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Monday, 18 November, 2024
होममत-विमतमोदी अरब देशों से रिश्ते बेहतर करने में लगे लेकिन नूपुर शर्मा और तेजस्वी सूर्या सारा खेल बिगाड़ रहे हैं

मोदी अरब देशों से रिश्ते बेहतर करने में लगे लेकिन नूपुर शर्मा और तेजस्वी सूर्या सारा खेल बिगाड़ रहे हैं

विडंबना यह है कि तानाशाही और अलोकतांत्रिक सरकारों वाला अरब जगत आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहे भारत को सांप्रदायिक सद्भाव के सबक सिखा रहा है.विडंबना यह है कि तानाशाही और अलोकतांत्रिक सरकारों वाला अरब जगत आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहे भारत को सांप्रदायिक सद्भाव के सबक सिखा रहा है.

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बांग्लादेशियों को ‘दीमक’ बताने वाले गृह मंत्री अमित शाह हों या भारत पर मुस्लिम आक्रमण की तुलना यहूदियों के ‘महा विनाश’ से करने वाले भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या या पैगंबर मोहम्मद के बारे में अपमानजनक बयान देने वाली भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल, सबके बयानों ने एक अनूठे, बहुजातीय, बहुधार्मिक लोकतंत्र के रूप में भारत की छवि को गंभीर खतरे में डाला है.

आखिरी गिनती तक कतर, कुवैत, ईरान, पाकिस्तान, सऊदी अरब, यूएई, जॉर्डन, बहरीन, मालदीव, इस्लामी देशों के संगठन ‘ओआईसी’ और इंडोनेशिया ने करीब 10 दिन पहले पाक पैगंबर के खिलाफ दो भाजपा नेताओं की अपमानजनक टिप्पणी की निंदा की है. यहां तक कि तालिबान ने भी भारत को नहीं बख्शा. अगर इतना काफी नहीं था, तो कसर पूरी करने के लिए कुवैत और ओमान ने अक्षय कुमार की फिल्म ‘सम्राट पृथ्वीराज’ पर रोक लगा दी, जो पिछले सप्ताह बड़े शोरशराबे के साथ रिलीज़ की गई और जिसके प्रीमियर पर अमित शाह अपने पूरे परिवार के साथ मौजूद थे.

भारतीय विदेश मंत्रालय ने सख्त प्रतिक्रियाओं से होने वाले नुकसान को रोकने की फौरी कोशिश करते हुए शर्मा और जिंदल को ‘फ्रिंज एलिमेंट्स’ बता दिया, जो नरेंद्र मोदी सरकार के नजरिए का प्रतिनिधित्व नहीं करते. विदेश मंत्रालय ने ओआईसी को उसके ‘प्रेरित, भ्रामक और शरारतपूर्ण बयानों’ के लिए आड़े हाथों तो लिया लेकिन इसके सिवा उसने अपनी जबान बंद ही रखी.


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दुनिया के सामने शर्मसार

भारत सरकार के अंदर शर्मिंदगी और इस बात का एहसास है कि शासक दल भाजपा अपने कुछ बड़बोलों पर लगाम लगाने में विफल रही है, कि इसका असर न केवल घरेलू राजनीति पर पड़ा है बल्कि बड़ी मेहनत से बनाई धर्मनिरपेक्ष देश वाली उसकी ख्याति पर भी पड़ रहा है.

भारत जब अपनी आज़ादी के 75वीं वर्षगांठ मना रहा है, तब एक ताकतवर देश के रूप में उसकी अपनी छवि को बड़ी चोट पहुंची है. वास्तव में, दो भाजपा नेताओं के नफरत उगलते बयान और ट्वीट कई दिनों तक सार्वजनिक दायरे में रहे तब जाकर अरब जगत ने दखल दी. और सरकार की ओर से कार्रवाई तब की गई जब मुस्लिम देश एक-एक करके भारत को चेतावनी देने लगे.

अरब जगत में रह रहे करीब 1.8 करोड़ भारतीय प्रवासी काफी चिंतित नज़र आ रहे हैं. उनमें से कई कामगार वर्ग के हैं, जिन्होंने अपना पसीना बहाकर खाड़ी के शहरों को चमकाया है. लेकिन कई भारतीय उन देशों के कुलीन वर्ग में भी शामिल हैं. अघोषित डर यह है कि उन्हें बाहरी घोषित किया जा सकता है या अरब उच्च वर्ग के साथ उन्होंने दशकों में विश्वास का जो रिश्ता बनाया है वह दुनिया की नजर में पहली बार टूट सकता है.


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वर्षों में बना रिश्ता

विडंबना यह है कि मोदी सरकार ने अपने आठ सालों में कई खाड़ी देशों के साथ बेहतर रिश्ते बनाने में आकाश-पाताल एक कर दिया था. प्रधानमंत्री मोदी ने फरवरी 2019 में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान अल सऊद को अपनी खास झप्पी देते हुए बड़े मूल्यवान मेहमान के तौर पर उनका गर्मजोशी से स्वागत किया था. माना जाता है कि कतर के साथ भारत ने महत्वपूर्ण सुरक्षा सहयोग किया है.

