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Wednesday, 20 November, 2024
होममत-विमतक्या आप उसी पर टूट पड़ेंगे जिस पर ‘डाइट’ लिखा हो? डाइट सोडा पर दोबारा सोचिए

क्या आप उसी पर टूट पड़ेंगे जिस पर ‘डाइट’ लिखा हो? डाइट सोडा पर दोबारा सोचिए

डाइट सोडा कैलोरी और सूगर की खुराक घटाने का बेहतर विकल्प है, मगर उससे ज्यादा कुछ नहीं. इस ड्रिंक में कोई और पौष्टिक तत्व नहीं

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डायबिटीज, मोटापा और दूसरे गैर-संचारी रोगों से ग्रस्त आज की दुनिया में डाइट (आहार) शब्द फैशन जैसा बन गया है. इस कदर कि ‘डाइट’ बताकर किसी खाद्य या पेय पदार्थ की मार्केटिंग आसान और मुनाफेदार है. किसी भी चीज पर ‘डाइट’ का बैच लगा दीजिए तो वह फौरन मंजूर कर लिया जाएगा. डाइट सोडा बहुत-से लोगों के लिए भोजन का जरूरी हिस्सा है. दरअसल यह उन लोगों के लिए ‘फ्री फूड’ बन गया है जो डायबिटीज से पीडि़त हैं या जो वजन घटाने की कोशिश कर रहे हैं. 2018 से बाजार के डेटा के मुताबिक, डाइट सोडा इंडस्ट्री 4.1 अरब डॉलर की है और बढ़ रही है.

लोग हाई-कैलोरी हाई-शूगर ड्रिंक्स के एक ‘सेहतमंद’ विकल्प की तलाश में थे. लेकिन, क्या बिना कैलोरी और बिना प्राकृतिक सफेद चीनी वाले किसी भी खाद्य या ड्रिंक को उसके जोखिम के आकलन के बगैर ‘सेहतमंद’ करार देना सही है?

मेरी राय में तो नहीं. आर्टिफिशियल स्वीटनर और सेहत पर उसके दुष्प्रभाव के बारे में हाल के रिसर्च से लंबे समय तक डाइट सोडा लेने के बरे में कई सवाल खड़े हो गए हैं.

इसमें संदेह नहीं है कि डाइट सोडा कैलोरी और शूगर की खुराक घटाने का बेहतर विकल्प है लेकिन उससे ज्यादा कुछ नहीं. इन ड्रिंक्स में कोई और पोषक तत्व नहीं है. अलबत्ता, हमारे पास डाइट सोडा के लंबे समय में सेहत पर असर के बारे में वैज्ञानिक परीक्षण के कोई दस्तावेज नहीं हैं. हम अपनी सेहत की नजर से इन ड्रिक्स का बिना सोचे-समझे इस्तेमाल नहीं कर सकते.


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कोई पोषक तत्व नहीं

डाइट सोडा में पानी, आर्टिफिशियल स्वीटनर, आर्टिफिशियल कलर, प्रीजर्वेटिव्स और स्वाद सुगंध डाली जाती है. इन सोडा में कम या शून्य कैलोरी होती है. सफेद परिष्कृत चीनी नहीं होती और हमारी सेहत के खातिर पोषक तत्व भी नहीं होते हैं. दुनिया भर में लाखों लोग मीठे स्वाद से परहेज किए बिना वजन घटाने या डायबिटिज की रोकथाम के लिए डाइट सोडा लेते हैं. कई ताजा रिसर्च में यह पाया गया कि डाइट सोडा के ज्यादा सेवन से दिमाग, दिल, गुर्दा, आंत जैसे अहम अंगों पर कई तरह के खतरे हो सकते हैं.

आंत के लिए अच्छा नहीं

इंटरनेशनल जर्नल ऑफ मॉलिकूलर साइंसेज में 2021 में प्राकशित एक लैबोरेटरी स्टडी में पाया गया कि डाइट सोडा में काफी इस्तेमाल होने वाले सैकरिन-सुक्रालोज जैसे आर्टिफिशियल स्वीटनर से आंत के बैक्टिरिया ई. कोली (इसेरिशिया कोली) और ई. फेकलिस (इंटरोकोकस फेकलिस) जैसे रोग लग जाता है. बैक्टिरिया ई.कोली और ई.फेकलिस आंत की दीवाल से चिपके रहते हैं, काको-2 आंत कोशिका को भेद देते हैं और कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें पैदा कर सकते हैं.

