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गुरूवार, 1 मई, 2025
होममत-विमतनरेंद्र मोदी के लिए देश का विकास, युवा और किसान नहीं, हिन्दू-मुस्लिम मुद्दा ही आखिरी ब्रह्मास्त्र

नरेंद्र मोदी के लिए देश का विकास, युवा और किसान नहीं, हिन्दू-मुस्लिम मुद्दा ही आखिरी ब्रह्मास्त्र

प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी जी ने अपनी अंतरराष्ट्रीय छवि बनाने कि कोशिश कि थी, लेकिन वो अब दरक गयी है. जो किसी भी हालत में भारत का विरोध नहीं करते थे वो भी आज भारत के खिलाफ खड़े हो गए हैं.

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मोदी जी महसूस कर पा रहे हैं या नहीं लेकिन वो चारों तरफ से घिर गए हैं. जो काम कांग्रेस 60 साल में नहीं कर सकी उसे उन्होंने 60 महीने में करने का वायदा 2014 के चुनाव में किया था. इसके अलावा भी तमाम ऐसी बातें कहीं जो आज़ादी के बाद ना हो सका हो भले ही वो कितनी भी काल्पनिक हो.

मोदी की बेरोजगारी से लेकर अंतरराष्ट्रीय छवि

प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी जी ने अपनी अंतरराष्ट्रीय छवि बनाने कि कोशिश कि थी, लेकिन वो अब दरक गयी है. जो किसी भी हालत में भारत का विरोध नहीं करते थे वो भी आज भारत के खिलाफ खड़े हो गए हैं. बेरोजगारी मुंह बाए खड़ी है, कुल घरेलु सकल उत्पाद औंधे मुंह पड़ा हुआ है, किसानों कि आय दुगुनी करने चले थे, लेकिन यहां भी उल्टा हो गया है, छात्र-युवा विरोध करने के लिए हर तरफ बेचैन है , दलित–आदिवासी-पिछड़े – मुस्लिम विरोध में खड़े हैं, वित्तीय क्षेत्र में गिरावट बहुत जोरों से आई है . निर्यात न्यूनतम स्तर पर है, बैंक का एन पी ए बढ़ता जा रहा है , सरकार के आय के तमाम श्रोत अब धराशायी हो गए हैं , रिजर्व बैंक से क़र्ज़ लेकर उसे कंगाल किया जा रहा है और उसी से खर्च चला रहे हैं, सरकारी कर्मचारियों तक को वेतन देने में भी अक्षम साबित हो रहे हैं. दूर-दूर तक सुधार के लक्षण भी नहीं दिख रहे हैं, इनके पास हिन्दू मुस्लिम मुद्दे को हवा देकर मूल मुद्दे से ध्यान हटाने के अलावा कुछ है नहीं.

मुंबई थिंक टैंक सेंटर फोर मॉनिटरिंग इन्डियन इकोनॉमी का अध्ययन कहता है कि इस साल जनवरी में बेरोजगारी दर 7.16 प्रतिशत थी और फरवरी में ही बढ़कर 7.78 प्रतिशत हो गयी , ऐसी स्थिति बेरोजगारी के क्षेत्र में कभी नही हुयी थी. लोग बैंकों से क़र्ज़ लेने से कतरा रहे हैं. पिछले साल कि जनवरी में बैंक क्रेडिट 13.5 प्रतिशत थी और अब घटकर 8.5 प्रतिशत हो गयी है. 2 लाख 55 हजार करोड़ का बैंक एनपीए होने वाला है पहले से ही बैंकों का एनपीए बहुत ज्यादा था . ज्यादातर , व्यापार सही नहीं चल पा रहे हैं . हर तरफ यही देखने को मिल रहा है कि लोगों कि जेब में पैसा नही रह गया है .

मोदी जी अबतक बड़ी ही सावधानी से अंतरराष्ट्रीय छवि के नेता के रूप में अपने आप को उभारने कि कोशिश कि थी लेकिन अब वो भी जाता रहा है. ऑर्गेनाइजेशन ऑफ़ इस्लामिक कंट्रीज कभी भारत के खिलाफ नहीं गया था लेकिन ताज़ा ताज़ा दिल्ली दंगों के बाद खुलकर के विरोध में आ गया है. इरान और टर्की धमकी भी दे रहे हैं . सऊदी अरब ने भी धमकी दी है. गल्फ कारपोरेशन काउंसील ने भी कड़ी आलोचना कि है .

