सानिया मिर्जा एक ऐसा नाम है जो भारतीय टेनिस का पर्याय बन चुका है. छह ग्रैंड स्लैम और 47 अन्य खिताब अपने नाम करने के साथ वह देश की एक सबसे सफल महिला टेनिस खिलाड़ी हैं.
सानिया मिर्जा ने बतौर ‘पहली भारतीय महिला खिलाड़ी….’ कई खिताब अपने नाम किए हैं. वह 2005 में अपने गृहनगर हैदराबाद में महिला टेनिस संघ (डब्ल्यूटीए) टूर्नामेंट जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं. ग्रैंड स्लैम डबल खिताब जीतने वाली पहली भारतीय महिला, सिंगल्स में #27 वरीयता पाने वाली पहली भारतीय महिला और सिंगल्स और डबल्स में #1 वरीयता हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी भी हैं.
और इस हफ्ते के शुरू में संन्यास की घोषणा करने वाली वह पहली भारतीय महिला टेनिस सुपरस्टार भी हैं. उनके बयान के मुताबिक, 2022 का सीजन उनके कैरिअर का आखिरी पड़ाव होगा.
इस ऐलान के बाद टेनिस स्टार को उनके ‘शानदार करिअर’ के लिए बधाई देने वालों का तांता लग गया है, कोई उन्हें ‘क्वीन’ बता रहा तो किसी के लिए वे ‘प्रेरणा’ हैं. रक्षंदा खान, पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन, बॉलीवुड अभिनेता रणवीर सिंह और अर्जुन कपूर, एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता सोमदेव देववर्मन और कांग्रेस नेता शशि थरूर जैसी हस्तियों ने उनके फैसले को सराहा और 2022 का सीजन उनके लिए बेहद सफल रहने की कामना की है.
अपने 21 साल लंबे करिअर के दौरान सानिया मिर्जा को फतवे से लेकर ‘पाकिस्तान की बहू’ कहे जाने तक, आमतौर पर किसी भी अन्य एथलीट की तुलना में कहीं अधिक सहन करना पड़ा है. लेकिन ट्रेडमार्क बनी अपनी नोज पिन और मजाकिया कमेंट वाली टी-शर्ट से लेकर बेहद शानदार ढंग से वापसी करने तक सानिया मिर्जा ने भारतीयों की पूरी पीढ़ी पर अमिट छाप छोड़ी है—चाहे उन्हें टेनिस का खेल देखना पसंद हो या नहीं.
वह अपनी तरह की पहली खिलाड़ी हैं और उम्मीद है कि आखिरी नहीं होंगी. संन्यास के फैसले को लेकर सोशल मीडिया उन पर जमकर प्यार लुटा रहा और कई लोगों ने तो उन्हें बधाई देते हुए इसे एक युग का अंत बता दिया है. यही कारण है कि सानिया मिर्जा इस बार दिप्रिंट की न्यूजमेकर ऑफ द वीक हैं.
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विवादों से नाता नई बात नहीं
भारतीय उन्हें पहले एक महिला, फिर एक मुस्लिम और तीसरे नंबर पर एक एथलीट के तौर पर देखते रहे हैं. नतीजा, यह रहा कि खेल में उनके प्रदर्शन के साथ-साथ अन्य तमाम पहलुओं पर भी बारीकी से नजर रखी गई—मसलन टेनिस कोर्ट में उन्होंने कैसे कपड़े पहन रखे थे या फिर वह रिलैक्स होने के दौरान क्या करती हैं.
2005 में जब देश में ‘सानिया का जादू’ सिर चढ़कर बोल रहा था, सुन्नी उलेमा बोर्ड ने उनकी ‘अभद्र पोशाक’ को लेकर उनके खिलाफ एक फतवा जारी किया, जिसमें उनकी टेनिस स्कर्ट और शर्ट को ‘गैर-इस्लामिक’ और ‘गैर-शालीन’ करार दिया गया. उसी वर्ष विंबलडन में उन्होंने एक टी-शर्ट पहनी, जिस पर लिखा था ‘शालीन व्यवहार करने वाली महिलाएं शायद ही कभी इतिहास रचती हैं.’
