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Friday, 15 November, 2024
होममत-विमतसाये की तरह रहने वाली एसपीजी सुरक्षा व्यवस्था की अनदेखी क्यों कर रहा था गांधी परिवार

साये की तरह रहने वाली एसपीजी सुरक्षा व्यवस्था की अनदेखी क्यों कर रहा था गांधी परिवार

आखिर ऐसी क्या वजह थी कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी 2014 में केन्द्र में राजग के सत्तासीन होने के बाद से विदेश यात्राओं में अपने साथ एसपीजी कमांडो ले जाने से गुरेज़ करने लगे?

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कांग्रेस ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी, सांसद राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी की सुरक्षा व्यवस्था से एसपीजी हटाये जाने पर संसद के दोनों सदनों में जोरदार तरीके से अपना विरोध प्रकट किया और उनकी एसपीजी सुरक्षा बहाल करने की मांग की. लेकिन इन नेताओं की एसपीजी सुरक्षा क्यों वापस ली गयी, इस बारे में कांग्रेस के नेताओं ने चुप्पी साध ली.

एसपीजी सुरक्षा से वंचित होने की वजह से गांधी परिवार से कहीं ज्यादा कांग्रेस पार्टी के नेताओं में नाराजगी है और वे सरकार के इस निर्णय में राजनीति तलाश रहे हैं. लेकिन यह स्वीकार करने के लिये तैयार नहीं है कि गांधी परिवार लगातार, विशेषरूप से राजग सरकार के सत्ता में आने के बाद से, एसपीजी सुरक्षा के प्रोटोकॉल की अनदेखी करके, जाने अनजाने में खतरों को निमंत्रण दे रहा था. यह कहना अनुचित नहीं होगा कि एसपीजी सुरक्षा वापस लेने के सरकार के निर्णय के लिये काफी हद तक गांधी परिवार भी जिम्मेदार है.

लगातार ऐसी खबरें आ रहीं थीं कि राहुल गांधी अपनी विदेश यात्रा के दौरान एसपीजी सुरक्षा कवर लेकर नहीं जाते हैं. अगर यह सही है तो क्या यह समझा जाये कि एसपीजी सुरक्षा प्राप्त अतिविशिष्ट व्यक्ति भारत की अपेक्षा विदेश में खुद को अधिक सुरक्षित समझते हैं या दूसरे देशों में उनके जीवन को कोई खतरा नहीं है?

आखिर ऐसी क्या वजह थी कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी 2014 में केन्द्र में राजग के सत्तासीन होने के बाद से विदेश यात्राओं में अपने साथ एसपीजी कमांडो ले जाने से गुरेज करने लगे?

यह सही है कि सुरक्षा की खामियों की वजह से देश ने दो कद्दावर नेताओं को गंवाया. पहले तो 31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गांधी की उनके ही अंगरक्षकों ने गोली मार कर हत्या कर दी और इसके बाद मई, 1991 में पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष राजीव गांधी चुनाव अभियान के दौरान तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में लिट्टे के आत्मघाती मानव बम विस्फोट का शिकार हो गये. इसके बाद से ही पूर्व प्रधानमंत्री और उनके परिजनों को भी एसपीजी सुरक्षा प्रदान करने का कानून में प्रावधान किया गया.


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एसपीजी सुरक्षा प्राप्त इन विशिष्ट व्यक्तियों के खतरों का समय-समय पर आकलन भी किया जाता है. यही वजह है कि किसी भी पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा और डॉ मनमोहन सिंह तथा उनके परिजनों के साथ ही राजीव गांधी की पत्नी और उनके बच्चों की सुरक्षा में अब एसपीजी तैनात नहीं है.

कितना अच्छा होता यदि कांग्रेस के अन्य कद्दावर नेताओं ने पार्टी की बैठकों में औपचारिक या अनौपचारिक तरीके से अपने इन नेताओं के एसपीजी सुरक्षा के बगैर ही बाहर जाने पर विचार किया होता और उन्हें इससे बचने का सुझाव दिया होता. लेकिन ऐसा नहीं हुआ और जब सुरक्षा खतरे का आकलन करने के बाद सरकार ने गांधी परिवार के साथ-साथ पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह की सुरक्षा से एसपीजी हटाने और उन्हें जेड प्लस की सुरक्षा प्रदान करने का निर्णय लिया तो लोगों को इसमें राजनीति नज़र आने लगी.

अब ज़रा इस तथ्य पर भी नज़र डालिये कि गांधी परिवार के सदस्यों ने सैकड़ों अवसरों पर बुलेटप्रूफ गाड़ियों का इस्तेमाल नहीं किया और अपनी अधिकांश विदेश यात्राओं के दौरान एसपीजी कमांडो ले जाने से गुरेज किया. आखिर क्यों? ऐसी क्या वजह थी कि हर तरह की सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में दक्ष इन कमांडो को अपने साथ विदेश नहीं ले गये?

बताते हैं कि कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी ने 2005 से 2014 के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में बुलेट प्रूफ गाड़ियों के बगैर ही यात्रा की जो निश्चित ही खतरों को निमंत्रण देने जैसा था. इसी तरह, 2015 से मई, 2019 के दौरान दिल्ली में 1,892 मौकों पर उन्होंने बगैर बुलेट प्रूफ गाड़ियों के यात्रा की जबकि 247 अवसरों पर वह बुलेट प्रूफ गाड़ी के बगैर ही दिल्ली से बाहर गये.