नमस्ते ट्रंप और दिल्ली हिंसा

‘नमस्ते ट्रम्प’ उल्टा पड़ चुका है, ट्रम्प के आने के पहले गरीबी ढकने के लिए दीवार चिनाने से देश कि बहुत हंसी उड़ी है. अमेरिका के टेलीविजन पर इसका बड़ा मज़ाक बना है . जबतक भारत में ट्रम्प रहे दिल्ली में दंगा होता रहा, किसी तरह से ट्रम्प को तो मैनेज कर लिया था लेकिन अमेरिका पहुंचते ही उनकी आलोचना तेज़ हो गयी कि जब वो भारत में थे तो कैसे मुसलमानों के ऊपर अत्याचार होता रहा फिर भी कुछ कहा नहीं.

हालिया दिल्ली के झगड़े से जो भी विदेशी निवेश के आसार थे उसपर भी भारी असर पड़ेगा. ऐसे में कोई किस आधार पर कह सकता है कि आने वाले दिन अच्छे हो सकते हैं .

सरकारी संस्थाओं को कमजोर कर दिया गया है जिसके आधार पर अच्छे दिनों के असार के बारे में सोचा जा सकता है, आयकर विभाग में इस तरह से नीतियां लागू कि जा रही हैं उससे टैक्स में इजाफा के असार नहीं लगते हैं , एक अजीब सी व्यवस्था लायी गयी है जिसको ‘फेस लेस’ नाम दिया है. इससे अर्थव्यवस्था सुलझने से जयादा उलझ जायेगी. जी एस टी को गलत ढंग से लागू किया गया जिसके दूरगामी दुष्प्रभाव अभी लम्बे समय तक जारी रहेंगे.

तोता सीबीआई

प्रवर्तन निदेशालय विभाग अपना काम न करके सरकार कि राजनितिक प्रतिद्वंदिता निभाने का टूल बनकर रह गयी है. सीबीआई पूरा तोता बन चुकी है . पुलिस राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में दंगाई बनी हुयी है, लोगों का पुलिस पर से बिस्वास ही उठ गया है. हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट सरकार के दवाब में काम कर रही है. ऐसे में आम नागरिकों में बिस्वास ही ख़तम हो गया है.

शिक्षा जगत का तो कहना ही क्या छात्रों कि सहूलियतों में कटौती और उनके सोचने और बोलने पर सरकार पाबंदी लगा रही है , जे एन यू एवं जामिया विवि में किस तरह से दमन किया गया सबने देखा , पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं हैं , एडहोक एवं गेस्ट टीचर से काम चलाया जा रहा है, संघ के समर्थक ही कुलपति और प्रोफ़ेसर बन रहे हैं , जो ज्ञान के मामले में फिसड्डी होने के साथ साथ अन्धविसवासी हैं जो अन्धविसवास ही फैलाने का काम करेंगे ना कि वैज्ञानिक सोच और चिंतन .

इनकी प्राथमिकता गाय –गोबर का ज्ञान देने कि ज्यादा हो गयी है , आश्चर्य हो रहा है कि सोशल मिडिया पर अंधभक्त लिख रहे हैं कि कोरोना वायरस का इलाज गोबर है. इनके अपने तीन बड़े नेता पिछले साल कैंसर के शिकार हो गए तो मूत्र और गोबर से इलाज न करके अमेरिका में इलाज कराया ऐसे में वैज्ञानिक दृष्टिकोण ख़तम हो जाएगा , जिसका असर विज्ञान , तकनीक एवं उत्पादकता आदि पर पड़ेगा .

ऐसा तो है नही कि मोदी जी इन बातों से अनभिग्य हैं , यह भी हो सकता है कि सत्ता से मतान्ध होकर सचाई खुद तक आने ही नहीं दे रहे हों. एक चीज़ संघ/भाजपा को अच्छे से मालूम है कि सबकुछ फेल हो जायेगा तो हिन्दू मुस्लिम का कार्ड तो इनके लिए आखिरी ब्रह्माश्त्र है ही .

(लेखक पूर्व लोकसभा सदस्य एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं)

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