जिस शहर में मैं रहता हूं, उसमें आजकल, और तो और गुंडों और माफियाओं ने भी लोगों को नये साल की शुभकामनाओं के संदेश देने वाले होर्डिंग लगा रखे हैं. कई ने तो नये साल की शुभकामनाओं के साथ मकर संक्राति और गणतंत्र दिवस की कामनाएं भी जोड़ दी हैं. उनके इस जोड़ के आधार पर मेरा विश्वास है कि आपको भी ऐसी ढेर सारी शुभकामनाएं प्राप्त हुई होंगी. लेकिन क्या उनमें से एक भी वैसी है, जैसी आप चाहते थे?
अगर नहीं और उसे पाने की हसरत बाकी है तो नीचे दी गयी शुभकामनाएं पढ़िये और उनमें जो भी रास आये, सहर्ष स्वीकार कर लीजिए. मेरी अधिकतम जानकारी के अनुसार ये शुभकामनाएं अब तक अछूती हैं. कम से कम इस अर्थ में कि अब तक किसी के भी द्वारा किसी को नहीं दी गई हैं. लेकिन दी जातीं तो देने वाले के लिए भी अच्छी सिद्ध होतीं और पाने वाले के लिए भी.
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बहरहाल, आप किसान हैं तो इस साल झोंपड़ी झुकाकर राजद्वार ऊंचे करने वाले ग्राम देवता की आराधना आपको खूब रास आये और सारे देश को खिलाकर खुद भूखे रह जाने के अभिशाप से मुक्ति की आपकी साधना सफल हो जाये. कोई कितना भी सरकाये, मगर आपके पैरों के नीचे से सरके नहीं आपकी ज़मीन. किसी के सामने भी आप दिखें नहीं दीन या हीन.
और हां, आत्महत्याएं आप तो क्या, आपके सहवासी गुबरैलों और ततैयों के निकट भी आने से घबरायें. पागुर करती भैंसें, रम्भाती गायें, उनके कानों पर बैठकर किलने निकालते कौए और फुदकती गौरैये, सब के सब आपके साथ झूमें और गायें. कर्ज़माफी हाथ आये या नहीं, मगर नाइंसाफी से निजात पा जायें. जिन्दगी जीते और मौत हार जायें! मजदूर हैं तो भी मजबूर नहीं रह जायें. किसी सरकारी योजना का लाभ पायें या न पायें, अपनी बेड़ियों पर विजय पा जायें. आपका मेहनताना पर किसी की मर्ज़ी न रहे, आपका हक बन जाये और उसे मारने की किसी की मजाल न हो पाये.
गरीब हैं तो सरकार पूरे साल में एक बार भी आपको रियायतों व सब्सिडियों का मोहताज न बना पाये. न ही बता पाये. अमीरी आपके मान-मर्दन पर उतारू हो, तो न उसके साथ खड़ी दिखे, न आपके घावों पर नमक छिड़कने पर उतर पाये.
अमीर हैं तो आप सोच सकते हैं कि बराबरी की प्रतिष्ठा के संवैधानिक संकल्प को बहुत दूर छोड़ आयें. इस महादेश में अब सब कुछ आपके ही नाम है. इसलिए न आपको किसी की शुभकामनाओं की ज़रूरत है और न ही कोई झाम है. फिर भी, इस साल आप करों में छूट, रियायतें व सब्सिडियां चाहे पहले से भी ज़्यादा ले जायें, मगर गरीबों की योजनाओं, दवाओं और राशनकार्डों आदि की लूट में शामिल होते थोड़ा शरमायें.
नेता हैं तो, खुदा करे, बेहिसाब भाषणों का आपका व्यापार जल्द से जल्द डूब जाये और आप फौरन से पेश्तर नये विचारों का कारोबार शुरू कर पायें. पर्यावरण के प्रदूषण पर चिंतित हों तो दूषित चेतनाओं और विचारों से हो रहे नुकसान सोचकर भी आपके माथे पर पसीना आये. सिर से पांव तक उसमें नहाकर ही सही, इस साल आपको इतनी सद्बुद्धि आये, कि ऐसी चेतनाओं का लाभ लेकर जीतने के बजाय चुनाव हार जाना कबूल कर पायें.
