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बुधवार, 7 मई, 2025
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खिसक लीजिए अरविंद केजरीवाल, अमित शाह हैं अब दिल्ली के सुपर सीएम

कोविड-19 वैश्विक महामारी की शुरुआत से लापता चल रहे गृहमंत्री अमित शाह, अब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को, कमज़ोर और अयोग्य साबित कर रहे हैं.

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सिर्फ एक महीना पहले तक, दिल्ली में अफवाहें गर्म थीं कि कोविड के प्रकोप के बाद से, गृहमंत्री अमित शाह कैसे पृष्ठभूमि में चले गए हैं. लेकिन उनकी वापसी बेहद ड्रामाई अंदाज़ में हुई है और उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अयोग्यता को उजागर कर दिया है, और साथ ही साफ कर दिया है कि दिल्ली में असली बॉस कौन है.

संकट के इस समय में गृहमंत्री अमित शाह, दिल्ली के ‘सुपर सीएम’ और राज्य के रक्षक दिखाई देते हैं. बड़ी सफाई से अपने कामों के ज़रिए, अपनी छवि का संदेश देने की कोशिशों के बाद उन्होंने अब खुले तौर पर केजरीवाल सरकार को अयोग्य दिखाना शुरू कर दिया है, जो चीज़ों नियंत्रण में नहीं कर पा रही है.

रविवार को एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में, शाह ने कहा कि जून के शुरू में उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के बयान ने, जिसमें पूर्मानुमान लगाया गया था कि जुलाई अंत तक दिल्ली में 5.5 लाख मामले हो जाएंगे, लोगों में ‘डर’ पैदा कर दिया था. शाह ने ये भी कहा कि उन्होंने इस अनुमान से असहमति जताई थी.

पिछले कुछ हफ्तों में अमित शाह ने ख़ुद को एक ऐसे शख़्स के रूप में स्थापित कर लिया है जो राजधानी के लिए सिर्फ एक गृहमंत्री से ज़्यादा हैं और केजरीवाल, जिनके कोविड से निपटने के तरीक़े ने, उनके शासन और सियासत की कई ख़ामियां उजागर कर दी हैं, लगता है शाह को फिलहाल अपनी मर्ज़ी चलाने दे रहे हैं.


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केजरीवाल को घेरने की कोशिश

दिल्ली में अमित शाह अपने ख़ास आक्रामक अंदाज़ में, एहतियात के साथ केजरीवाल के सुशासन के दावे को तार-तार करने की बुनियाद रख रहे हैं और दिल्ली के लोगों से कह रहे हैं कि जिस मुख्यमंत्री को उन्होंने भारी संख्या में वोट दिए, वो किसी काम का नहीं है.

शाह बहुत बारीकी के साथ केजरीवाल की उस दुखती रग पर हाथ रख रहे हैं, जहां उन्हें सबसे ज़्यादा तकलीफ होती है. दिल्ली के सीएम के लिए इससे ख़राब और क्या हो सकता है कि उन्हें उस चीज़ के लिए अयोग्य और बिना तैयारी का क़रार दे दिया जाए, जिसे उन्होंने हमेशा अपनी सरकार की सबसे बड़ी सफलता बताकर अपने मतदाताओं को बेचा है-एक मज़बूत हेल्थ केयर सिस्टम.

अमित शाह को सबसे ज़्यादा मज़ा अपने राजनीतिक विरोधियों को तबाह करने में आता है- चाहे वो चुनावों के ज़रिए अवैध तरीक़े हों, सरकारों को उलटने की अनैतिक तरकीबें हों, या सीधे सीधे जाल बिछाकर उन्हें कमज़ोर दिखाने का रास्ता हो.

शाह ने अपने निशाने पर आम आदमी पार्टी के, दो सबसे ताक़तवर और लोकप्रिय नेताओं को लिया है- अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया.

जैसे ही दिल्ली का संकट तेज़ी से बढ़ा, और अरविंद केजरीवाल दिशाहीन दिखने शुरू हुए, शाह ने फौरन मौके का फायदा उठाकर कमान अपने हाथ में ले ली. उन्होंने एक सर्वदलीय बैठक बुलाई जिसमें हर किसी से राजधानी में कोरोनावायरस के खिलाफ एकजुट रहने की अपील की गई. उन्होंने दिल्ली के लिए एक प्लान बनाया, केजरीवाल से बार-बार मुलाक़ात की, और दिल्ली सरकार द्वारा चलाए जा रहे, लोक नायक जय प्रकाश नारायण अस्पताल का औचक निरीक्षण करके, एक बहुत मज़बूत संदेश दिया.

मोदी और शाह ऑप्टिक्स के माहिर खिलाड़ी हैं. मास्क लगाए हुए अमित शाह के एलएनजेपी पहुंचने और निर्देश देने की तस्वीरों का मक़सद था, दिल्ली के मतदाताओं तक संदेश पहुंचाना कि केजरीवाल सरकार किस तरह नाकाम हो गई थी.

