प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नंबर दो पर रहना लगभग नामुमकिन है. लेकिन पिछले कुछ दिनों में बिल्कुल यही हुआ है: मीडिया में, विपक्षी दलों के INDIA वाले आइडिया ने प्रधानमंत्री के ‘नए’ भारत के नजरिए को लगभग फीका कर दिया है.
क्योंकि विपक्ष ने मीडिया में कुछ (गंभीर) स्थान हासिल कर लिया है, जो अखबारों, टीवी और डिजिटल माध्यमों में प्रमुखता से सुर्खियां बटोरता रहा है. और सबसे बड़ा चमत्कारों का चमत्कार यह हुआ जो अर्नब गोस्वामी के शो रिपब्लिक टीवी के ‘द डिबेट’ में कभी दिखाई नहीं दिया इसदिन वो भी दिखा.
अब सवाल ये है कि: क्या यह मीडिया – विशेष रूप से खबरिया चैनलों के लिए एक पॉलिटिकल रिएलिटी टेस्ट है या यह पैसे से प्रभावित होने का कोई ईशारा भर ? या फिर मान लेते हैं कि यह दोनों का एक अंश है -यानि मीडिया राजनीति की वर्तमान दिशा को तो दर्शाता ही है और वित्तीय बाहुबल को प्रतिबिंबित करता है.
भाजपा की राज्य सरकारों की तरह, सत्ता में मौजूद विपक्षी दल भी मीडिया में उदारतापूर्वक विज्ञापन देते हैं. उदाहरण: कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने बुधवार को मुख्यधारा के अंग्रेजी अखबारों में पूरे पेज 1 का विज्ञापन दिया. छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस सरकारें टीवी पर भी ऐसा ही करती हैं. पंजाब में AAP सरकार हर समय टीवी समाचारों पर विज्ञापन देती है – जिसमें रिपब्लिक टीवी जैसे चैनल भी शामिल हैं, जो विपक्षी दलों के प्रति अपने तिरस्कार को कभी नहीं छिपाता है. इस सप्ताह, AAP के नवीनतम टीवीसी ने राज्य में अपनी मुफ्त बिजली योजना की सराहना की और इसे हर जगह देखा गया.
ऐसी सुर्खियां जिन्होंने हलचल मचा दी
सत्तारूढ़ एनडीए और नव-निर्मित विपक्षी गठबंधन के बीच एक नाजुक संतुलन बनाए रखने के अपने कठिन प्रयासों के बावजूद मीडिया की विपक्ष में दिलचस्पी फिर से बढ़ गई है, जिसे इंडिया टुडे ने ‘सुपर…राजनीतिक थ्रिलर’ कहा है.
सोमवार और मंगलवार के बीच, बेंगलुरु में विपक्ष और नई दिल्ली में एनडीए द्वारा आयोजित ‘मीटिंग बनाम मीटिंग’ (टाइम्स नाउ) पर रिपोर्टिंग का फोकस बिलकुल ही अलग दिखाई दिया. सोमवार को इंडिया टीवी ने जिसे ‘मोदी या महागठबंधन’ कहा था, वहीं मंगलवार दोपहर तक टीवी9 भारतवर्ष (और कई अन्य समाचार चैनलों) पर ‘एनडीए बनाम भारत’ बन गया, जब विपक्षी गठबंधन को औपचारिक रूप से ‘INDIA’ कहा जाने लगा.
इंडिया टीवी ने बड़े ही अनमने ढंग से पूछा, ‘मोदी से नफरत के लिए नई नेम प्लेट?’ और रिपब्लिक टीवी ने भ्रष्टाचार की “यूपीए विरासत को छोड़ने” के प्रयास के रूप में इस संक्षिप्त नाम को खारिज कर दिया हो, लेकिन इससे हेडलाइंस नहीं बदलीं – ‘इंडिया बनाम मोदी (एनडीटीवी 24×7), ‘बीजेपी बनाम इंडिया’ (न्यूज 24) जहां शक्तिशाली, आकर्षक और भावनात्मक रूप से प्रेरित हेडलाइंस प्रतीत हो रहीं थीं, जिन्होंने मंगलवार शाम को एनडीए की बैठक की सारी गर्माहट को ही खत्म कर दिया था.
हालांकि इस पूरे घटनाक्रम को समाचार चैनलों ने भाजपा के पक्ष में खबर घुमाने की कोशिश की. इंडिया टुडे ने कहा – ‘एक बड़ा एनडीए उभर रहा है’ और दावे का समर्थन करने के लिए संख्याओं का हवाला दिया गया. वहीं एनडीटीवी 24×7 ने कहा – ‘एनडीए 38 बनाम विपक्ष 26.’
खबरिया चैनलों के स्क्रीन बंटे हुए दिखाई दिए. जिसमें बेंगलुरू में विपक्ष की प्रेस कांफ्रेंस और एनडीए स्वागत समिति को नेताओं का स्वागत करने के लिए दिल्ली में अशोक होटल के बाहर इंतजार करते दिखाया गया. टाइम्स नाउ नवभारत, एबीपी न्यूज़ और रिपब्लिक भारत जैसे चैनलों ने INDIA पर हुई बेंगलुरु की प्रेस ब्रीफिंग को बिल्कुल भी कवर नहीं किया. न ही डीडी न्यूज़ ने, हालांकि, बाद में घटनाक्रम पर बहस की.
