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Sunday, 22 December, 2024
होममत-विमतसर्वे बताता है कि Zomato ब्रांड अवेयरनेस के साथ कुछ अच्छा कर रहा है

सर्वे बताता है कि Zomato ब्रांड अवेयरनेस के साथ कुछ अच्छा कर रहा है

हिंदी भाषी राज्यों के लगभग 53 प्रतिशत उत्तरदाताओं को यह पता था कि जोमैटो क्या है, जो अपने आप में महत्वपूर्ण है. लेकिन यह आंकड़ा पेटीएम के बारे में लोगों की जागरूकता से काफी कम है.

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फ़ूड डिलीवरी एप जोमैटो एक बार फिर से खबरों में है. इस बार यह 65,000 करोड़ रुपये या लगभग 9 अरब डॉलर के अनुमानित मूल्यांकन (वैलुएशन) के साथ भारत के स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध होने की प्रक्रिया में है. एक अनुमान के तहत जोमैटो के जरिए एक शख्स औसतन 400 रुपये का खाना ऑर्डर करता है. इसलिए, आदर्श रूप से, इसके 65,000 करोड़ रुपये के मूल्यांकन के औचित्य के लिए सभी 130 करोड़ भारतीयों को जोमैटो के माध्यम से हीं खाना ऑर्डर करना चाहिए. बेशक, यह एक जटिल आर्थिक पहलु की बहुत ही सरल व्याख्या होगी, क्योंकि इसका बाजार मूल्यांकन केवल खाना ऑर्डर करने वाले लोगों की संख्या पर नहीं आधारित होता बल्कि यह किसी भी ग्राहक के फ़ूड ऑर्डर के लाइफ टाइम वैल्यू की गणना पर आधारित होता है.

इन सब के अलावा, विश्लेषकों ने यह भी बताया है कि जोमैटो, जो मुख्य रूप से खाद्य उत्पाद/खाना पहुंचाने का काम करता है, का मार्केट वैल्यूएशन अब उन्हें बनाने वाली कंपनियों की तुलना में भी कही अधिक है. जोमैटो की वर्तमान कीमत डोमिनोज पिज्जा, मैकडॉनल्ड्स और बर्गर किंग की एक साथ मिलाकर आने वाली कीमत से भी अधिक है. यहां यह स्पष्ट हो जाना चाहिए कि इस सबका मतलब यह नहीं है कि इस ऐप का बिना सोचे समझे इतना अधिक वैल्यूएशन किया गया है. यहां सिर्फ यह देखना दिलचस्प होगा कि उपभोक्ता कंपनियों का किस आधार पर मूल्यांकन किया जाता है और वास्तविक उपभोक्ताओं के बीच उनकी लोकप्रियता और उन्हें अपनाये जाने के साथ उनका क्या संबंध है? क्या वास्तव में ऐसा है कि डोमिनोज पिज्जा या मैकडॉनल्ड्स की तुलना में जोमैटो भारतीयों ग्राहकों के बीच अधिक लोकप्रिय और उपयोग किये जाना वाला है?


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प्रश्नम ने इस सप्ताह इसी के बारे में पता लगाने का फैसला किया.

जोमैटो, डोमिनोज़, मैकडॉनल्ड्स और पेटीएम की लोकप्रियता

इसके लिए हमने हिंदी पट्टी के पांच बड़े राज्यों (उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और झारखंड) में दो सर्वेक्षणों के माध्यम से जोमैटो की लोकप्रियता और उसके बारे में उपलब्ध जागरूकता की तुलना डोमिनोज़ पिज़्ज़ा और मैकडॉनल्ड्स के साथ की. पहले सर्वे में 767 और दूसरे सर्वे में 838 लोग शामिल थे. इस तुलना के लिए हमने फ़ूड कंज्यूमर टेक्नोलॉजी से इतर भी एक उत्पाद (एप) को जोड़ने का फैसला किया और इसके लिए हमने पेटीएम को चुना.

हमने इन राज्यों के लोगों से तीन तरह के सवाल पूछे.

प्रश्न 1: जोमैटो क्या है?

ए) यह एक फिल्म का नाम है
बी) यह खाना ऑर्डर करने के लिए एक ऐप है
सी) यह भुगतान करने के लिए एक ऐप है
डी) मुझे नहीं पता

प्रश्न 2: पेटीएम क्या है?

ए) यह एक फिल्म का नाम है
बी) यह खाना ऑर्डर करने के लिए एक ऐप है
सी) यह भुगतान करने के लिए एक ऐप है
डी) मुझे नहीं पता

प्रश्न 3: आपने इनमें से कौन सा खाद्य पदार्थ कम से कम एक बार खाया है?