हालांकि इसके विपरीत, 2020 में सात सेहतमंद लोगों पर बेतरतीब कंट्रोल ट्रायल में 14 दिनों के बाद आंत के माइक्रोबायल कल्चर में कोई फर्क नहीं दिखा. हालांकि इस स्टडी में हितों का टकराव यह है कि पेप्सिको ने प्रमुख लेखक के कॉन्फ्रेंस में मानद राशि प्रायोजित की थी.

गैर-संचारी रोगों का खतरा

वजन घटाने के लिए अमूमन लोग चीनी वाले ड्रिंक्स के बदले डाइट सोडा लेते हैं. हालांकि ये ‘शूगर फ्री’, ‘कैलोरी फ्री’ ड्रिक्स उतने मददगार नहीं हैं जितना हम सोचते हैं. 2015 में अध्येताओं के एक दल ने दो लोंगिट्यूडनल डाटासेट के बीच तुलना की और पाया कि हर रोज कम से कम एक डाइट सॉफ्ट ड्रिंक में मेटाबोलिज्म व्यवस्था में उन लोगों के मुकाबले ज्यादा खतरा है जो ऐसे ड्रिंक नहीं पीते. दोनों अध्ययनों में यह पाया गया कि इन ड्रिंक से कमर चौड़ी होती है और प्लाज्मा ग्लूकोज स्तर बढ़ जाता है.

2017 में 56,244 लोगों पर 12 अध्ययनों की व्यापक समीक्षा में पाया गया कि चीनी वाले पेय और आर्टिफिशियल स्वीटनर वाले पेय दोनों कई तरह मेटाबोलिक प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं.

दूसरी तरफ, ज्यादा वजन वाले और साल भर डाइट सोडा या पानी पीने वाले लोगों के एक और ट्रायल में पाया गया कि डाइट सोडा पीने वालों का 1 साल में वजन 6.21 किलो घटा, जबकि पानी पीने वालों का वजन 2.5 किलो घटा.
डाइट सोडा लेने से डाइबिटिज या कार्डोवैसकूलर रोगों का संबंध भी विवादास्पद है.

17 समूहों के विश्लेषण में पाया गया कि आर्टिफिशियल स्वीटनर वाले एक भी पेय से डाइबिटिज टाइप-2 का खतरा 8 से 13 फीसदी बढ़ सकता है. हालांकि एक और समीक्षा में विरोधाभाषी नतीजे आए और उसमें डाइट सोडा पीने से डाइबिटिज का खतरा बढ़ने का कोई संकेत नहीं मिला. करीब 2.5 लाख लोगों पर छह अध्ययनों की समीक्षा में पाया गया कि हर रोज कृत्रिम स्वीटनर वाला एक ड्रिंक पीने से हाई ब्लड प्रेशर का खतरा 9 फीसदी बढ़ जाता है.

क्या है विकल्प

मानव शरीर पर डाइट सोडा के असर जानने के लिए की गईं ज्यादातर स्टडी प्रयोग या ऑब्जर्व करने के चरण में हैं और उनमें डाइट सोडा लेने से गैर-संचारी रोगों के बढऩे के कार्य-कारण रिश्ते का पुष्टि नहीं हो पाई है. कुछ में चिंताजनक नतीजे बताए गए. डाइट सोडा के स्वास्थ्य पर फायदे या नुकसान का पता करने के लिए अधिक वैज्ञानिक डेटा की दरकार है. हालांकि एक बात साफ है कि डाइट सोडा से कोई पौष्टिक तत्व नहीं मिलता.

उसके बदले नारियल पानी, घर में बना ताजा जूस, छाछ, फल-सब्जियों का सूप पीने से ज्यादा पौष्टिक तत्व मिलते हैं. अगर आपको इनमें कुछ हासिल नहीं हो पाता है और ऐसे ड्रिंक नहीं पीना चाहते तो सादा पानी पीजिए.

अगर आप सोचते हैं कि डाइट सोडा से वजन घटाने में मदद मिलेगी तो पौष्टिकता विज्ञान के बुनियादी सिद्धांत को याद कीजिए कि कोई एक तरह के खाने या पीने से सेहत के लिए अच्छा नहीं, संतुलित आहार ही सेहतमंद बना सकता है.

(डॉ. सुभाश्री राय डॉक्टोरल स्कॉलर (केटोजेनिक डाइट), सर्टिफाइड डायबटिज एडुकेटर, और क्लीनिकल तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य पौष्टिकता विशेषज्ञ हैं. डनका ट्विटर @DrSubhasree . व्यक्त विचार निजी हैं)

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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