इससे पहले कि हम टीवी बहस पर उतरें, आइए तेजी से बुधवार के अखबारों पर नजर डालते हैं, जिसका उद्देश्य संतुलन बनाते हुए काम करना था.
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अखबारों ने क्या कहा
अब वास्तविकता यह है कि विपक्ष पीएम मोदी और बीजेपी के साथ सुर्खियां साझा करने लगा है और यह बड़ी कहानी है. क्योंकि हम इसके आदी नहीं हैं – आमतौर पर, मोदी और उनकी सरकार अन्य सभी पार्टियों से आगे रहती है.
हालांकि, तस्वीरें सब कुछ कहती हैं: बुधवार को इंडियन एक्सप्रेस ने विपक्ष को एनडीए से ऊपर दिखाया और हेडिंग बनाई: ‘एनडीए का मुकाबला करने के लिए, विपक्ष INDIA को आगे बढ़ाने के लिए एकजुट हुआ’. द हिंदू ने थोड़ा अलग करते हुए अपनी मुख्य तस्वीर विपक्षी बैठक की थी, और इस हेडलाइन के अनुसार, ‘विपक्ष की टीम इंडिया चुनाव में एनडीए को टक्कर देगी’. अखबार की दूसरी लीड एनडीए सभा थी जिसमें मोदी को माला पहनाने वाली फोटो को प्रमुखता दी गई थी.
यानी मोदी दूसरे नंबर पर पहुंचे, विपक्ष के पीछे. और ये बदलाव को दिखाता है.
हिंदुस्तान टाइम्स ने दोनों राजनीतिक सभाओं को एकसमान स्थान दिया, जिसमें किसी नाम का उल्लेख करने से परहेज किया गया – ‘गठबंधन की लड़ाई के लिए मंच तैयार’. यह बहुत डिप्टोमैटिक था.
इन अखबारों में रिपोर्ट, विश्लेषण और राय ने विपक्षी गठबंधन के लिए आगे की कठिनाइयों को रेखांकित किया, लेकिन INDIA निश्चित रूप से दिखाई दे रहा था और स्क्रीन पर था __और उसने शो लूट लिया था. टाइम्स ऑफ इंडिया में लीड कमेंट पीस में हेडिंग दी थी, ‘भारत के लिए भारत को जीत दिलानी है’. (‘For INDIA to win India’)
INDIA, ने मीडिया की रुचि बनाए रखा
संयोगवश, INDIA के गठन ने टीवी पर होने वाली बहसों के संतुलन को झुका दिया है. यह अब भाजपा/केंद्र और कांग्रेस के बीच एक द्विधारी टकराव नहीं है. अब, अन्य राजनीतिक दल, विशेषकर विपक्षी दल और हर दिन आने वाले प्राइम टाइम पर भी.
विपक्ष के लिए यह दूसरा बड़ा बदलाव है. एक ही टॉक शो में, इसे कई अलग-अलग आवाज़ों में बोलने का मौका मिलता है, लेकिन एक ही उद्देश्य के साथ: इंडिया टुडे ने बताया, ’26 पार्टियों का एक मोदी हटाओ एजेंडा’ .
यहां कुछ स्पष्ट उदाहरण दिए गए हैं – टाइम्स नाउ पर, मंगलवार रात 9 बजे, भाजपा, कांग्रेस, टीएमसी, डीएमके, आप और जेडी (यू) के प्रतिनिधि थे – यानी एक शो में बहुत सारे विपक्षी प्रवक्ता थे.
न्यूज इंडिया ने मंगलवार को बीजेपी, कांग्रेस, आप, समाजवादी पार्टी को दिखाया – यानी विपक्ष के लिए 3 से 1. डीडी न्यूज पर बीजेपी, कांग्रेस, जेडी (यू) और एनसीपी थे, सीएनएन न्यूज 18 के ‘प्लेन स्पीक’ में बीजेपी, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और टीवी पर एक अपेक्षाकृत नवागंतुक जेजेपी – जननायक जनता पार्टी, बीजेपी की सहयोगी थी, जो एनडीए और भारत के बीच 50:50 का अंतर कर रही है.
यह सारा मीडिया प्रदर्शन विपक्ष के दिलों को खुश करने वाला रहा – कम से कम क्षण भर के लिए ही सही. लेकिन उन्हें बहुत खुश नहीं होना चाहिए: प्रधानमंत्री मीडिया के प्रिय बने रहेंगे. मीडिया की दिलचस्पी बनाए रखना INDIA पर निर्भर है.
इसके लिए उन्हें सीमा हैदर की चालाकियों और आकर्षण की जरूरत है, वह पाकिस्तानी जो भारत में घुस आई, उसने अपने पबजी प्रेमी सचिन मीना से शादी कर ली और अब मीडिया में अटकलों का बाजार गर्म बना हुआ है: हिंदुस्तान टाइम्स लिखता है, ‘सीमा हैदर कौन है: सीमा पार प्रेमी या पाकिस्तानी जासूस?’
(शैलजा बाजपई दिप्रिंट की रीडर्स एडिटर हैं. कृपया अपनी राय, शिकायतें readers.editor@theprint.in पर भेंजे. विचार निजी हैं और उनका ट्विटर हैंडल @shailajabajpai है.)
(संपादन: पूजा मेहरोत्रा )
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