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Saturday, 6 December, 2025
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बांग्लादेश की राजनीति बदल रही है, नए सर्वे में 70% ने अंतरिम सरकार को समर्थन दिखाया

अमेरिका के थिंक टैंक IRI ने बांग्लादेश पर अपनी चुनाव से पहले की असेसमेंट रिपोर्ट जारी की है. यह रिपोर्ट अवामी लीग के इस दावे को गलत साबित करती है कि छात्र आंदोलन 'विदेशी साजिश' थी.

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चुनाव से पहले के बांग्लादेश में जनता की भावना को सही तरीके से समझने के लिए विश्वसनीय सर्वे बेहद ज़रूरी हो गए हैं ताकि देश की दिशा को सही तरह से समझा जा सके.

भरोसेमंद सर्वे संस्थान बहुत कम हैं और सालों तक शेख हसीना के शासन में आंकड़ों में हेरफेर के कारण जनता का डेटा पर भरोसा कम हो गया है. इसी वजह से पारंपरिक स्रोतों पर विश्वास भी घटा है.

इस पैटर्न को सबसे पहले इनोविजन के पीपल्स इलेक्शन पल्स सर्वे (PEPS) ने तोड़ा. इसके पब्लिश हुए दो फेज़ ने नागरिकों को नेशनल इलेक्शन जैसे बड़े फैसले के बारे में सोच-समझकर, डेटा के आधार पर फैसले लेने के लिए एक दुर्लभ और भरोसेमंद आधार दिया.

फिर सोमवार को, यूएस-बेस्ड थिंक टैंक इंटरनेशनल रिपब्लिकन इंस्टीट्यूट (IRI) ने बांग्लादेश के बारे में अपना प्री-इलेक्शन असेसमेंट जारी किया, और इसके नतीजों से कुछ चौंकाने वाली बातें सामने आईं जिन पर देश और विदेश के एनालिस्ट और ऑब्ज़र्वर को ध्यान से विचार करना चाहिए.

सबसे गौर देने वाला नतीजा यह है कि अब 70 प्रतिशत बांग्लादेशी अंतरिम सरकार के कामकाज को मंज़ूरी दे रहे हैं. यह एक बड़ा बदलाव है, जिसने पिछले साल के जन–आंदोलन के बाद देश की राजनीतिक दिशा को लेकर पुराने अनुमानों को उलट दिया है.

यह नतीजा अवामी लीग के इस दावे को भी तोड़ देता है कि यह आंदोलन सिर्फ एक “विदेशी साज़िश” था.

IRI के आंकड़े ऐसी किसी बात की गुंजाइश नहीं छोड़ते. वे यह दिखाते हैं कि जनता की भावना में आया बदलाव पूरी तरह लोगों के बीच से पैदा हुआ है, न कि बाहर से किसी द्वारा कराया गया. यह राजनीतिक वैधता में एक साफ़ बदलाव को दिखाता है, जो जनता के भीतर से उभरा है, न कि किसी बाहरी ताकत से थोपा गया है.

तीन दावेदार

आंकड़े बेहद साफ़ संदेश देते हैं. अगर आज चुनाव हो जाए तो 33 प्रतिशत लोग BNP को वोट देंगे और 29 प्रतिशत जमात को. इसके मुकाबले, अवामी लीग का समर्थन लगभग खत्म हो चुका है. सिर्फ 11 प्रतिशत लोग पार्टी को मजबूत समर्थन देते हैं और सिर्फ 14 प्रतिशत लोग थोड़ा बहुत समर्थन जताते हैं.

अब यह पुराना BNP–अवामी लीग का दो तरफा मुकाबला नहीं है. राजनीतिक मैदान में अब तीन दावेदार हैं और अवामी लीग तीनों में सबसे कमजोर दिख रही है.

BNP और जमात ने उस जन–ऊर्जा को अपने पक्ष में ले लिया है, जिसे अवामी लीग ने फिसलने दिया था. कभी मज़बूत रही अवामी लीग की मशीनरी अब बिखर चुकी दिखती है.

लेकिन मौजूदा माहौल सिर्फ अतीत को ठुकराने वाला नहीं है. इसमें एक सावधानीभरी नई उम्मीद भी है.

कुल 53 प्रतिशत लोग मानते हैं कि देश अब “अच्छा कर रहा है”. यह 2020 के बाद फैले उदास माहौल के उलट है. उनकी उम्मीदें घर की आर्थिक स्थिति में सुधार और बुनियादी ज़रूरतों की बेहतर उपलब्धता जैसे ठोस बदलावों पर टिकी हैं.

पूरे 80 प्रतिशत लोग बांग्लादेश के भविष्य को लेकर आशावादी हैं. कई लोग महसूस करते हैं कि देश आखिरकार दमन और राजनीतिक थकान के वर्षों से बाहर निकल रहा है. अब 72 प्रतिशत लोग देश में लोकतंत्र की स्थिति को “अच्छा” बताते हैं, जो पिछले आठ वर्षों में सबसे ऊंचा स्तर है.

