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Thursday, 25 April, 2024
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जब पाकिस्तान में डेविस कप नहीं हुआ तो एशिया कप कैसे होगा

क्रिकेट एशिया कप का आयोजन करीब 10 महीने बाद होना है. इस टूर्नामेंट में भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश जैसी टीमों को हिस्सा लेना है.

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महीनों तक चले वाद-विवाद के बाद आखिरकार इंटरनेशनल टेनिस फेडरेशन ने तय किया कि पाकिस्तान में डेविस कप मैचों का आयोजन संभव नहीं है. करीब पांच दशक के बाद भारतीय टीम को डेविस कप खेलने के लिए पाकिस्तान जाना था. लेकिन, पाकिस्तान के हालात देखते हुए भारतीय टेनिस फेडरेशन ने वहां जाने से इंकार कर दिया था. पिछले कुछ महीनों से, खासतौर पर कश्मीर को लेकर भारत सरकार के फैसले के बाद हालात और तेजी से बदले.

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान और उनके मंत्रियों ने अंतरराष्ट्रीय मंचों से जिस तरह की भड़काऊ बातें कहीं उससे हालात बिगड़ते गए. आपको याद दिला दें कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के मंच से कश्मीर को लेकर भारत को परमाणु युद्ध की धमकी दी थी. खुलेआम आतंक का साथ दिया था, कश्मीर के लोगों को हथियार उठाने के लिए उकसाया था. इस भाषण में धर्म और आतंक को लेकर इमरान का असली चेहरा पूरी दुनिया ने देखा. एक खिलाड़ी से राजनेता बने इमरान खान से ऐसी उम्मीद, पूरी खेल बिरादरी को नहीं थी. फिर नौबत ये आई कि इसी महीने के अंत में खेले जाने वाले डेविस कप के मैच अब किसी ‘न्यूट्रल वेन्यू’ पर होंगे. इस बीच एक विवाद भारतीय टेनिस में भी हुआ. जब फेडरेशन ने पूर्व डेविस कप खिलाड़ी रोहित राजपाल को टीम का कप्तान नियुक्त कर दिया. महेश भूपति इस फैसले से नाराज हैं. उनका कहना है कि ये फैसला उन्हें जानकारी दिए बिना और भरोसे में लिए बिना किया गया है. हालांकि, फेडरेशन के अधिकारी भूपति के इस आरोप को खारिज कर रहे हैं. बहरहाल, इस वक्त बड़ा मुद्दा ये है कि अगर पाकिस्तान में डेविस कप के मैच नहीं खेले जा सकते हैं तो अगले साल होने वाले क्रिकेट एशिया कप की मेजबानी पाकिस्तान कैसे कर पाएगा.

सितंबर 2020 में होना है एशिया कप

क्रिकेट एशिया कप का आयोजन करीब 10 महीने बाद होना है. इस टूर्नामेंट में भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश जैसी टीमों को हिस्सा लेना है. भारत एशिया कप का मौजूदा चैंपियन है. कहने को एशियन क्रिकेट काउंसिल के पास अभी 10 महीने का वक्त है. लेकिन इन 10 महीनों में हालात में कोई सुधार होता नहीं दिखता. पाकिस्तान में आंतरिक कलह इतनी ज्यादा बढ़ चुकी है कि हालात बद से बदतर ही हो रहे हैं.


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फजल उर रहमान और इमरान खान के बीच 36 का आंकड़ा अवाम के लिए सरदर्द बना हुआ है. इन परिस्थितियों के मद्देनजर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने एशियन क्रिकेट काउंसिल से पहले ही गुजारिश की थी कि एशिया कप के मैच पाकिस्तान की बजाए दुबई में खेले जाएं. एशियन क्रिकेट काउंसिल ने अभी इस संदर्भ में कोई फैसला नहीं लिया है.

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मौजूदा हालात इस तरफ इशारा करते हैं कि अगर टूर्नामेंट को आखिरी समय तक असमंजस की स्थिति से बचाना है तो एशियन क्रिकेट काउंसिल को जल्दी से जल्दी मेजबान शहरों का फैसला कर लेना चाहिए. पाकिस्तान के लिए बड़ी आफत की बात ये है कि ऐसा नहीं है कि सिर्फ भारतीय टीम वहां जाकर क्रिकेट खेलने को तैयार नहीं हैं बल्कि बांग्लादेश और श्रीलंका जैसी टीमों ने भी आनाकानी दिखाई है. इसकी बड़ी मिसाल ये है कि पिछले महीने बांग्लादेश की महिला टीम के पाकिस्तान दौरे को लेकर बहुत किचकिच हुई थी. इसके अलावा श्रीलंका की टीम ने तो पाकिस्तान में वनडे और टी-20 सीरीज खेलने के बाद रही सही कसर भी पूरी कर दी.

श्रीलंका ने लगाया था कैदियों की तरह रखे जाने का आरोप

पिछले दिनों श्रीलंका की टीम ने बड़ी मुश्किल से पाकिस्तान का दौरा किया. पहले तो इस दौरे पर जाने के लिए श्रीलंका के करीब 10 सीनियर खिलाड़ियों ने मना कर दिया था. बाद में बड़ी मुश्किल ने श्रीलंका ने अपनी बी टीम को पाकिस्तान भेजा. श्रीलंका की टीम पर ही 10 साल पहले लाहौर में आतंकी हमला हुआ था. उस हमले में श्रीलंकाई टीम के कई खिलाड़ी और आईसीसी अंपायर घायल हुए थे. खैर, इन बुरी यादों को भुलाकर श्रीलंकाई टीम ने पाकिस्तान में 3 वनडे और 3 टी-20 मैच की सीरीज खेली. पाकिस्तान के लिए आफत तब हुई जब इस सीरीज के आयोजन को लेकर अवाम ने खूब हो-हल्ला किया. अवाम का कहना था कि क्रिकेट मैच के आयोजन के लिए शहरों के हालात कर्फ्यू जैसे कर दिए गए.

इसके अलावा बात तब और बिगड़ गई जब श्रीलंकाई टीम के खिलाड़ियों ने घर वापसी के बाद कहा कि उन्हें पाकिस्तान में कैदियों की तरह रखा गया. ये सारी बातें एशियन क्रिकेट काउंसिल के संज्ञान में हैं. एशिया कप टूर्नामेंट की लोकप्रियता के लिहाज से अच्छा होगा कि मेजबानी पर आखिरी फैसला समय रहते ले लिया जाए.

(शिवेंद्र कुमार सिंह खेल पत्रकार हैं. पिछले करीब दो दशक में उन्होंने विश्व कप से लेकर ओलंपिक तक कवर किया है. फिलहाल स्वतंत्र लेखन करते हैं.)

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