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Sunday, 5 May, 2024
होममत-विमत‘न्यूज़ या धार्मिक चैनल’, नज़रअंदाज किए गए राहुल गांधी के अलावा — TV पर श्री राम से जुड़ा सब कुछ है

‘न्यूज़ या धार्मिक चैनल’, नज़रअंदाज किए गए राहुल गांधी के अलावा — TV पर श्री राम से जुड़ा सब कुछ है

इस हफ्ते की मीडिया की खबरें हर किसी के देखने के लिए है: भगवान राम सर्वव्यापी हैं, पीएम मोदी हमेशा मौजूद हैं और राहुल गांधी ज्यादातर गायब हैं.

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शायद यह उनकी सदाबहार सफेद टी-शर्ट ही है जो राहुल गांधी को मीडिया के लिए अदृश्य बना देती है. या फिर वे पब्लिक में उस टी-शर्ट पर ‘धर्म नहीं पहनते’.

दूसरी ओर, भारतीय समाचार मीडिया केवल धार्मिक उत्साह के सार्वजनिक प्रदर्शन में रुचि रख रहा है. बीते 15 दिन से हम टीवी पर लगातार ईश्वर की उपस्थिति में हैं; समाचार चैनलों ने ‘राम उत्सव’ (टाइम्स नाउ) में शामिल होने के लिए खुद को भगवा धोती में लपेटने के अलावा सब कुछ किया है.

जब वे ‘जय श्री राम’ का नारा नहीं लगा रहे हैं या ‘राम मंदिर निर्माण’ (इंडिया टुडे) के रूप में सरयू नदी के तट पर नहीं बैठे हैं, तो वे देश के विभिन्न भागों के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 11 दिवसीय ‘अनुष्ठान’ के नक्शेकदम पर चल रहे हैं. धोती पहने, हाथ जोड़कर प्रार्थना करते हुए एक के बाद एक मंदिर में जाते हुए पीएम मोदी देश के प्रमुख भक्त बन गए हैं, जो 22 जनवरी को राम की अयोध्या वापसी के इस उत्सव में हमारा नेतृत्व कर रहे हैं. इंडिया टुडे के एंकर शिव अरूर ने कहा, “बहुत ही उदबोधक तस्वीरें…” आंध्र प्रदेश के वीरभद्र मंदिर में (प्रधानमंत्री) को देखकर अच्छा लगा.

यह सब हमें क्या बताता है? भगवान राम सर्वव्यापी हैं, पीएम मोदी हमेशा मौजूद हैं और राहुल गांधी ज्यादातर गायब हैं, सापेक्ष अस्पष्टता में चल रहे हैं. किसी को उनसे और कांग्रेस से पूछना चाहिए कि क्या अयोध्या में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा से एक हफ्ते पहले “भारत जोड़ो न्याय यात्रा” शुरू करना बुद्धिमानी थी.


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समाचार चैनल या धार्मिक चैनल?

इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है कि ईश्वर के चिंतन में आस्था, संस्कार और जिनवाणी जैसे ‘आध्यात्मिक’ टीवी चैनलों की जगह समाचार चैनलों ने ले ली है. उनकी पूजनीय दृष्टि शायद ही कभी अयोध्या से हटी हो: हम मंदिर को अंदर और बाहर से देखते हैं, नक्काशी और इसके सोने के दरवाज़ों की तारीफ करते हैं. टीवी समाचार, 22 जनवरी तक दिन, घंटे और मिनट गिन रहे हैं: ‘6 दिन 22:36 मिनट’ का टिक टॉक सीएनएन न्यूज़18 पर सोमवार सुबह से चल रहा है.

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इसे ‘भारत की नियति 2024 के साथ मुलाकात’ (सीएनएन न्यूज़18) के रूप में प्रचारित किया गया है. अगले सोमवार को प्राण प्रतिष्ठा की व्यवस्था से जुड़ी हर चीज़ कैमरे पर है. सड़कों पर राम और सीता की पेंटिंग बनाने वाली लड़कियों (एनडीटीवी 24×7) और आठ किलोमीटर लंबी रंगोली (जी न्यूज़) से लेकर गुजरात की 108 फुट लंबी अगरबत्ती से राहगीरों पर धूप का धुआं उड़ाने तक (जी न्यूज़); आगरा के 560 किलो के लड्डू और सभी रूपों में पेठे (टाइम्स नाउ नवभारत) से लेकर रामनगरी के खुरचन पेड़े तक, जिसे आठ घंटे तक पकाया जाता है (सीएनएन न्यूज़18). अयोध्या में देश भर के भक्तों से लेकर, ‘‘राम आएंगे’’ भजन गुनगुनाते हुए, दूर-दूर तक अमेरिका के न्यू जर्सी में भक्ति का सार्वजनिक प्रदर्शन किया गया, जहां ‘‘जय श्री राम’’ के नारे के साथ एक कार रैली आयोजित की गई (सीएनएन न्यूज़18).

भारत एक्सप्रेस ने पगड़ियों में भक्तों के चेहरों पर चमक देखी, हालांकि, दूर से वे ठंड से त्रस्त दिख रहे थे. रिपोर्टर ने पूछा, “कैसा लग रहा है?” तुरंत जवाब आया, “बहुत अच्छा”.