कुछ साल बाद 21 साल की उम्र में उन पर भारतीय ध्वज के अपमान का आरोप लगा, उनके खिलाफ एक केस दर्ज किया गया क्योंकि वह अपने एक पैर को एक टेबल के ऊपर रखकर बैठी थीं और उसके पास ही तिरंगा झंडा रखा था. 2005 में सानिया मिर्जा कथित तौर पर उस अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट के कोर्ट में तब तक नहीं उतरीं जब तक आयोजकों ने भारतीय ध्वज को सही तरीके से नहीं फहराया, जो कि गलती से उल्टा फहरा दिया गया था.
2010 में पाकिस्तानी क्रिकेटर शोएब मलिक से उनकी शादी को लेकर भी तमाम बातें कही गईं, अनावश्यक तूल देने वाले लेख छपे और दोनों खिलाड़ियों की देशभक्ति पर सवाल उठाए गए. यहां तक कि इस दंपति को बार-बार इस तरह की अफवाहों का खंडन करने पर मजबूर होना पड़ा कि वे राष्ट्रीयता बदल रहे हैं या किसी मैच में इसका कोई फायदा उठाने की साजिश कर रहे हैं.
12 साल बाद यह युगल आज भी साथ हैं, और ये अक्सर इंस्टाग्राम पर तस्वीरें और वीडियो पोस्ट करते रहते हैं. यही नहीं उनका तीन साल का बेटा इजहान मिर्जा मलिक खुद एक इंस्टाग्राम इन्फ्लूएंसर बन चुका है, जिसके एक लाख से अधिक फॉलोअर हैं. इंस्टाग्राम पर सानिया मिर्जा के अपने करीब नौ मिलियन फॉलोअर हैं और ट्विटर पर उनके फॉलोअर की संख्या नौ मिलियन से ज्यादा है. उनकी ट्रेंडिंग रील और ट्रैवल और ट्रेनिंग से जुड़ी पोस्ट उनकी जिंदगी और कैरिअर दोनों को अच्छे से दिखाती हैं. वाकई क्या शानदार कैरिअर रहा है.
हर बाधा को पार किया
सानिया मिर्जा ने 2002 के एशियाई खेलों में अपना पहला खिताब जीतने के साथ ही 15 साल की उम्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकृष्ट किया. तीन साल बाद 2005 में वह ऑस्ट्रेलियन ओपन के तीसरे दौर में सेरेना विलियम्स से हार गईं. दिग्गज टेनिट खिलाड़ी विलियम्स से हाथ मिलाते 18 वर्षीय सानिया मिर्जा की तस्वीर, जिसमें दोनों खिलाड़ियों ने पीले रंग के कपड़े पहन रखे थे, भारतीय खेलों की दुनिया में हॉल ऑफ फेम बन गई.
सानिया ने इस ओर भी ध्यान आकृष्ट कराया कि खेलों में महिलाओं को पुरुषों की तरह पर्याप्त संसाधन और फंडिंग उपलब्ध नहीं होती है. उनसे पहले केवल दो भारतीय महिलाओं ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा में नाम कमाया था—निरुपमा मांकड़ और निरुपमा वैद्यनाथन. सानिया की सफलता का श्रेय अखिल भारतीय टेनिस संघ (एआईटीए) की थोड़ी-बहुत मदद के अलावा पूरी तरह उनके परिवार को जाता है. उनके पिता इमरान मिर्जा अभी भी उनके कोच और गुरू हैं. उनकी शुरुआती प्रायोजक कंपनी जीवीके इंडस्ट्रीज थी और दिग्गज टेनिस खिलाड़ी महेश भूपति का भी पूरा सहयोग मिला.
