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मंगलवार, 22 अप्रैल, 2025
होममत-विमत6 साल हो गए, कोई इंकम्बेंसी नहीं- सर्वेक्षणों ने कोविड से निपटने में मोदी को दूसरे विश्व नेताओं से आगे बताया

6 साल हो गए, कोई इंकम्बेंसी नहीं- सर्वेक्षणों ने कोविड से निपटने में मोदी को दूसरे विश्व नेताओं से आगे बताया

लोगों के मूड को देखते हुए लगता है कि बीजेपी 2024 में तीसरी बार चुनाव जीत लेगी. ऐसा संभव नहीं लगता कि फिलहाल जो बढ़त उसे हासिल है, पार्टी उसे गंवा देगी.

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किसी भी चुनी हुई सरकार के लिए बहुत सामान्य बात है कि शासन के पहले वर्ष में वो लोकप्रिय बनी रहती है. इसलिए किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि दूसरे कार्यकाल का एक साल पूरा करने के समय, नरेंद्र मोदी सरकार की लोकप्रियता पूरी तरह बरक़रार है. हालिया सर्वेक्षणों के सबूत भी इस बात की गवाही देते हैं कि पिछले कुछ महीनों में, ख़ासकर भारत में कोरोनावायरस संकट से कुशलता के साथ निपटने से, मोदी की लोकप्रियता में इज़ाफ़ा हुआ है. विरोधी लहर का मूड आमतौर पर तब बनना शुरू होता है, जब सरकार अपना आधा कार्यकाल पूरा कर लेती है, यानी सत्ता में रहने के ढाई साल बाद.

तो, सवाल ये उठना चाहिए कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आधा समय पूरा होने पर, उसके खिलाफ विरोधी लहर उठेगी, या नहीं? इस सवाल का कोई निश्चित जवाब नहीं हो सकता. फिलहाल लोगों के मूड, और पूरी तरह अव्यवस्थित पड़े विपक्ष को देखते हुए, मुझे यक़ीन है कि भारतीय जनता पार्टी आराम से, 2024 में तीसरा राष्ट्रीय चुनाव जीत लेगी.


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मोदी की लोकप्रियता है चाबी

मोदी की अगुवाई में बीजेपी ने पिछले 6 सालों में, बहुत से चुनावी पैटर्न तोड़े हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले, शायद ही किसी ने सोचा होगा, कि बीजेपी 2014 से भी बेहतर प्रदर्शन करेगी, और उत्तर भारत के बहुत राज्यों में पार्टी का सीट शेयर अपने शिखर पर पहुंच जाएगा. ऐसा माना जाता था कि यूपी, बिहार, महाराष्ट्र, राजस्थान, एमपी, छत्तीसगढ़ और दिल्ली में, बीजेपी के लिए 2014 के अपने चुनावी प्रदर्शन को दोहराना, नामुमकिन साबित हो सकता है.

लेकिन पिछले तमाम चुनावी पैटर्न्स को तोड़ते हुए, पार्टी ने इनमें से बहुत से राज्यों में, न केवल अपनी चुनावी सफलता को दोहराया, बल्कि कुछ में पहले से भी बेहतर प्रदर्शन किया, और उनमें से बहुत से सूबों में अपना वोट शेयर 50 प्रतिशत के पार ले गई. 2019 में बीजेपी से पहले, कांग्रेस के अलावा कोई दूसरी सियासी पार्टी, लगातार दो चुनाव नहीं जीत पाई है. अपने चुनावी प्रदर्शन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता दोनों से, पार्टी को दूसरे कार्यकाल के मध्य में उठने वाली, किसी भी विरोधी लहर से निपटने में सहायत मिलेगी.

मोदी आज उतने ही लोकप्रिय हैं (अगर अधिक नहीं), जितने जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी अपने समय में थे. कोरोनावायरस वैश्विक महामारी से ग्रस्त कई देशों में हुए सर्वेक्षणों में, मोदी को कोविड से निपटने में, अपने वैश्विक समकक्षों से ऊंचा आंका गया है.