ए) डोमिनो’ज पिज़्ज़ा
बी) मैक्डोनल्ड’ज बर्गर
सी) दोनों
डी) कोई भी नहीं

इन हिंदी भाषी राज्यों के लगभग 53 प्रतिशत उत्तरदाताओं को यह पता था कि जोमैटो क्या है, जो अपने आप में महत्वपूर्ण है. लेकिन यह आंकड़ा पेटीएम के बारे में लोगों की अवेयरनेस से काफी कम है. इस सर्वे में शामिल करीब 69 फीसदी लोगों को पता था कि पेटीएम क्या है. खबरों के माध्यम से यह भी संकेत मिल रहा है कि पेटीएम भी जल्द ही खुद को भारतीय शेयर बाजारों में सूचीबद्ध करने की योजना बना रहा है. जाहिर है, जोमैटो की तुलना में पेटीएम के बारे में अधिक अवेयरनेस पेटीएम के मूल्यांकन के लिए अच्छा साबित हो सकता है.

सर्वे में शामिल 43 फीसदी लोगों ने कहा कि उन्होंने या तो डोमिनोज पिज्जा या फिर मैकडॉनल्ड्स बर्गर का स्वाद चखा है या फिर दोनों हीं खाये हैं. इसकी तुलना जोमैटो के बारे में उपलब्ध 53 प्रतिशत अवेयरनेस से नहीं की जा सकती क्योंकि किसी एप के बारे अवेयर होना उसकी सेवाओं का उपयोग करने से काफी अलग होता है. क्विक सर्विस देने वाले रेस्तरां और जोमैटो जैसे फ़ूड डिलीवरी ऐप के बीच की किसी भी तुलना को पूरी तरह से जोमैटो का उपयोग करने और उस खाद्य उत्पाद को खाने तक ही सीमित रखा जाना चाहिए.

पाठकों को यह याद होगा कि मई 2021 में, प्रश्नम ने जोमैटो के बारे में एक और सर्वेक्षण किया था, जिसमें इसके बारे में अवेयरनेस के साथ ही इसके उपयोग की भी पड़ताल की गयी थी. तब इन्हीं हिंदी भाषी राज्यों में 47 प्रतिशत लोग जोमैटो के बारे में जानते थे, जो कि अभी – जबकि जोमैटो इन दिनों इतनी चर्चा में है- प्राप्त हुए 53 प्रतिशत के बराबर ही हैं. यह किसी भी सर्वेक्षण के सन्दर्भ में प्रश्नम के द्वारा प्राप्त परिणामों की निरंतरता को भी साबित करता है. कई दौरों में किए गए सर्वेक्षणों के परिणामों में निरंतरता सटीकता और विश्वसनीयता की सच्ची परख होती है. मई के सर्वे में जोमैटो के बारे में जानने वालों में से सिर्फ 12 फीसदी ने ही पिछले हफ्ते इसका इस्तेमाल किया था. इसलिए, जोमैटो का साप्ताहिक उपयोग भी इसके बारे में अवेयरनेस से काफी अलग है.

अवेयरनेस और ब्रांड रिकॉल काफी महत्वपूर्ण हैं

उपभोक्ताओं से प्राप्त राजस्व पर निर्भर करने वाली कंपनियों के लिए अवेयरनेस और ब्रांड रिकॉल (ब्रांड के बारे में लोगों की याददास्त) काफी आवश्यक गुण/पहलू हैं.

भारत के आकार, इसकी विविधता और गरीबी को देखते हुए, किसी भी आधुनिक/नई उपभोक्ता कंपनी के लिए पहली चुनौती इस बात की है कि वह उपभोक्ताओं के बीच अपने बारे में प्रचार-प्रसार करे और अपने ब्रांड रिकॉल को स्थापित करे. यहां यह तथ्य कि हिंदी पट्टी के अधिकांश लोग जोमैटो के बारे में जानते हैं, इस कंपनी के लिए एक शुभ संकेत है.
यहां एक पूर्व चेतावनी यह है कि प्रश्नम एक आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस के माध्यम से संचालित फोन द्वारा लोगों से संपर्क करके सर्वेक्षण करने वाली संस्था है. स्वाभाविक रूप से इसके उत्तरदाता वे ही होंगे जो कुछ हद तक प्रौद्योगिकी के जानकार हैं जो यह भी जानते होंगे कि आईवीआर सर्वेक्षणों का जवाब कैसे दिया जाए. अतः, इस हद तक, एक ऐप-आधारित उपभोक्ता कंपनी का प्रशनम उत्तरदाताओं के बीच बेहतर प्रदर्शन करने की संभावना अधिक है.

पारदर्शिता और ईमानदारी के अपने सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए प्रशनम इस सर्वेक्षण के संपूर्ण रॉ डेटा को विश्लेषकों और शोधकर्ताओं के द्वारा फिर से सत्यापित करने और विश्लेषण करने के लिए यहां उपलब्ध कराता है.

डिस्क्लोश़र – पेटीएम के संस्थापक विजय शेखर शर्मा दिप्रिंट के प्रतिष्ठित संस्थापक-निवेशकों में से हैं. निवेशकों के सम्पूर्ण विवरण के लिए कृपया यहां क्लिक करें.

राजेश जैन, एआई टेक्नॉलजी स्टार्ट-अप, प्रशनम के संस्थापक हैं, जिसका उद्देश्य रायशुमारी (ओपिनियन गैदरिंग) को अधिक वैज्ञानिक, आसान, तेज और किफायती बनाना है. व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं.

यह आलेख दिप्रिंट-प्रश्नम वोक्स पॉप श्रृंखला का एक हिस्सा है.

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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