यह पब्लिक मूड एक हाईजैक क्रांति या विदेश से प्लान किए गए पावर शिफ्ट के विचार को खत्म करता है; यह इस बात पर ज़ोर देता है कि यह विद्रोह किसी ऑर्गेनिक चीज़ के लिए रास्ता साफ करता है—एक ऐसी भावना जो बांग्लादेश की नागरिक चेतना में बहुत पहले से सुलग रही थी, इससे पहले कि यह खुलकर सामने आए. देश में इंस्टीट्यूशनल भरोसे का पदानुक्रम इस बात को और मज़बूत करता है.

सबसे ऊपर सेना है, फिर छात्र आंदोलन और मीडिया. इन्हें अव्यवस्था और राजनीतिक छल से बचाने वाली संस्थाओं की तरह देखा जा रहा है. सबसे नीचे पुलिस, चुनाव आयोग, हिफाज़त-ए-इस्लाम और हिज्ब-उत-तहरीर हैं, जिनकी छवि बहुत खराब है.

सेना को एक स्थिरता लाने वाली ताकत की तरह देखा जा रहा है, न कि किसी तानाशाही औज़ार के रूप में. छात्र आंदोलन को एक नैतिक ताकत माना जा रहा है, जिसने तानाशाही शासन के खिलाफ नागरिक प्रतिरोध को फिर से जगाया.

भ्रष्टाचार सबसे बड़ा खतरा

हालांकि कुल माहौल उत्सव जैसा नहीं है. सर्वे दिखाते हैं कि भ्रष्टाचार, असुरक्षा, राजनीतिक अस्थिरता, महंगाई और बेरोज़गारी जनता की सबसे बड़ी चिंताएं हैं. ये आम परेशानियां नहीं हैं, बल्कि लंबे समय से पनपते आक्रोश हैं, जिन्होंने अंत में देश को सत्ता–संरचना से टकराव की तरफ धकेल दिया.

इसी के साथ एक और बात अहम है. अब 72 प्रतिशत लोग बिना देरी के राष्ट्रीय चुनाव चाहते हैं और 41 प्रतिशत चाहते हैं कि चुनाव तुरंत हो. यह कोई हिचकिचाने वाली जनता नहीं है. यह एक ऐसा देश है जो अपनी लोकतांत्रिक इच्छा को फिर जताना चाहता है.

BNP और जमात आगे बढ़ रहे हैं और फिलहाल जनता का धैर्य अंतरिम सरकार के पक्ष में है. लेकिन यह धैर्य सशर्त है. भ्रष्टाचार खत्म करो और वास्तविक संरचनात्मक सुधार करो. सिर्फ चेहरों को बदलने से कुछ नहीं होगा अगर पुरानी सत्ता–व्यवस्था जस की तस बनी रही.

पारदर्शी चुनाव, भ्रष्टाचार पर सख्त कार्रवाई और बड़े सुधार जनता की बुनियादी मांगें हैं, जिसने सालों तक राजनीतिक जड़ता झेली और फिर बड़े जन–आंदोलन के बाद एक निर्णायक मोड़ पर पहुंची. यह सर्वे यही बताता है.

IRI सर्वे यह साबित करता है कि अगर अवामी लीग अपने इस आरामदेह भ्रम में फंसी रही कि पिछला आंदोलन किसी की साज़िश था, तो वह बिलकुल साफ़ सच्चाई को नज़रअंदाज़ कर देगी. बांग्लादेशियों ने जवाबदेही और असली चुनावी प्रतिस्पर्धा की मांग की थी और वे आज भी उन मांगों से पीछे नहीं हटे हैं.

जमात का BNP के साथ एक वास्तविक दावेदार के रूप में उभरना बताता है कि वोटर अब पुराने AL–BNP वाले ढांचे से आज़ाद हो चुके हैं. और लोकतंत्र में लौट रहा भरोसा यह दिखाता है कि बांग्लादेशी अपना राजनीतिक ढांचा फिर से बनाना चाहते हैं.

कुल मिलाकर, IRI के नतीजे बताते हैं कि बांग्लादेश एक वास्तविक नागरिक पुनर्गठन के दौर से गुजर रहा है, जिसे जनता की साफ़ मंशा आगे बढ़ा रही है.

जो लोग इसे समझ लेंगे, वे खुद को बदलकर टिक पाएंगे. लेकिन जो इनकार में रहेंगे, जैसा कि अवामी लीग करती दिख रही है, वे जल्द ही समझ जाएंगे कि इतिहास उनके बिना आगे बढ़ चुका है.

फैसल महमूद नई दिल्ली में बांग्लादेश हाई कमीशन में मिनिस्टर (प्रेस) हैं. विचार निजी हैं.
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