मोदी ने यूएई के साथ संबंध सुधारने में काफी बड़ा निवेश किया है. भारत ने अमीरात के शाही परिवार की इज्जत बचाने के लिए दुबई की राजकुमारी लतिफा को भारत में आने से रोक दिया था और उन्हें उनके पिता को वापस कर दिया था.

अरब जगत ने भी काफी सद्भाव दिखाया. खाड़ी के छह देशों के साथ भारत का व्यापार खूब बढ़ा है. 2020-21 में भारत ने 110.73 अरब डॉलर मूल्य के सामान का आयात किया जिसमें सबसे ज्यादा 43 अरब डॉलर का सामान सऊदी अरब से आया. भारत तेल के लिए सबसे ज्यादा सऊदी अरब पर निर्भर है, जबकि इससे पहले ईरान पर निर्भर था. द्रव प्राकृतिक गैस (एलएनजी) का सबसे बड़ा सप्लायर कतर है. विदेश से भारत भेजे जाने वाले 85 अरब डॉलर में दो तिहाई हिस्सा खाड़ी देशों से आने वाले पैसे का होता है. खाड़ी सहयोग काउंसिल (जीसीसी) के छह देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौता होने वाला है. यूएई ने अपने यहां के बड़े भारतीय समुदाय की सेवाओं के प्रति आभार प्रकट करने के लिए एक विशाल नया मंदिर बनवाया, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री मोदी ने 2018 के अपने अबु धाबी दौरे में किया था.

लेकिन भाजपा नेताओं के बयानों ने पूरे अरब जगत में आग लगा दी है. यह क्षेत्र इस बात को लेकर हैरानी और गुस्से में है कि भारत में जबकि उसके अपने 20 करोड़ मुसलमान बसे हुए हैं तब वह इस तरह के नफरत भरे बयानों को प्रसारित कैसे होने दे रहा है.


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‘नाकामियों’ का सिलसिला

सऊदी अरब, ओमान और यूएई में तैनात रहे पूर्व राजदूत तलमीज़ अहमद ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि पैगंबर मोहम्मद की निंदा की इजाजत देकर भारत ने सीमारेखा पार कर दी. यूएई और मिस्र में तैनात रहे पूर्व राजदूत नवदीप सूरी ने याद करते हुए कहा कि तेजस्वी सूर्या ने 2015 और फिर दोबारा 2019 में अरब महिलाओं पर कटाक्ष किया था कि उनमें यौन क्षमता की कमी होती है.

सीरिया में तैनात रहे और अरब मामलों के जानकार, पूर्व राजदूत राजेंद्र एम. अभयंकर ने ऑस्ट्रेलिया में दिए सूरी के उस बयान का जिक्र किया जिसमें भारत पर मुसलमानों के हमलों की तुलना यहूदियों के ‘महा विनाश’ से की गई है. अभयंकर ने सवाल उठाया कि राजनीति में उतरने से पहले और विदेश का दौरा करने की इजाजत देने से पहले सांसदों को ‘उचित ट्रेनिंग’ क्यों नहीं दी जाती?

उपरोक्त बातचीत में सूरी ने इन घटनाओं को ‘कूटनीतिक नाकामियां’ बताया. अभयंकर ने याद किया कि बाबरी मस्जिद विध्वंस के समय भी मुस्लिम दुनिया इसी तरह नाराज थी लेकिन सीरिया के आला मुफ़्ती ने इस सफाई को कबूल कर लिया था कि यह मामला सरकार के काबू से बाहर हो गया और यह अकेला मामला रहेगा. लेकिन तलमीज़ अहमद का कहना है कि आज मुस्लिम समुदाय के प्रति नफरत जिस तरह सामान्य बात हो गई है वह 1992 में हुई घटना से बिल्कुल अलग है.

इन लापरवाह बयानों ने एक नरम, उदार देश के रूप में भारत की छवि को काफी चोट पहुंचाई है. लेकिन चोट पर मलहम लगाने की जगह, सोशल मीडिया पर भाजपाई ट्रोल्स ने आग को और हवा ही दी है. मोदी सरकार बेशक यह उम्मीद कर रही है कि मामला खत्म हो गया है. पिछले कुछ दिनों के घटनाक्रम इस बात के अहम संकेत हैं कि दुनिया आपस में किस तरह जुड़ी हुई है.

विरोधाभास यह है कि भारत जबकि अपनी आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है, उसे सांप्रदायिक सद्भाव के सबक वह अरब दुनिया सिखा रही है जिसमें कई देश ऐसे हैं जहां तानाशाही और अलोकतांत्रिक सरकारें राज कर रही हैं.

(ज्योति मल्होत्रा ​​दिप्रिंट की सीनियर कंसल्टिंग एडिटर हैं. वह @jomalhotra पर ट्वीट करती हैं. व्यक्त विचार निजी हैं)

(इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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