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Wednesday, 20 November, 2024
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विश्व की नंबर एक टेस्ट टीम के सामने अब है चुनौतियों का पहाड़

क्राइस्टचर्च में टीम इंडिया का भविष्य इसी बात पर निर्भर करेगा कि ये दोनों बल्लेबाज टीम को कैसी शुरुआत दिलाते हैं.

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बात ज्यादा पुरानी नहीं है. भारतीय टीम के साथ एक ‘टैग’ लगा हुआ था. वो टैग था- घर में शेर बाहर ढेर. इस पहचान को विराट कोहली की टीम ने कुछ साल पहले तोड़ा. भारतीय टीम ने विदेश में टेस्ट सीरीज जीती. इसमे सबसे बड़ी जीत ऑस्ट्रेलिया में मिली. जब टीम इंडिया ने मेजबान टीम को 4 टेस्ट मैचों की सीरीज में 2-1 से हराया था. अब करीब एक साल बाद भारतीय टीम पर फिर वही पुराना खतरा मंडरा रहा है. न्यूजीलैंड में टेस्ट सीरीज में पहला मैच भारतीय टीम 10 विकेट के बड़े अंतर से गंवा चुकी है. इस मैच से पहले आईसीसी टेस्ट चैंपियनशिप में भारतीय टीम अपराजेय थी. सात के सात मैच उसने जीते थे. इसमें बांग्लादेश और वेस्टइंडीज के खिलाफ दो-दो जीत और साउथ अफ्रीका के खिलाफ तीन जीत शामिल थी. ध्यान देने वाली बात ये है कि इसमें से वेस्टइंडीज को छोड़कर बाकी सभी मैच भारतीय टीम ने अपनी पिचों पर जीते थे.

वेस्टइंडीज की टेस्ट टीम भारत के मुकाबले कहीं कमजोर है इसलिए उनके घर में जीतना कोई बहुत बड़ी उपलब्धि नहीं कही जा सकती है. इस बात को विराट कोहली भी समझते हैं. उन्होंने इसका जिक्र न्यूज़ीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज के पहले किया भी था. उन्होंने कहा था कि टेस्ट चैंपियनशिप में सही मायनों में पहली बार उनकी टीम के सामने कड़ा इम्तिहान है. पहले इम्तिहान में फेल होने के बाद अब 29 तारीख से दूसरा टेस्ट मैच शुरू हो रहा है. विराट के लिए वहां भी चुनौतियां का पहाड़ है.


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बल्लेबाजी में परेशानियां ही परेशानियां

विराट के सामने सबसे बड़ी मुसीबत टीम के सलामी बल्लेबाजों की जोड़ी है. टी-20 सीरीज में रोहित शर्मा के अनफिट होने के बाद विराट कोहली ने ये जिम्मेदारी मयंक अग्रवाल और पृथ्वी साव को सौंपी थी. वनडे सीरीज के तीनों मैच में इस जोड़ी ने निराश किया. इसके बाद जब टेस्ट सीरीज शुरू हुई तो उम्मीद बंधी कि ये दोनों बल्लेबाज इस फॉर्मेट में बेहतर प्रदर्शन करेंगे. ये उम्मीद इसलिए थी क्योंकि इन दोनों ही बल्लेबाजों ने टेस्ट फॉर्मेट में अच्छी पारियां खेली हैं. पृथ्वी साव ने अपने ही टेस्ट मैच में शतक लगाया था और मयंक अग्रवाल तो अब तक 3 शतक लगा चुके हैं. इसमें एक दोहरा शतक भी शामिल है. लेकिन वेलिंग्टन टेस्ट मैच की दोनों पारियों में इन बल्लेबाजों ने निराश किया.

क्राइस्टचर्च में टीम इंडिया का भविष्य इसी बात पर निर्भर करेगा कि ये दोनों बल्लेबाज टीम को कैसी शुरुआत दिलाते हैं. मामला मिडिल ऑर्डर में भी पेचीदा ही है. चेतेश्वर पुजारा क्रीज पर अच्छा खासा वक्त तो बीता रहे हैं लेकिन रन नहीं बना रहे हैं. वेलिंग्टन टेस्ट मैच की दोनों पारियों में वो 11-11 रन ही बना पाए. इसके बाद बात विराट कोहली की आती है. आंकड़ों के लिहाज से विराट कोहली अपने करियर की सबसे खराब फॉर्म के करीब हैं. पिछली 20 अंतर्राष्ट्रीय पारियों में वो शतक नहीं लगा पाए हैं. अब तक 9 साल के करियर में सिर्फ दो मौके ऐसे आए थे जब विराट कोहली को अंतर्राष्ट्रीय मैच में शतक लगाने के लिए 20 से ज्यादा पारियों का इंतजार करना पड़ा हो. वेलिंग्टन टेस्ट में विराट कोहली सिर्फ 2 और 19 रन का ही योगदान दे पाए थे. इसी खराब फॉर्म की वजह से आईसीसी रैंकिंग में भी वो पहली पायदान खो चुके हैं. अजिंक्य रहाणे अच्छी ‘टच’ में तो हैं लेकिन बड़ी पारी खेलने में नाकाम रहे हैं. इसके बाद ऋषभ पंत हैं जिन पर भरोसा करके हर बार टीम इंडिया को नुकसान ही हुआ है. बावजूद इसके कप्तान विराट कोहली ने ऋद्धिमान साहा की बजाए उन्हें मौका क्यों दिया ये सवाल सीरीज के बाद उठेगा.


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गेंदबाजी में पैनापन नहीं तो जीत नहीं

गेंदबाजी में भी हालात अच्छे नहीं हैं. टेस्ट मैच में जीत की मूल जरूरत ही यही होती है कि आपके पास ऐसे गेंदबाज हों जो विरोधी टीम के 20 विकेट ले सकते हों. पिछले दो-ढाई साल में टीम इंडिया की कामयाबी का राज भी यही था. अब विदेशी पिच पर उसके गेंदबाज कमजोर दिख रहे हैं. टीम में गेंदबाजी की कमान संभालने वाले जसप्रीत बुमराह अभी अपने रंग में नहीं हैं. वनडे सीरीज में उन्हें एक भी विकेट नहीं मिला था. पहले टेस्ट मैच में वो सिर्फ एक विकेट ले पाए. इंजरी से लौटने के बाद उन्हें अपनी फॉर्म की तलाश है. वेलिंग्टन टेस्ट की पहली पारी में ईशांत शर्मा ने अपने अनुभव का इस्तेमाल करते हुए पांच विकेट लिए, लेकिन उनके अलावा बाकी गेंदबाज प्रभावित नहीं कर पाए. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि न्यूज़ीलैंड की टीम ने पहली पारी में 225 रनों पर सात विकेट गंवाने के बाद 348 रन जोड़े. यानी उनके पुछल्ले बल्लेबाजों ने सवा सौ रन जोड़ दिए. अगले टेस्ट मैच से पहले विराट कोहली को अपनी टीम के साथ इस इरादे से मैदान में उतरना होगा कि हार जीत तो बाद की बात है पहले दुनिया की नंबर एक टेस्ट टीम की तरह खेल कर तो दिखाएं.

(शिवेंद्र कुमार सिंह खेल पत्रकार हैं. पिछले करीब दो दशक में उन्होंने विश्व कप से लेकर ओलंपिक तक कवर किया है. फिलहाल स्वतंत्र लेखन करते हैं)

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