जवान हैं तो देश का अभिमान बदस्तूर बचाये रख पायें और बदले में भरपूर मान-सम्मान पायें. वैज्ञानिक हैं तो सारे जहां से अच्छे इस देश की धरती को आगे भी सबसे अच्छी और सारे इंसानों के रहने लायक बनाये रखने में लगें और सुख पायें. नायक या महानायक हैं तो आयकर विभाग का नोटिस पाकर भी कोई बीमारी आपके पास न आये. बदलाव की देशवासियों की प्रार्थनाएं इस कदर कबूल हों कि सुखराम की ही नहीं, दुःखराम की आय भी कर योग्य हो जाये और वह भी आयकर के नोटिसों का लुत्फ उठाने लायक हो जाये.
आम आदमी हैं तो तूफान और सुनामियां चाहे सब कुछ छीन ले जायें, मगर आपकी आशाओं की कलाई न मरोड़ पायें. हां, पुराना या नया कोई क्लेश नहीं सताये. जो भी हो, रंग-रूप, भाषा-भूषा या वेश और कितने भी विपन्न हों आप, मगर सहज मानवीय गरिमा व आत्मसम्मान से सम्पन्न रहें. छोटा या बड़ा कोई भी त्यौहार आपको मुंह नहीं चिढ़ाये, बाजार को आपके घर के अन्दर न घुसाये. न महंगाई गर्दन मरोड़े, न ही आपकी कमर को झुकाये.
फेसबुकियों में हैं तो इतने सोशल हो जायें कि वर्चुअल मित्रों में उलझे रहने के बजाय ऐक्चुअल का हाल चाल जानने का भी समय निकाल पायें.
हां, सवाल खड़े करने वालों में हैं, तो भी कोई बुराई नहीं. इस साल आपके सवाल और बड़े हो जायें. लेकिन बवाल करने वालों में हैं, तो कोई भी बवाल बड़ा न कर पायें. चिंताएं बढ़ाने वालों में हों, तो और जितनी भी बढ़ायें, मगर महंगाई की बढ़वार को मात करने में लग जायें. माल काटते हों, तो लगातार काटते ही न चले जायें. हलाल होते या करते हों, तो इस साल आपके होने या करने में भरपूर बाधाएं आयें. बबूल बोते हों तो जी भरकर न बोने पायें. शूल चुभोते हों तो आपके शूल कम पड़ जायें. धूल झोंकते हों तो आपको झोंकने के लिए नई आंखें न मिल पायें.
भले ही एक दिन यह साल पुराना पड़ जाये. लेकिन जब भी और जिसकी भी चाहे, उसकी आंख में चढ़ने और जिसकी चाहे, उसकी आंख में गड़ने ऩ पाये. नौ दिन खत्म होते-होते लौकी और सौ दिन खत्म होते होते तितलौकी न बन जाये. न नीम पर जा चढे़ं और न करेले में बदल जायें.
हां, अगर आप सवालों और बवालों या कि समस्याओं के समाधान की उम्मीद से भरे हैं तो आपकी उम्मीदों को नये पंख लगने से कोई भी न रोक पाये. कोई किसी को भी नाउम्मीदियों के कोहरे में गुम न कर पाये.
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कुछ भी नहीं हैं और कहीं भी, किसी आधार कार्ड में आपका नाम पता दर्ज नहीं है तो भी मायूसी आपके पास न आये. देखे और देख-देखकर खुश हों कि कैसों-कैसों का हाल खराब होता जा रहा है, कैसों-कैसों की खाल उधड़ती जा रही है और कैसों-कैसों की चाल बिगड़ती जा रही है. कौन हैं जो हमें हर हाल में गरीब बनाये रखने और कौन हैं जो हर हाल में अमीरी के पायजामे में पांव डालने पर तुले हैं. यह साल आपको वह सब दिखाये, जो आपने अब तक नहीं देखा.
भले ही इस चक्कर में न आपकी खुशियों की कोई सीमा रह जाये और न, माफ कीजिएगा, दुखों का कोई लेखा. पूरे साल आप मौसमी बीमारियों की छूत से बचे रह पायें, लेकिन प्यार का मौसम आये तो उसकी छूत आपको सबसे पहले लग जाये.
फिर…एक दिन आपके अखबार में यह खबर भी आये कि कम्बल बांटने चले नेता जी अपनी करुणा के प्रदर्शन के लिए एक भी कांपता हुआ आदमी नहीं ढूंढ़ पाये.