आप सरकार के महामारी से ढुलमुल तरीक़े से निपटने से, मोदी-शाह को अपनी अहमियत जताने का मौक़ा मिल गया है. और वाक़ई ऐसा लगने लगा कि दिल्ली को वापस पटरी पर लाने के लिए केंद्र की दख़ल-अंदाज़ी की सख़्त ज़रूरत थी.

लोकप्रिय सीएम को घेरने का शाह का प्रयास, दिल्ली विधानसभा चुनावों में बीजेपी के शोरगुल भरे, बांटने वाले, और ज़हरीले चुनाव प्रचार के बावजूद, आप की ज़बर्दस्त जीत के कुछ महीने बाद ही सामने आया है. उस चुनाव में केजरीवाल ने शाह को साबित कर दिया कि दिल्ली के सियासी मैदान का बॉस कौन है. अमित शाह को मजबूरन अपनी पार्टी के विद्वेषपूर्ण प्रचार पर खेद प्रकट करना पड़ा, हालांकि उसका मक़सद अपनी ग़लतियां सुधारना कम, और दिखावा ज़्यादा था.

लेकिन अमित शाह आसानी से भूलते नहीं हैं, और न ही माफ करते हैं. मुश्किल से पांच महीने बाद, उन्हें केजरीवाल के हाथों मिली शर्मिंदगी का बदला लेने का बिल्कुल सही मौक़ा मिल गया- शक्तिशाली शाह का अपमान जिसका दिमाग़ चुनाव जीतने की मशीन है, उसे एक अपेक्षाकृत नए राजनेता ने धूल चटा दी थी.

ख़ामोशी से अगले मोर्चे तक

गृहमंत्री होने के बावजूद, अमित शाह ने कोविड संकट के शुरुआती दो महीने पृष्ठभूमि में गुज़ारे, जिससे बहुत लोग सोचने लगे कि आख़िर क्या चीज़ उन्हें रोक रही थी. उस समय तक, गृहमंत्री बनने के बाद से अमित शाह, हर अच्छे-बुरे समय में मोदी के भरोसेमंद बने हुए थे.


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धारा 370, नए नागरिकता क़ानून और तीन तलाक़ क़ानून जैसे अहम फैसलों का चेहरा होने से लेकर, मोदी के साथ प्रदेश चुनावों का चार्ज लेने तक, अमित शाह मोदी 2.0 के केंद्र में बने हुए थे.

लेकिन कोविड ने शाह को अगले मोर्चे से, अचानक गुमनामी में धकेल दिया. वो सामान्य रूप से अपना मंत्रालय चला रहे थे, बैठकें ले रहे थे लेकिन सार्वजनिक चमक-धमक से दूर-ऐसे नेता से बिल्कुल उलट, जिसे जुझारू बने रहना और सुर्खियों में रहना पसंद हो. कोविड मोदी की लड़ाई थी जिसमें अमित शाह के आक्रामक तरीक़ों के लिए कोई जगह नहीं थी लेकिन दिल्ली की बात कुछ और है.

दिल्ली में दख़लंदाज़ी से अमित शाह के दो मक़सद पूरे होते हैं. पहला, उन्हें कोविड की गुमनामी से बाहर आने में मदद मिलती है. दूसरा, जो ज़्यादा अहम है वो ये कि इससे वो एक सियासी दुश्मन को नीचा दिखाने में कामयाब होते हैं. इस बीच केजरीवाल के लिए ये एक ज़रूरत हो सकती है, ये देखते हुए कि उनके हाथ से स्थिति कैसे फिसल रही थी लेकिन अमित शाह को एक ‘सुपर सीएम’ के तौर पर प्रोजेक्ट करना, बहुत ख़राब पीआर है और राजनीतिक रूप से विनाशकारी.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

(व्यक्त विचार निजी हैं)

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15 टिप्पणी

  1. Hame to aisa juch b nahi lga kabhi k kon fail kon pass hua covid ne . Baki bat rahi kehruwal ki kmjor nitiyo ko aone hath me lkr sahi aur mjboit jrne ki to sahab ji cirina sirf delhi me hi ni hai.. india k baaji states jaha priye amit shah ji ki srkar hai waha dasha bahot kgrab hai to sirf delhi ko bachane kyu ja rhe … Tamil hai mumbai hai delhi se b kgrab halaat hai.. aree bhai log mr rhe ab to chhod do politics sirf insan ko bachane ki baat kro.. ayr yeh ganda media aap to kuch shrm kro.. kya aapko sab dikhai ni deta aisa msala lga kr baat krte ….

    Mujhe aapki baat bilkul psnd ni aayi .. aaaaaa ………u

  2. मजबूत हेल्थ केयर सिस्टम? तूने कभी मोहल्ला क्लिनिक में अपने बाप का इलाज करवाया? तेरा ठुल्ला सी एम भी बैंगलुरू जाता है इलाज करवाने। पहली बार किसी पढे़-लिखे पर से विश्वास उठा है।

  3. We should not play politics in this time of crisis
    Kejriwal is doing his best if Amit shah has come to help Delhi citizens is he not their Home minister.what is so great about him this should have been their attitude right from the beginning.

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