भारत 24 के एंकर ने महसूस करते हुए कहा, “आप पुनरुत्थान को महसूस कर सकते हैं”.

आइए सुरक्षा को न भूलें: इस मौके पर 10,000 सीसीटीवी कैमरे निगरानी में हैं (इंडिया टीवी), ड्रोन और प्रभावशाली सशस्त्र विशेष सुरक्षा बल और साथ ही अयोध्या के नए हवाई अड्डे के लिए 100 विशेष उड़ानें हैं (रिपब्लिक टीवी).

हमें दिखाने के लिए वहां क्या बचा था? अरे हां, प्रधानमंत्री द्वारा स्वच्छता अभियान का आह्वान करने और उन्हें यह दिखाने के बाद कि इसे कैसे करना है, देश भर में मंत्री और मुख्यमंत्री मंदिरों की सफाई कर रहे हैं. न्यूज़ चैनलों ने उन्हें इसे दिखाया, लेकिन पोछा लगाने के मामले में नेताओं की अनुभवहीनता स्पष्ट दिखाई दे रही थी.


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PM की चौतरफा तारीफ

राम और पीएम मोदी के अलावा न्यूज़ चैनलों ने उन शंकराचार्यों का इंटरव्यू लिया जिन्होंने ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह को छोड़ने का फैसला किया है. न्यूज़ इंडिया पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने साफ कहा कि वह इसमें शामिल नहीं होंगे. “इतनी जल्दी क्या है?” उन्होंने उस मंदिर को पवित्र करने के लिए कहा जो अधूरा था. इंटरव्यू काफी जल्दी खत्म हो गया. वैसे, द वायर के लिए करण थापर के साथ एक इंटरव्यू के दौरान, अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि उन्हें और अन्य शंकराचार्यों को “अभी तक आमंत्रित नहीं किया गया है”.

स्वामी सदानंद सरस्वती नरम थे: टाइम्स नाउ पर उन्होंने कहा कि समारोह में पीएम मोदी की उपस्थिति में कुछ भी गलत नहीं है और शंकराचार्यों के शामिल नहीं होने का मतलब यह नहीं है कि वे इसके खिलाफ हैं. एक प्रसन्न एंकर ने कहा, इसने विपक्षी नेताओं के इस दावे पर काफी हद तक “पूर्ण विराम” लगा दिया कि 22 जनवरी को अयोध्या से चार शंकराचार्यों की अनुपस्थिति भी पार्टियों द्वारा इसे छोड़ने का एक कारण थी.

इस बीच, श्री श्री रविशंकर रिपब्लिक टीवी और इंडिया टुडे पर अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा की सराहना करने के लिए उपस्थित हुए — उन्होंने सभी से “पुनरुद्धारवाद” का हिस्सा बनने का आग्रह किया.

अन्य धार्मिक नेताओं ने प्रस्तावित कार्यक्रम को आशीर्वाद दिया, पीएम मोदी की सराहना की और राम की स्तुति में भजन गाए —आज तक ने उन्हें बस में दिल खोलकर गाते हुए पाया.


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राहुल की यात्रा टीवी पर गायब

यह हमें बिल्कुल शुरुआत में वापस लाता है: राहुल गांधी और विपक्ष. न्यूज़ चैनल उनसे ‘मंदिर राजनीति’, 22 जनवरी के प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने से इनकार करने और कथित तौर पर इसे राजनीतिक कार्यक्रम बनाने के लिए पीएम और बीजेपी की आलोचना करने से नाराज़ हैं. जब बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने सोमवार को घोषणा की कि वह 2024 का लोकसभा चुनाव अकेले लड़ेंगी, तो इंडिया टीवी ने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा: ‘‘नो माया, नो राम’’.

मिलिंद देवड़ा के रविवार को कांग्रेस छोड़ने के बाद टाइम्स नाउ ने कहा, ‘‘यह राम का क्रोध है…न्याय बदला लेने वालों से हारता है.’’ अगले 24 घंटों तक समाचार स्टूडियो में झटके महसूस किए गए, क्योंकि वे देवड़ा के पार्टी से बाहर जाने के बारे में गहराई से सोच रहे थे.

रविवार को राहुल गांधी की न्याय यात्रा को भी हरी झंडी दिखाई गई, लेकिन आपने इसे टीवी पर नहीं देखा होगा क्योंकि इसका कोई लाइव कवरेज नहीं था, बस यहां-वहां से कुछ अंश या उनकी प्रेस कॉन्फ्रेंस के अंश थे. अन्यथा, इसे जाने दिया गया था.

क्या 22 जनवरी के बाद यात्रा को और अधिक कवरेज मिलेगा और जैसे-जैसे यह बिहार और उत्तर प्रदेश की ओर बढ़ेगी? आपका अंदाज़ा उतना ही अच्छा है जितना मेरा.

(लेखिका का एक्स हैंडल @shailajabajpai है. व्यक्त किए गए विचार निजी हैं.)

(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)

(टेलीस्कोप को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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