मोदी सरकार के पक्ष में क्या गया है

जो चीज़ मोदी सरकार को लोकप्रिय बनाती है, वो है बहुत समय से लम्बित पड़े विवादास्पद क़ानूनों को पास करने की इसकी क्षमता. धारा 370 को कमज़ोर करने, जम्मू-कश्मीर राज्य के विभाजन, तीन तलाक़ कानून, और नागरिकता संशोधन क़ानून ने, अधिकतर हिंदुओं में ख़ुशी की लहर भर दी है, और बीजेपी में उनकी आस्था को बरक़रार रखा है.

पहले कार्यकाल में शुरू की गई मोदी सरकार की स्कीमों, जैसे जन-धन योजना, उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत और पीएम किसान आदि से, किसानों, महिलाओं, ग़रीबों और आर्थिक रूप से समाज के हाशिये पर पड़े लोगों को मदद मिली है. इससे 2019 के चुनाव में बीजेपी को, दलितों, आदिवासियों और अन्य पिछड़े वर्गों के निचले तबक़ों के, अतिरिक्त वोट जुटाने में मदद मिली. डिजिटल इंडिया, स्वच्छ भारत अभियान, गुड्स एण्ड सर्विसेज़ टैक्स, और दूसरे महत्वपूर्ण क़दमों ने शासन पर दूरगामी प्रभाव डाला है, और मोदी सरकारी की लोकप्रियता में इज़ाफ़ा किया है.

इस सरकार में जो बात अनोखी है, वो है संकट को अवसर में बदलने की इसकी क्षमता. जब अचानक नोटबंदी का ऐलान हुआ, और बड़ी संख्या में ग़रीब और निचले तबक़े के लोगों के सामने मुसीबत खड़ी हो गई, तब सरकार ने इस सफलता के साथ, ग़रीब बनाम अमीर की लड़ाई का नाम दे दिया. 2019 के चुनावों से कुछ पहले ही, जब आर्थिक मंदी और कृषि संकट को लेकर चिंताएं ज़ाहिर की जा रहीं थीं, तो बलाकोट स्ट्राइक ने सरकार को भारतीयों का मूड अपने पक्ष में करने का अवसर दे दिया.


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कोरोना संकट एक और अवसर

आज लाखों की संख्या में ग़रीब प्रवासी मज़दूर, अचानक घोषित हुए लॉकडाउन की वजह से मुसीबत झेल रहे हैं, और भारत अपने सबसे ख़राब आर्थिक संकट से दो-चार है. लेकिन मोदी सरकार लोगों को ये संदेश देने में कामयाब रही है, कि लॉकडाउन न केवल सफल रहा है, बल्कि इससे हज़ारों लोगों का जीवन भी बचाया जा सका है. भारत में कोरोनावायरस से हो रही मौतों की, दूसरे विकसित देशों के साथ लगातार तुलना करने से, इस सरकार को एक पॉज़िटिव कहानी बनाने में मदद मिली है, जिसे बड़ी संख्या में लोगों ने स्वीकार कर लिया है.

मौजूदा सियासी माहौल और लोगों के मूड को देखते हुए, मुझे इसमें कोई शक नहीं है कि बीजेपी, 2024 में तीसरा चुनाव जीत लेगी. ऐसा संभव नहीं लगता कि फिलहाल जो बढ़त उसे हासिल है, पार्टी उसे आसानी से गंवा देगी. इस बात की भी संभावना नहीं है, कि लोग अचानक से विपक्षी दलों और नेताओं में भरोसा दिखाने लगेंगे. 2024 में चुनावी मुक़ाबला तभी मुमकिन है, जब चीज़ें बिल्कुल उलट जाएं. अवसर बहुत कम हैं लेकिन एक संभावना अभी भी बाक़ी है. हमने देखा है कि एक बेहद लोकप्रिय कांग्रेस, जिसकी अगुवाई एक लोकप्रिय प्रधानमंत्री (राजीव गांधी) कर रहे थे, सिर्फ कुछ महीनों में बिखर गई, और अगला चुनाव हार गई.

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

(लेखक एक प्रोफेसर और सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसायटीज़ (सीएसडीएस) के निदेशक हैं. यहां प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं.)

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