर्चाओं का दौर भी गर्म था कि ये टेस्ट मैच की पारंपरिक लाल गेंद से कितनी अलग होगी. भारतीय गेंदबाज इसे कैसे ‘हैंडल’ करेंगे. बल्लेबाजों के लिए ये पिंक गेंद कहीं मुश्किल न खड़ी करे लेकिन ढाई दिन से भी कम में मैच खत्म करके टीम इंडिया ने ये साबित कर दिया कि उसे गेंद के रंग से बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ता. क्योंकि उसकी नजर अब सिर्फ जीत पर रहती है.
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तेज गेंदबाजों का कहर जारी है
कोलकाता टेस्ट मैच में ईशांत शर्मा को मैन ऑफ द मैच चुना गया. शर्मा ने दोनों पारियों को मिलाकर 9 विकेट लिए. बड़ी बात ये भी है कि इस टेस्ट मैच में पूरे 19 विकेट भारतीय तेज गेंदबाजों ने लिए. ईशांत ने 9, उमेश यादव के 8 के अलावा 2 विकेट मोहम्मद शमी ने लिए. याद नहीं आता कि इससे पहले कब भारतीय स्पिनर्स को पूरे टेस्ट मैच में एक भी विकेट नहीं मिला था. पिछले टेस्ट मैच में भी भारतीय तेज गेंदबाजों ने 14 विकेट झटके थे. तेज गेंदबाजों का ये प्रदर्शन तब है जब टीम के दो फ्रंटलाइन तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह और भुवनेश्वर कुमार टीम में नहीं हैं. ये बात हर टेस्ट मैच के साथ और मजबूती से स्थापित होती जा रही है कि टीम इंडिया को जीत दिलाने में उसके तेज गेंदबाज बल्लेबाजों से कहीं ज्यादा सहयोग दे रहे हैं. जो बतौर कप्तान विराट कोहली के लिए और भारत के टेस्ट क्रिकेट के लिए बहुत बड़ी खुशखबरी है.
(शिवेंद्र कुमार सिंह खेल पत्रकार हैं. पिछले करीब दो दशक में उन्होंने विश्व कप से लेकर ओलंपिक तक कवर किया है. फिलहाल स्वतंत्र लेखन करते हैं.)