भारत दशकों से चले आ रहे अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहा है, और इसको लेकर बयानबाज़ी शुरू भी हो चुकी है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और मोहन भागवत के आरएसएस ने लोगों से खुले मन से फैसले को स्वीकार करने और उसका सम्मान करने की अपील की है. एक ओर जहां राम जन्मभूमि विवाद का समाधान करीब दिख रहा है, वहीं बहुत से लोग अब भी इस बात से अनभिज्ञ हैं कि सीता का जन्म का आज तक रहस्य ही बना हुआ है. रामायण महाकाव्य के अनगिनत रूपों में सीता की उत्पत्ति के बारे में अलग-अलग कहानियां दी गई हैं. यहां तक कि वाल्मीकि की रामायण से सर्वाधिक समानता रखने वाली कथाओं में भी इस बारे में अलग कथानक मिलते हैं.
इस बारे में बहुत अधिक भ्रम होने का कारण ये भी है कि सीता की उत्पत्ति के बारे में वाल्मीकि की रामायण में पर्याप्त स्पष्टता नहीं है. यहां हम रामायण पर लिखी गई विभिन्न पुस्तकों और लेखों की पड़ताल के जरिए सीता के बारे में आम धारणा में अस्पष्टता को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं.
धरती की पुत्री
वाल्मीकि रामायण में राजा जनक ने सीता के जन्म की कहानी (पुस्तक 1, सर्ग 66, श्लोक 13-14) का संक्षेप में वर्णन किया है. वह कहते हैं कि उन्होंने सीता को खेत में हल से बने एक गड्ढे में पाया गया था और इसी से सीता का नाम भी बना है. यही कहानी कंबन द्वारा 12वीं सदी में तमिल भाषा में रचित रामायण में भी है. हालांकि, इस कथानक को उत्तर-पश्चिमी और पूर्वी भारत के संस्करणों में और विस्तार दिया गया है.
क्षेमेंद्र की 11वीं सदी की संस्कृत रचना ‘रामायणमंजरी’ में इस कथानक में मेनका को भी जोड़ा गया, और ये बात उपेन्द्र भंज की 17वीं सदी की उड़िया रचना ‘बैदेहीशबिलास’ में भी है. जनक को मेनका आकाश में दिखती हैं और वह उससे एक बच्चे की इच्छा व्यक्त करते हैं. इसके तुरंत बाद वह ज़मीन पर एक शिशु को पाते हैं. क्षेमेंद्र की रचना में, मेनका ने शिशु को अपना बताया है और वह कहती है कि वह जनक का आध्यात्मिक उत्तराधिकारी बनेगी. (एस सिंगरावेलु, सीताज़ बर्थ एंड पैरेंटेज इन रामा स्टोरी, एशियन फोकलोर स्टडीज़ 41, संख्या 2 ,1982, पृ.235). हालांकि, उपेंद्र भंज कथानक में वरदान के रूपक का इस्तेमाल करते हैं. इस तरह ये रचनाएं वाल्मीकि रामायण में सीता के अचानक मिलने की कहानी को जनक की ‘इच्छा पूर्ति’ में बदल देती हैं.
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रावण और/या मंदोदरी की ’शापित’ बच्ची
कई रचनाकारों ने सीता के माता-पिता के बारे में अलग-अलग जानकारी दी है. दक्षिण भारत के जैन रामायणों ने संभवतः पहली बार सीता की उत्पत्ति को रावण की पटरानी मंदोदरी से जोड़ा था. शायद एक जैसा दिखने के कारण हनुमान द्वारा मंदोदरी को सीता समझने की गलती (पुस्तक 5, सर्ग 10, श्लोक 51-54), के कथानक के आधार पर ये कहानी जोड़ी गई हो.
इस बारे में सबसे शुरुआती उल्लेखों में से एक संघदास की रामायण (लगभग 609 ईस्वी) में है. मंदोदरी के शरीर पर एक अशुभ संकेत उभरता है – जो इस बात की भविष्यवाणी थी कि उसका पहला बच्चा उसके परिवार का सफाया कर देगा. इसलिए शिशु को आभूषण के एक बक्से में रखकर बाहर डाल दिया जाता है, जो कि आगे चलकर जनक को मिलती है. (वीएम कुलकर्णी, दि स्टोरी ऑफ रामा इन जैन लिटरेचर, सरस्वती पुष्तक भंडार, अहमदाबाद, 1990, पृ.105)
9वीं सदी के खोतानी रामायण में शाप वाले कथानक में थोड़ा बदलाव किया गया है. इसके अनुसार ज्योतिषी भविष्यवाणी करते हैं कि वह मंदोदरी के परिवार की बर्बादी का कारण बनेगी. (एस सिंगरावेलु, सीताज़ बर्थ एंड पैरेंटेज इन रामा स्टोरी, एशियन फोकलोर स्टडीज़ 41, संख्या 2 ,1982, पृ.236) जबकि तिब्बती भाषा के रामायण (787 और 848 ईस्वी के मध्य ) में इस बारे में कहा गया है कि शिशु को एक बक्से में रख कर समुद्र में बहा दिया गया.(जेडब्ल्यू डी जोंग, दि स्टोरी ऑफ रामा इन तिब्बत, एशियन वैरिएशंस इन रामायणा, साहित्य अकादमी, नई दिल्ली, 1983, पृ.164)
मलय भाषा के हिकायत सेरीराम (13वीं और 17वीं शताब्दी के बीच) में एक जटिल कहानी दी गई है. इसके अनुसार मंदोदरी दशरथ की पत्नी हैं, और उस पर रावण मोहित है. रावण के प्रकोप के डर से, वह अपना एक क्लोन रचती है, जो सीता को जन्म देती है. (एस सिंगरावेलु, द लिटररी वैरिएशंस ऑफ रामा स्टोरी ने मलय, एशियन वैरिएशंस इन रामायणा, साहित्य अकादमी, नई दिल्ली, 1983, पृ.281)
पर सीता के बारे में सबसे अनूठी कहानी ‘अद्भुत रामायण’ में दी गई है. इसके अनुसार मंदोदरी ने (रावण की सलाह की अनदेखी करते हुए) एक ऋषि का विषाक्त खून पी लिया और उसके बाद सीता को जन्म दिया.