सरकारी आंकड़ों के अनुसार राहुल गांधी ने अपनी 143 विदेश यात्राओं की जानकारी अंतिम क्षणों में उपलब्ध करायी और वह एसपीजी के कमांडो को अपने साथ नहीं ले गये.

इसी तरह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 2015 से 2019 के दौरान दिल्ली में कम से कम 50 अवसरों पर एसपीजी की बुलेट प्रूफ गाड़ियों का इस्तेमाल नहीं किया. यही नहीं, 2015 से अपनी 24 विदेश यात्राओं के दौरान सोनिया गांधी अपने साथ एसपीजी कमांडो लेकर नही गयीं.

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी शायद एसपीजी सुरक्षा घेरे के बगैर ही यात्रा करना पसंद करती हैं और संभवतः इसी वजह से उन्होंने दिल्ली में 339 अवसरों पर और देश के दूसरे हिस्सों में 64 मौकों पर एसपीजी की बुलेट प्रूफ गाड़ियों का इस्तेमाल नहीं किया.


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प्रियंका गांधी सिर्फ 21 विदेश यात्राओं में एसपीजी कमांडो अपने साथ ले गयीं जबकि उन्होंने 78 यात्राओं के दौरान अपने साथ सुरक्षा कमांडो ले जाने से इंकार कर दिया.

सरकार को कठघरे में खड़ा करने के प्रयास वाजिब हो सकते हैं लेकिन जहां तक एसपीजी सुरक्षा प्राप्त अतविशिष्ट व्यक्तियों की सुरक्षा का सवाल है तो इसके साथ किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जा सकता. इस संबंध में पूर्व प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव को तीस हज़ारी अदालत में तलब करने के निचली अदालत के आदेश के बाद उत्पन्न स्थिति पर उच्चतम न्यायालय ने 11 अक्टूबर, 1996 को एक फैसले में की गयी टिप्पणी को भी ध्यान में रखना होगा.

न्यायालय ने आरोपी पूर्व प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा को दिल्ली की निचली अदालत में तलब किये जाने पर उनकी सुरक्षा को लेकर उठे विवाद में 11 अक्टूबर, 1996 के अपने फैसले में कहा था कि एसपीजी सुरक्षा प्राप्त व्यक्ति को प्रधानमंत्री पद से हटने की तारीख से जीवन की हर सांस तक सुरक्षा प्राप्त है. न्यायालय ने यह भी कहा था कि ऐसा सुरक्षा प्राप्त व्यक्ति हिरासत में हो या अदालत के आदेश पर किसी अन्य तरह की हिरासत में हो तो भी उसे प्राप्त एसपीजी सुरक्षा कवच नहीं हटाया जा सकता है.

शीर्ष अदलत ने कहा था कि एसपीजी की सुरक्षा ऐसे व्यक्ति के साथ हर समय साये की तरह रहती है और यह तय करना एसपीजी का काम है कि इस तरह की सुरक्षा प्राप्त व्यक्ति को एसपीजी कानून की धारा 2ए के तहत कैसे बेहतरीन और तर्कसंगत सुरक्षा प्रदान की जा सकती है.

न्यायालय की इस तरह की टिप्पणियों के बाद एसपीजी सुरक्षा प्राप्त व्यक्ति की सुरक्षा को लेकर किसी प्रकार का संशय नहीं होना चाहिए. इस तरह की सुरक्षा प्राप्त कोई व्यक्ति एसपीजी के सुरक्षा कवच के बगैर कहीं जाता है, चाहें विदेश यात्रा ही क्यों नहीं हो, तो सहज ही कल्पना की जा सकती है कि वह कितने जोखिमों को जन्म देता है.

एसपीजी कानून 1988 में भी समय-समय पर उचित संशोधन किये गये हैं. अतिविशिष्ट व्यक्तियों द्वारा एसपीजी सुरक्षा कवच का अक्सर उल्लंघन किये जाने की बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर ही सरकार ने इस तरह की सुरक्षा प्राप्त व्यक्तियों के लिये दिशा निर्देश तैयार किये. इनके अंतर्गत एसपीजी सुरक्षा कवच प्राप्त प्रत्येक व्यक्ति के लिये विदेश यात्रा के दौरान भी एसपीजी सुरक्षा कर्मियों को साथ ले जाने की अनिवार्यता के साथ ही ऐसे व्यक्तियों के लिये अपनी यात्रा और पिछली कुछ यात्राओं का भी विवरण देना अनिवार्य बना दिया गया था.


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केन्द्र चाहता था कि इन नियमों का सख्ती से पालन हो ताकि किसी भी अप्रिय घटना को टाला जा सके लेकिन शायद कांग्रेस को यह पसंद नहीं था. उसे ऐसा लगता था कि शायद सरकार एसपीजी सुरक्षा कवच के माध्यम से उनके नेताओं की निगरानी करना चाहती है.

बहरहाल, सरकार द्वारा सुरक्षा आकलन के बाद पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के साथ ही गांधी परिवार की सुरक्षा से एसपीजी को हटाने का निर्णय लिये जाने के बावजूद यह उम्मीद की जाती है कि पूर्व प्रधानमंत्री और गांधी परिवार को पूरी सुरक्षा सुनिश्चित की जायेगी और किसी भी स्थिति से निपटने में सक्षम कमांडो तथा बुलेटप्रूफ गाड़ियों का काफिला पहले की तरह ही उनकी सुरक्षा में तैनात रहेगा.

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1 टिप्पणी

  1. Congress party will never mention about their leaders themselves avoiding spg cover they want to be in news as no one is asking about them….

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