उन्होंने 2007 में टॉप-100 सीड्स में जगह बनाई और 2007 में उनकी सिंगल्स हाई रैंक 27 रही. चोटों और पांच सर्जरी के बाद मिर्जा ने ध्यान डबल्स मैच के करियर पर केंद्रित करने का फैसला किया. 2012 में उन्होंने आखिरी बार सिंगल्स मैच में हिस्सा लिया और तब तक वह दो ग्रैंड स्लैम अपने नाम कर चुकी थीं—महेश भूपति के साथ मिश्रित युगल साझेदारी में 2009 का ऑस्ट्रेलियन ओपन और 2012 का फ्रेंच ओपन. उन्होंने 2014 में यूएस ओपन के साथ एक और मिश्रित युगल ग्रैंड स्लैम जीता.
मिर्जा ने 2015 में एक और नया मुकाम हासिल किया जब दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी रही मार्टिना हिंगिस के साथ साझेदारी की, जिन्हें वह पूर्व में हरा चुकी थीं. इन दोनों की जोड़ी को ‘सेंटीना’ का नाम दिया गया जिनकी युगल साझेदारी को ओपन एरा में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. दोनों ने साथ मिलकर 14 खिताब जीते, जिसमें तीन ग्रैंड स्लैम शामिल हैं. यह साझेदारी 2016 में खत्म हो गई लेकिन 2018 में मातृत्व अवकाश पर जाने से पहले से सानिया ने खिताब जीतना जारी रखा.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलना जारी रखने और मीडिया में आने वाले विवादों के बीच सानिया मिर्जा और उनके पिता ने हैदराबाद में सानिया मिर्जा टेनिस अकादमी भी शुरू की. वह 2020 में फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टेनिस खेलने उतरीं, और एक खिताब जीता.
एक युग खत्म, दूसरे की शुरुआत
सानिया मिर्जा भारत की महिला एथलीटों के लिए एक आइकॉन हैं. वह स्पष्टवादी है, फैशनेबल हैं और चाहे टेनिस कोर्ट हो या निजी जीवन, वह अपने बेझिझक व्यक्तित्व की झलक देती हैं. वो मीडिया में गहन कवरेज के बीच पली-बढ़ी हैं, जो अक्सर उनका मजाक उड़ाती रही है और उसकी पसंद-नापसंद पर सवाल उठाती रही है, बात चाहे पति को चुनने की हो या कपड़ों और लाइफस्टाइल की.
इस सबके बावजूद, सानिया ने पूरी दृढ़ता के साथ सिर्फ वही किया जिससे उन्हें खुशी मिलती थी. 2016 में उनकी आत्मकथा को प्रोमोट करने के दौरान एक इंटरव्यू में राजदीप सरदेसाई ने उनसे एक सेक्सिस्ट सवाल पूछा—क्या अब उनका ‘घर बसाने का इरादा’ है?
इस पर सानिया का दो टूक जवाब था, ‘आप इस बात से काफी निराश लग रहे हैं कि मैं इस समय दुनिया में नंबर वन होने के बजाय मां बनना नहीं चुन रही हूं.’
2018 में जब सानिया ने मां बनने का फैसला किया तो उन्होंने इसे अपनी शर्तों पर ही चुना. 2020 में वह कोर्ट पर लौटीं और पहले ही मुकाबले, होबार्ट इंटरनेशनल में जीत हासिल की.
आज अब वह जब संन्यास की तैयारी कर रही हैं तो वह भी उनकी अपनी शर्तों पर हैं. एक एथलीट के तौर पर वह तब भी खेलना जारी रखना नहीं चुन रहीं, जब उनका शरीर थकने लगा है. एक शानदार टेनिस करिअर के बाद 35 साल की उम्र में वह खुद को तरजीह दे रही हैं.
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(व्यक्त विचार निजी हैं.)
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