रामायण के कुछ रूपों में तो रावण को सीता को जन्म देने वाला बताया गया है. उदाहरण के लिए, दक्षिण भारतीय मौखिक परंपराओं के अनुसार रावण एक आम खाकर गर्भवती हो जाता है और छींक के माध्यम से सीता को जन्म देता है.
क्षेमेंद्र रचित ‘दशावतारचरित’ में सीता एक कमल से पैदा हुई हैं. वह रावण को मिलती हैं और रावण उन्हें मंदोदरी के पास लेकर जाता है. दोनों उसे गोद ले लेते हैं. नारद ने मंदोदरी को आगाह किया कि रावण को बच्ची से प्यार हो जाएगा और इसलिए वह उसे जेवरात के एक डिब्बे में रखकर बाहर कर देती हैं. (केमिली बुल्के, ला नाइसेन्स डी सीता, बुलेटिन डी लकोले फ्रांस्वे डिएक्स्ट्रीम-ओरिएंट 46, नंबर 1, 1952, पृ.112)
रामायण के इन सारे रूपों में एक के अभिशाप का दूसरे के लिए धन होने का रूपक (जेवरात के बक्से के ज़रिए प्रदर्शित) का प्रयोग उल्लेखनीय है.
प्यार और प्रतिशोध
दक्षिण-पूर्व एशियाई रामायण रचनाओं में सीता संबंधी पहेली के रोचक और रचनात्मक समाधान दिए गए हैं. ऊ मउंग ग्यी रचित ‘पोंटाव राम एंड लखना’ (1910) में सीता पूर्व जन्म में यक्षी थीं और राम पर लट्टू थीं. राम ने उन्हें तीर से मार डाला. वह दोबारा जन्म लेकर राम से विवाह की अपनी इच्छा को पूरा करती हैं. (यू थिन हान और यू खिन ज़ॉ, रामायणा इन बर्मीज़ लिटरेचर एंड आर्ट्स, द रामायणा ट्रेडिशंस इन एशिया, 1980, पृ.308)
लाओस भाषा की रचना ‘ग्वे द्वोराभि’ (संभवत: 18 वीं शताब्दी) में प्रतिशोध के रूपक का उपयोग किया गया है. कहानी यह है कि रावण इंद्र की पत्नी सुजाता के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए इंद्र का रूप धारण करता है. जब सुजाता को इस बात का पता चलता है, तो वह इसका बदला लेने के लिए सीता के रूप में जन्म लेने का फैसला करती है. (कमला रत्नम, सोशियो कल्चरल एंड एंथ्रोपोलॉजिकल बैकग्राउंड ऑफ दि रामायणा इन लाओस, एशियन वैरिएशंस इन रामायणा, साहित्य अकादमी, 1983, पृ.236) ये दोनों कहानियां सीता के जन्म को पूर्व जन्म से जोड़कर प्रस्तुत करती हैं, जिससे पितृत्व का प्रश्न नहीं आता है.
वाल्मीकि रामायण में राम के जन्म का तो विस्तृत वर्णन किया गया है, लेकिन सीता के जन्म को कुछेक श्लोकों में ही समेट दिया गया है. इसका एक संभावित कारण रामायण की विषम उत्पत्ति हो सकती है.
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बंगाली लेखक और लोक कथाओं के शोधकर्ता दिनेश चंद्र सेन ज़ोरदार दलील देते हैं कि आज हम जिस रामायण को जानते हैं, उसकी कथा कम-से-कम दो अलग-अलग स्वतंत्र कहानियों से मिलकर बनी हो सकती है– रावण के साथ वानरों की लड़ाई की दक्षिण भारत में प्रचलित कहानी और ‘दशरथ जातक’ में राम की कहानी (जिसका रावण से कोई संबंध नहीं है). सेन के अनुसार दूसरी कहानी संभवतः वाल्मीकि रामायण से पहले की है और उसमें सीता की उत्पत्ति की बात स्पष्टता के साथ दी गई है. वाल्मीकि रचित महाकाव्य में पारिवारिक संबंधों को नए सिरे से (स्वाभाविक कारणों से) प्रस्तुत किया गया है. हालांकि संबंधों की कड़ी कमज़ोर ही है, जिसके कारण सीता के जन्म को लेकर रहस्य की स्थिति बन गई.
सीता के जन्म के विषय पर अब भी नए रचनात्मक कथानक उभरते रहते हैं. उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने हाल ही में दावा किया था कि सीता एक टेस्ट-ट्यूब बेबी थीं. हालांकि भाजपा नेतृत्व ने इस बयान के लिए उन्हें लताड़ लगाई, पर सचमुच में क्या उन्होंने इस विषय पर अब तक की परंपरा से अलग कुछ किया था?
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(लेखकद्वय क्रमश: मैकगिल विश्वविद्यालय तथा विस्कॉन्सिन मैडिसन विश्वविद्यालय में इतिहास और कला इतिहास के छात्र हैं. लेख में व्यक्त विचार उनके निजी हैं.)